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    Lockdown 4.0: नहीं माने ट्रांसपोर्टर, खड़े रहे सार्वजनिक वाहन

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Fri, 22 May 2020 07:20 PM (IST)

    ट्रांसपोर्टरों का दावा है कि वाहन खड़े रहने की सूरत में टैक्स में तीन माह की छूट तो वे कोर्ट के जरिए भी ले सकते हैं। किराये की वृद्धि के बगैर वे वाहन ...और पढ़ें

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    Lockdown 4.0: नहीं माने ट्रांसपोर्टर, खड़े रहे सार्वजनिक वाहन

    देहरादून, जेएनएन। पचास फीसद यात्रियों के साथ सार्वजनिक वाहन चलाने को लेकर ट्रांसपोर्टर मानने को तैयार नहीं हैं। सरकार की ओर से उन्हें टैक्स में केवल तीन माह की छूट दी गई है, यह भी उन्हें मंजूर नहीं। ट्रांसपोर्टरों का दावा है कि वाहन खड़े रहने की सूरत में यह छूट तो वे कोर्ट के जरिए भी ले सकते हैं। किराये की वृद्धि के बगैर वे वाहन नहीं चलाएंगे।

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    कोरोना संकट के चलते दो माह से खड़े सार्वजनिक वाहनों को सरकार ने संचालन की अनुमति तो दी है, लेकिन पचास फीसद सवारियों के साथ। वाहनों में सीट संख्या के हिसाब से यात्रियों की संख्या भी राज्य सरकार ने तय की है, लेकिन ट्रांसपोर्टरों को यह व्यवस्था रास नहीं है। न बस संचालक राजी हैं, न ही टैक्सी-मैक्सी, विक्रम, ऑटो संचालक। सभी का कहना है कि सरकार की व्यवस्था के हिसाब से डीजल का खर्च भी नहीं निकल पाएगा। कुछ ट्रांसपोर्टर मांग कर रहे कि यात्रियों की संख्या बढ़ाई जाए, तो कुछ किराया दोगुना करने की मांग कर रहे।

    हालांकि, सरकार ने गुरुवार को वाहनों का तीन माह का टैक्स माफ करने व एक साल तक परमिट नवीनीकरण के खर्च को माफ करने के आदेश तो दिए, मगर मामला इससे सुलझता नजर नहीं आ रहा। देहरादून सिटी बस सेवा महासंघ के अध्यक्ष विजय वर्धन डंडरियाल ने कहा कि सरकार ने जो टैक्स माफी का झुंझुना दिया है, उससे कोई लाभ नहीं होने वाला। सरकार अगर यात्रियों के बीमा शुल्क और सवारी टैक्स में छूट जारी करने के साथ खाली पचास फीसद सीटों का खर्च वहन करे तो कुछ बात बन सकती है। 

    वहीं, दून-डाकपत्थर बस यूनियन के अध्यक्ष राम कुमार सैनी ने कहा कि बस में जो पचास फीसद यात्री सफर करेंगे, उनका किराया दोगुना किया जाए या फिर नुकसान सरकार वहन करे, तभी संचालन पर विचार हो सकता है। गढ़वाल जीप-कमांडर मैक्सी कैब यूनियन के अध्यक्ष सत्यदेव उनियाल ने कहा कि दूसरे जनपद जाने की अनुमति और किराया बढ़ाया जाए, तभी वह संचालन कर पाएंगे। विक्रम यूनियन अध्यक्ष राजेंद्र कुमार ने तो इस संबंध में आरटीओ को भी पत्र देकर यात्रियों की संख्या बढ़ाने की मांग की है। ऑटो यूनियन भी एक सवारी लेकर चलने को राजी नहीं। ऐसे में ट्रांसपोर्टरों का रवैया सरकार के प्रति आक्रोशित दिख रहा।

    रोडवेज में मास्क पहनने के आदेश

    प्रवासियों को लाने-ले जाने का काम कर रही रोडवेज बसों में चालक-परिचालकों के मॉस्क न पहनने की मिल रही शिकायतों पर प्रबंधन ने चेतावनी दी है। गुरुवार शाम महाप्रबंधक दीपक जैन की ओर से दिए गए आदेश में वाहन संचालन के दौरान चालक व परिचालक के लिए मॉस्क पहनना जरूरी किया गया है। सैनिटाइजर और कोरोना से जुड़ी गाइड-लाइन का अनुपालन करने को कहा गया है। इसके अलावा बस को ले जाने से पहले एवं लाने के बाद पूरी तरह सेनिटाइज कराया जाए। महाप्रबंधक ने आदेश दिए हैं कि जिन डिपो में चालक व परिचालकों को फेस शील्ड मिल गई है, वे उसका उपयोग करें। बसों में चालक की सीट के पीछे वाला हिस्सा प्लॉस्टिक से कवर किया जाए।

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    सड़कों पर खाली दौड़ते रहे ज्यादातर ई-रिक्शा और ऑटो

    गुरुवार को शहर में ई-रिक्शा संचालकों ने वाहनों का संचालन तो किया, मगर सवारी न मिलने पर वे ज्यादातर खाली दौड़ते नजर आए। सुबह गफलत में कुछ ऑटो चालकों ने भी वाहन संचालन किया। वे दो या तीन सवारी लेकर चल रहे थे, लेकिन जब उन्हें पता चला कि उन्हें महज एक सवारी लेकर चलने की इजाजत है तो उन्होंने भी वाहनों को खड़ा कर दिया। शहर के मुख्य मार्ग पर ई-रिक्शा को सवारियों का संकट रहा मगर कुछ संपर्क मार्गो पर उन्हें कुछ राहत जरूर मिली। ई-रिक्शा संचालकों ने बताया कि वे वाहनों का संचालन जारी रखेंगे।

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