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उत्तराखंड में टलेंगे चुनाव, प्रशासकों के हवाले होंगे निकाय

सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग के मध्य ठनी रार के बीच अब इतना तो तय हो गया कि स्थानीय निकाय चुनाव आगे खिसकने के साथ ही इन्हें प्रशासकों के हवाले किया जाएगा।

By BhanuEdited By: Published: Thu, 05 Apr 2018 09:23 AM (IST)Updated: Fri, 06 Apr 2018 05:14 PM (IST)
उत्तराखंड में टलेंगे चुनाव, प्रशासकों के हवाले होंगे निकाय
उत्तराखंड में टलेंगे चुनाव, प्रशासकों के हवाले होंगे निकाय

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग के मध्य ठनी रार के बीच अब इतना तो तय हो गया है कि प्रदेश में तीन मई तक निकाय चुनाव नहीं हो पाएंगे। चुनाव आगे खिसकने के साथ ही इन्हें प्रशासकों के हवाले किया जाना तय है। वहीं, सरकार की ओर से जैसे संकेत मिल रहे हैं, उसे देखते हुए माना जा रहा कि मई प्रथम सप्ताह में अधिसूचना जारी की जाएगी और मई आखिर अथवा जून प्रथम सप्ताह में चुनाव होंगे।

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प्रदेश में 92 नगर निकाय हैं। इनमें आठ नगर निगम (इनमें ऋषिकेश व कोटद्वार की अधिसूचना होनी बाकी है), 41 नगर पालिका परिषद और 43 नगर पंचायतें शामिल हैं। पिछले वर्ष सरकार इन निकायों में से 41 का सीमा विस्तार किया। इस मामले में कुछ लोग हाईकोर्ट गए तो कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने 24 निकायों के सीमा विस्तार व गठन से संबंधित अधिसूचनाएं निरस्त कर सीमा विस्तार पर नए सिरे से आपत्तियां मांगी। अब जाकर इनका निस्तारण हुआ है और वर्तमान में शासन स्तर पर इनका परीक्षण चल रहा है।

अब इन 24 निकायों के सीमा विस्तार व गठन की पहले अनंतिम और फिर अंतिम अधिसूचनाएं जारी होनी हैं। यही नहीं, वार्डों का परिसीमन भी होना है। इसके लिए नगर पालिका परिषदों में 15 दिन और नगर निगमों में कम से कम सात दिन का वक्त दिया जाता है। फिर इनकी अनंतिम अधिसूचना के बाद आपत्ति सुनवाई व निस्तारण को कम से कम तीन दिन का समय चाहिए। 

इसी प्रकार निकायों में आरक्षण तय करने को भी कम से कम सात दिन का समय चाहिए। इससे संबंधित आपत्तियों पर सुनवाई व निस्तारण के बाद अंतिम अधिूसचना जारी होती है और फिर आयोग को इसे भेजा जाता है।

इस लिहाज से देखें तो पूरा अप्रैल इन कार्यों में ही गुजर जाएगा, जबकि निकायों का कार्यकाल चार मई को खत्म हो रहा है। ऐसे में तीन मई तक चुनाव कराने आवश्यक हैं, लेकिन बदली परिस्थितियों में ऐसा संभव नजर नहीं आ रहा। नतीजतन, एक्ट के अनुसार अब निकायों को प्रशासकों के हवाले किया जाना भी तय है।

वहीं, शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने भी संकेत दिए कि इन कार्यों के लिए थोड़ा वक्त लगना तय है। ऐसे में चार मई से चुनाव होने तक निकायों में प्रशासक बैठाए जा सकते हैं। उन्होंने यह भी संकेत दिए कि चुनाव की अधिसूचना मई के पहले हफ्ते में हो सकती है। चुनाव मई के आखिर अथवा जून के पहले हफ्ते में हो सकते हैं।

निर्वाचन आयुक्त का बयान कष्टदायक 

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के अनुसार अगर राज्य निर्वाचन आयुक्त ने इस तरह का बयान दिया है तो यह खेदजनक व कष्टजनक है। रात को मेरी उनसे बातचीत हो गई थी। मैने कहा, हम चाहते हैं कि समय सीमा में चुनाव कराएं। उन्होंने यह कहा कि यदि पंद्रह बीस दिन लेट होते हैं तो कोई बात नहीं। मैने कहा मैं चाहता हूं कि समय पर चुनाव हों। 

उन्होंने यह बयान कैसे दिया, मैंने यह सुना नहीं। यदि उन्होंने ऐसा बयान दिया है तो बेहद खेदजनक है और मुझे इस बात का कष्ट है कि उन्होंने यह बयान दिया है। 

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