Move to Jagran APP

उत्तराखंड में निकाय चुनाव पर आयोग और सरकार आमने-सामने

राज्य निर्वाचन आयुक्त सुवर्धन ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि सरकार ने चुनाव को सीमा विस्तार और आरक्षण में लटका दिया।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 04 Apr 2018 07:03 PM (IST)Updated: Thu, 05 Apr 2018 09:25 PM (IST)
उत्तराखंड में निकाय चुनाव पर आयोग और सरकार आमने-सामने
उत्तराखंड में निकाय चुनाव पर आयोग और सरकार आमने-सामने

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: निकाय चुनाव को लेकर एक दिन पहले हाईकोर्ट की शरण लेने वाले राज्य निर्वाचन आयोग ने बुधवार को राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया। राज्य निर्वाचन आयुक्त सुबर्द्धन ने सरकार पर असहयोग और उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि वह चुनाव के सिलसिले में जुलाई 2017 से मुख्यमंत्री से वार्ता करना चाहते थे, मगर उन्हें अब तक समय नहीं दिया गया। 

loksabha election banner

साथ ही कहा कि आयोग तो तीन मई से पहले चुनाव कराने को तैयार था, मगर सरकार इसे लटकाती रही। ऐसे में आयोग को मजबूरन कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।

राज्य निर्वाचन आयुक्त सुबर्द्धन ने रिंग रोड स्थित कार्यालय के सभागार में बुलाई गई प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि आयोग ने निकाय चुनाव के मद्देनजर सितंबर 2017 से कवायद प्रारंभ कर दी थी। तब अक्टूबर में मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण कर दिया गया था। ये मानकर चला जा रहा था कि चुनाव मार्च-अपै्रल में होंगे। ये जानकारी होने के बाद भी सरकार ने सीमा विस्तार व उच्चीकरण की कार्रवाई की। 

उन्होंने कहा कि इस सबके मद्देनजर वह मुख्यमंत्री से वार्ता करना चाहते थे। जुलाई 2017 में जब उन्होंने समय मांगा तो अगले सोमवार की बात कही गई। यह सोमवार तब से नहीं आया। मुख्यमंत्री के पीएस के अलावा सचिव मुख्यमंत्री से भी बात की गई, मगर वार्ता का समय नहीं दिया गया।

सुबर्द्धन के मुताबिक शहरी विकास मंत्री मीडिया के जरिये भरोसा दिलाते रहे कि चुनाव समय पर करा देंगे, मगर आज की तारीख में न परिसीमन पूरा हुआ और न आरक्षण का निर्धारण। आयोग ने ये भी सुझाव दिया था कि जिन निकायों में सीमा विस्तार को लेकर लोग कोर्ट गए हैं, उन्हें छोड़ बाकी में चुनाव करा दिए जाएं, इसे भी नहीं माना गया। बाद में सरकार ने जवाब दिया कि नौ अपै्रल तक अधिसूचना जारी कर सकते हैं, मगर ऐसा संभव नहीं था। सूरतेहाल साफ है कि सरकार चुनाव को तैयार नहीं थी।

उन्होंने कहा कि चुनाव कराना आयोग की जिम्मेदारी है और उसकी राय मानना सरकार की, लेकिन सरकार, आयोग को नजरअंदाज कर रही है। और तो और, ईवीएम से चुनाव की मंशा जताने के बावजूद इसके लिए फूटी कौड़ी तक नहीं दी गई, जबकि आयोग ने 17 करोड़ की मांग की थी। हालांकि, उन्होंने बदली परिस्थिति को संवैधानिक संकट मानने से इनकार किया। कहा कि अब चुनाव पर फैसला कोर्ट को करना है।

एक-दो दिन में कोर्ट व आयोग को सौंपेंगे चुनाव कार्यक्रम: कौशिक

निकाय चुनाव पर राज्य निर्वाचन आयोग के रुख के बाद सकते में आई सरकार ने बुधवार शाम को आयोग की ओर से उठाए गए सवालों पर स्पष्टीकरण दिया। शहरी विकास मंत्री एवं शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने कहा कि सरकार तो तय समय पर चुनाव को तैयार थी, मगर 24 निकायों के सीमा विस्तार से संबंधित आपत्तियों पर नए सिरे से सुनवाई की गई। यह कार्य अंतिम चरण में है। बदली परिस्थितियों में आयोग और अदालत को एक-दो दिन में चुनाव का संभावित कार्यक्रम दे दिया जाएगा।

उन्होंने यह भी कहा कि राज्य निर्वाचन आयुक्त की पिछले वर्ष नवंबर में मुख्यमंत्री से मुलाकात हुई थी। कौशिक ने कहा कि उनके साथ ही अधिकारी लगातार आयोग के संपर्क में थे। सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में आयोजित प्रेस कान्फ्रेंस में शासकीय प्रवक्ता व शहरी विकास मंत्री कौशिक ने कहा कि सत्ता में आने के साथ ही मौजूदा सरकार ने साफ कर दिया था कि वह समय पर पारदर्शी तरीके से निकाय चुनाव कराना चाहती है। 

इस बारे में आयोग और उसके अधिकारियों के साथ एक-एक बिंदु पर सहमति बनाई गई। राज्य निर्वाचन आयुक्त इसे लेकर नवंबर में मुख्यमंत्री से मिले। उन्होंने बताया कि वह खुद दो बार आयुक्त से मिल चुके हैं। अधिकारी लगातार आयोग के संपर्क में रहे।

काबीना मंत्री कौशिक ने कहा कि इस बीच कुछ लोग न्यायालय गए तो 24 निकायों में नए सिरे से सीमा विस्तार पर आपत्तियां सुनकर निस्तारण किया गया। इस बारे में अदालत के आदेश को टाला नहीं जा सकता था। इसके लिए दिन-रात एक कर कार्य किया गया और अब शासन स्तर पर इस संबंध में अंतिम निर्णय की कवायद चल रही है। उन्होंने कहा कि इस बारे में भी आयोग से फोन पर वार्ता की गई थी।

उन्होंने सवाल किया कि ऐसे में देरी कहां से हुई। सरकार की मंशा चुनाव कराने की है। आयोग के हाईकोर्ट जाने के बाद कोर्ट ने 11 अपै्रल तक जवाब मांगा है। इस अवधि तक कोर्ट के साथ ही आयोग को संभावित कार्यक्रम प्रस्तुत कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह तय है कि निकाय चुनाव तीन मई से आगे जाएंगे। एक सवाल पर उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग एक संवैधानिक संस्था है और इसके पदों पर बैठे लोगों का सरकार सम्मान करती है।

यह भी पढ़ें: समय पर निकाय चुनाव नहीं कराना चाहती है सरकार: हरीश रावत 

यह भी पढ़ें: निकाय चुनाव के लिए हाईकोर्ट पहुंचा निर्वाचन आयोग

यह भी पढ़ें: हार्इकोर्ट की चेतावनी, निजी स्कूलों के बंद होने पर होगी कार्रवार्इ


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.