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Kedarnath Dham: केदारनाथ आपदा से सबक लिया, मगर बहुत कुछ करना बाकी

केदारनाथ त्रासदी से सबक लेते हुए व्यवस्थाएं मुकम्मल करने की दिशा में सरकारें संजीदा हुईं मगर अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 16 Jun 2020 04:00 AM (IST)Updated: Mon, 15 Jun 2020 09:26 PM (IST)
Kedarnath Dham: केदारनाथ आपदा से सबक लिया, मगर बहुत कुछ करना बाकी
Kedarnath Dham: केदारनाथ आपदा से सबक लिया, मगर बहुत कुछ करना बाकी

देहरादून, केदार दत्त। सात साल पहले आई जल प्रलय से अब केदारघाटी पूरी तरह उबर चुकी है। केदारनाथ त्रासदी से सबक लेते हुए व्यवस्थाएं मुकम्मल करने की दिशा में सरकारें संजीदा हुईं, मगर अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। ये बात अलग है कि इस मर्तबा परिस्थितियां बदली हैं, मगर व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने का जिम्मा अब सरकार ने चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के जरिये अपने हाथ में ले लिया है। अब उसके सामने केदारनाथ समेत पूरे क्षेत्र में बेहतर संचार कनेक्टिविटी, पैदल मार्ग पर यात्री सुविधाएं, यात्रियों की नियंत्रित संख्या, पंजीकरण, वैकल्पिक मार्ग जैसे मामलों में कसौटी पर खरा उतरने की चुनौती है।

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यह किसी से छिपा नहीं है कि जून 2013 में कुदरत ने केदारनाथ समेत समूची केदारघाटी में किस तरह अपना रौद्र रूप दिखाया था। लगातार प्रयास हुए तो इस त्रासदी से केदारघाटी उबर चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद केदारनाथ में चल रहे पुननिर्माण कार्यों में निरंतर रुचि ले रहे हैं। साफ है कि केदारनाथ त्रासदी से सिस्टम ने सबक लिया है।

केदारनाथ की सुरक्षा के लिए मंदिर के पीछे त्रिस्तरीय सुरक्षा दीवार के निर्माण के साथ ही केदारपुरी में कई काम हुए हैं और वर्तमान में तमाम कार्य चल रहे हैं। केदारनाथ में व्यवस्थाएं अवश्य जुटी हैं, लेकिन अभी काफी काम होने बाकी हैं। अब तो सरकार ने केदारनाथ समेत चारधाम और उनके नजदीकी मंदिरों के प्रबंधन को चारधाम देवस्थानम बोर्ड के जरिये व्यवस्थाएं अपने हाथ में ले ली हैं। लिहाजा, उसे ही यात्रा से जुड़ी चुनौतियों से पार पाने के लिए कदम उठाने हैं।

परिस्थितियां सामान्य होने पर जब यात्रा प्रारंभ होगी तो इसमें चुनौतियां कम नहीं होंगी। सबसे पहले तो केदारनाथ क्षेत्र में बेहतर संचार सुविधा कराने की दिशा में कदम बढ़ाने होंगे। यात्रियों की संख्या को नियंत्रित करने के प्रयास जरूरी हैं। वर्तमान में केदारनाथ में सात हजार यात्रियों के ठहरने का इंतजाम है, जबकि सीजन में इसके चार गुना तक यात्री रोजाना वहां पहुंचते हैं।

गौरीकुंड से लेकर केदारनाथ तक 16 किमी के पैदल सफर के दरम्यान यात्रा मार्ग पर यात्री सुविधाएं भी उसी हिसाब से जुटानी आवश्यक हैं। यही नहीं, पूर्व में ये बात हुई थी कि केदारनाथ जाने वाले प्रत्येक यात्री का बायोमीट्रिक पंजीकरण होगा, मगर बाद में यह व्यवस्था दम तोड़ गई। अब देवस्थानम बोर्ड को इस मोर्चे पर कौशल दिखाना होगा। यात्रियों के पंजीकरण के मद्देनजर ऐसी व्यवस्था करनी होगी, जिससे एक-एक यात्री का ब्योरा  उपलब्ध रहे और किसी को कोई दिक्कत भी न होने पाए। इसके अलावा किसी भी अपरिहार्य स्थिति के दृष्टिगत वैकल्पिक मार्गों को सुदृढ़ किए जाने पर भी काम आवश्यक है।

रविनाथ रमन  (गढ़वाल कमिश्नर एवं सीईओ, उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड) का कहना है कि चारधाम और इनके नजदीकी मंदिरों की व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करने की दिशा में बोर्ड ने कार्य शुरू कर दिया है। केदारनाथ में मास्टर प्लान के तहत कार्य हो रहे हैं। इसमें सुरक्षा, बेहतर व्यवस्था, तीर्थ पुरोहितों के लिए भवनों का निर्माण, यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था समेत अन्य कार्य हैं। जहां तक यात्रियों की नियंत्रित संख्या का प्रश्न है तो इसे अमल में लाया जाएगा। पंजीकरण के मद्देनजर भी कदम उठाए जाएंगे। सभी के सहयोग से व्यवस्थाएं दुरुस्त की जाएंगी।

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