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    राजाजी में चार साल बाद परवान चढ़ेगी बाघ शिफ्टिंग की मुहिम, जानें- क्यों पड़ी Shifting की जरूरत

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Tue, 17 Nov 2020 11:03 PM (IST)

    Rajaji National Park News चार साल के इंतजार के बाद राजाजी नेशनल पार्क में बाघ शिफ्टिंग की मुहिम अब परवान चढ़ने जा रही है। पार्क के करीब 550 वर्ग किलोमीटर में फैले मोतीचूर-धौलखंड क्षेत्र में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से पांच बाघ लाए जाएंगे।

    राजाजी में चार साल बाद परवान चढ़ेगी बाघ शिफ्टिंग की मुहिम।

    देहरादून, राज्य ब्यूरो। Rajaji National Park News चार साल के इंतजार के बाद राजाजी नेशनल पार्क में बाघ शिफ्टिंग की मुहिम अब परवान चढ़ने जा रही है। पार्क के करीब 550 वर्ग किलोमीटर में फैले मोतीचूर-धौलखंड क्षेत्र में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से पांच बाघ लाए जाएंगे। इसकी प्रक्रिया इसी माह के आखिर से प्रारंभ होगी। इस क्रम में सभी तैयारियों को अंतिम रूप देने के साथ ही बाघों की शिफ्टिंग के मद्देनजर पूर्वाभ्यास भी कर लिया गया है।

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    इसलिए पड़ रही शिफ्टिंग की जरूरत

    820 वर्ग किलोमीटर में फैला राजाजी नेशनल पार्क बाघों के वासस्थल के लिहाज से समृद्ध है। कार्बेट नेशनल पार्क के नजरिये से देखें तो 20 बाघ प्रति सौ वर्ग किमी के मानक के हिसाब से राजाजी डेढ़ सौ से ज्यादा बाघों को धारण करने की क्षमता रखता है। बावजूद इसके पार्क की चीला, गौहरी व रवासन क्षेत्रों के 270 वर्ग किलोमीटर के दायरे में ही बाघ हैं, जिनकी संख्या चार दर्जन के करीब है। शेष 550 वर्ग किलोमीटर में फैला मोतीचूर-धौलखंड क्षेत्र में इस लिहाज से वीरान है। वहां पिछले सात वर्षों से केवल दो बाघिनें ही मौजूद हैं। पार्क से गुजर रही रेल लाइन, हाइवे और मानवीय दखल की वजह से गंगा के दूसरी तरफ के चीला, गौहरी व रवासन से बाघ मोतीचूर-धौलखंड क्षेत्र में नहीं आ पाते। नतीजतन वहां बाघों का कुनबा बढ़ नहीं पा रहा।

    अब अंतिम दौर में कसरत

    मोतीचूर-धौलखंड क्षेत्र में कॉर्बेट से बाघ शिफ्ट करने के लिए वर्ष 2016 में योजना तैयार की गई। वर्ष 2017 में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने इसे मंजूरी दी। पिछले साल इस मुहिम के लिए प्रोजेक्ट टाइगर से 50 लाख रुपये मंजूर हुए। इससे क्षेत्र में बाघ बाड़ा, मॉनीटरिंग टावर समेत अन्य इंतजाम किए गए। इस साल भी केंद्र ने 40 लाख रुपये अवमुक्त किए।

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    राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग के अनुसार शिफ्टिंग की कार्रवाई के चार चरण होते हैं। इसके तहत कार्बेट में पांच बाघों की पहचान कर ली गई है। दूसरा चरण ट्रेंकुलाइज कर रेडियो कॉलर लगाने का होता है, जबकि तीसरे चरण में बाघ को लाकर दो-तीन दिन बाड़े में रखा जाता है। उसके व्यवहार का अध्ययन कर उसे संबंधित क्षेत्र में छोड़कर मॉनीटरिंग की जाती है। उन्होंने बताया कि इस लिहाज से सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। साथ ही शिफ्टिंग का पूर्वाभ्यास भी कराया जा चुका है। कोशिश ये है कि इस माह के आखिर तक एक बाघ को लाकर मोतीचूर-धौलखंड क्षेत्र में छोड़ दिया जाए। फिर इसका अध्ययन करने के बाद दूसरा और अंतिम चरण में तीन अन्य बाघ यहां लाकर छोड़े जाएंगे।

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