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    भारत में हुई घोड़े और गैंडे की उत्पत्ति, गुजरात से मिले पांच करोड़ साल पुराने जीवाश्म

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Wed, 11 Nov 2020 09:18 AM (IST)

    घोड़े और गैंडे की उत्पत्ति को लेकर अभी तक विज्ञानियों के अलग मत रहे हैं। पहली बार तथ्यों के साथ यह बात कही गई कि इन प्राणियों की उत्पत्ति भारत में हुई ...और पढ़ें

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    गुजरात के ताड़केश्वर स्थित खदान से मिले घोड़े और गैंडे के जीवाश्म।

    देहरादून, सुमन सेमवाल। घोड़े और गैंडे की उत्पत्ति को लेकर अभी तक विज्ञानियों के अलग-अलग मत रहे हैं। पहली बार तथ्यों के साथ यह बात कही गई है कि इन प्राणियों की उत्पत्ति भारत में हुई है। यह निष्कर्ष वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के विज्ञानियों ने गुजरात से मिले जीवाश्म के अध्ययन के आधार पर निकाला। जीवाश्म करीब पांच करोड़ साल पुराने हैं। घोड़ों व गैंडों के इतने पुराने जीवाश्म पहले नहीं पाए गए।

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    जीवाश्म की यह खोज 'वर्टेब्रेट पैलिएंटोलाजी' जर्नल में प्रकाशित की जा चुकी है। शोध में शामिल रहे वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वरिष्ठ विज्ञानी (अब सेवानिवृत्त) किशोर कुमार ने बताया कि जीवाश्म की खोज गुजरात के सूरत जिले में ताड़केश्वर स्थित लिग्नाइट की खदान में करीब पांच साल पहले शुरू की गई थी। इस खोज में अमेरिका और बेल्जियम के विज्ञानी भी शामिल थे। वहां उम्मीद के अनुरूप घोड़ों व गैंडों के अलावा टैरिट (सूंड वाला प्राणी) के जीवाश्म भी मिले। इनका अध्ययन करने पर पता चला कि जीवाश्म से संबंधित प्राणियों का आकार उस समय कुत्ते के समान था। क्रमिक विकास होने पर अब इनका आकार पहले की तुलना में काफी बड़ा हो गया है। इससे पहले भी ताड़केश्वर की खदान से मेंढक, सांप, कछुआ व बंदर के जीवाश्म मिल चुके हैं। जीवाश्म मिलने का क्रम जारी है, लिहाजा विज्ञानियों की नजर इस जगह पर बनी हुई है।

    जहां खदान, वहां पहले थी झील

    वाडिया संस्थान के अध्ययन में यह भी पता चला है कि इस समय जहां पर खदान है, वहां पांच करोड़ साल पहले तक झील थी। अध्ययन से यह भी पता चलता है कि उस समय मौसम शुष्क नहीं था। क्योंकि जिन प्राणियों के जीवाश्म मिले हैं, उनमें से अधिकतर शाकाहारी हैं। शाकाहारी प्राणियों का वासस्थल वहीं होता है, जहां वनस्पति व साफ पानी पर्याप्त मात्रा में हो।

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