स्वस्थ जीवन के लिए बचपन से सही रखें खानपान, इन बातों का रखें ख्याल
बचपन से ही खानपान की आदतों पर ध्यान दिया जाए ताकि आगे चलकर बच्चों की सेहत को नुकसान ना पहुंचे। समय से नहीं चेते तो गलत खानपान की आदत बीमारी की बुनियाद बन जाती हैं।
देहरादून, सुकांत ममगाईं। बच्चों की खानपान की आदतें आज कमोबेश हर घर में चिंता का विषय बनती जा रही हैं। बार-बार कहने पर भी फल-सब्जियां ना खाना और जंक फूड खाने की जिद करना आजकल आम है। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, उनकी यह जिद और खाने की चीजों को लेकर किया जाने वाला चुनाव, ज्यादा अजीबो-गरीब होता जाता है। अभिभावक चिंता तो करते हैं पर एक समय के बाद वे चाहकर भी बच्चों की खानपान की आदतें नहीं सुधार सकते। नतीजा यह होता है कि ये छोटी-छोटी आदतें आगे चलकर बीमारी की बुनियाद बन जाती हैं। इसलिए जरूरी है कि सही समय पर चेता जाए। बचपन से ही खानपान की आदतों पर ध्यान दिया जाए ताकि आगे चलकर बच्चों की सेहत को नुकसान ना पहुंचे।
दरअसल, लाड़- प्यार में बिना सोचे समझे बच्चों को कुछ भी खाने के लिए देना बहुत नुकसानदेह हो साबित सकता है। इसलिए बच्चों के खानपान पर ध्यान देना माता-पिता की बड़ी जिम्मेदारी है। अक्सर देखने में आता है कि बच्चे घर के पौष्टिक खाने के स्थान पर बाहर के जंक फूड को ही तवज्जो देते हैं। ऐसे में यह बेहद आवश्यक है कि बच्चों को जितना हो सके, जंक फूड से दूर ही रखा जाए।
स्कूलों की जवाबदेही तो तय
ताजा अध्ययन में एक बात और भी सामने आई है। यह आदतें बच्चा उस उम्र में सीखता है, जब वह कैंपस में होता है। वह कई सालों तक अपने साथियों के साथ खानपान के तौर तरीके सीख रहा होता है। ऐसे में अभिभावकों के बाद जिम्मेदारी स्कूल की भी बनती है। यह जरूरी है कि वहां एक ऐसा तंत्र विकसित किया जाए कि बच्चों में अस्वस्थ खानपान की आदतें न विकसित हों।
बच्चों को सेहतमंद बनाने के लिए उन्हें सही पोषण वाले खानपान की जानकारी दी जाए। न स्कूल की कैंटीन में जंक फूड बिके और न टिफिन में इसे लाने की इजाजत दी जाए। सीबीएसई बोर्ड समेत अन्य माध्यमों से इस बावत गाइडलाइन तय की गई है, पर अब वक्त है कि इस पर अमल भी कराया जाए। इसे लेकर जवाबदेही तय की जाए। ताकि भविष्य की नींव कमजोर न पड़े।
अभिभावक, शिक्षक समझें जिम्मेदारी
एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए प्रतिदिन नमक 5 ग्राम, वसा 60 ग्राम, ट्रांसफैट 2.2 ग्राम और 300 ग्राम कार्बोहाइड्रेट की मात्रा तय की गई है। यह गणना एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए रोजाना 2,000 कैलोरी की जरूरत के हिसाब से है। हमारे मील टाइम में इन न्यूट्रिएंट्स का उपभोग रिकमंडेड डायटरी अलाउंस (आरडीए) का 25 फीसदी नहीं होना चाहिए।
वहीं, दिन में दो मुख्य स्नैक्स का उपभोग आरडीए का 10 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए। इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि अभिभावक के साथ-साथ शिक्षक बच्चों को जंक फूड के नुकसान से अवगत कराएं और उन्हें पौष्टिक भोजन करने के लिए प्रेरित करें। साथ ही सरकार को प्रयास करना चाहिए कि ऐसी ठोस नीतिगत पहल करे जिससे भ्रामक सूचना देने वालों पर ठोस कार्रवाई हो सके।
इन बातों का रखें ख्याल
- यह प्रयास करें कि आपका बच्चा ब्रेकफास्ट न सिर्फ अच्छे से खत्म करे, बल्कि आप नाश्ते में उसे कुछ ऐसी चीजें दें जो हेल्दी हों और उसे फिर दिन भर ज्यादा भूख न लगे। दिन की शुरुआत में अगर उनके पसंद के ब्रेकफास्ट से होगी तो वे आपसे जंक फूड की डिमांड करना भूल जाएंगे।
-अगर आप बच्चों की जंक फूड से दूरी बनाना चाहते हैं तो सबसे पहले ऐसे खाद्य पदार्थ अपने रसोई से बाहर करें। अक्सर महिलाएं समय बचाने के चक्कर में जंक फूड को अपनी रसोई में रखती हैं और फिर बच्चे उन्हें देखकर बार-बार खाने की जिद करते हैं। अपने घर के फ्रिज में ताजे फल जरूर रखें। उन्हें आप काटकर रेडी टू इट कर फ्रिज में रखें, ताकि उन्हें निकाल कर खाने में आसानी हो।
- बच्चे जंक फूड खाने की जिद करें तो उन्हें बाजार की जगह घर पर ही कुछ टेस्टी व हेल्दी व्यंजन बनाकर दें। घर का खाना साफ तो होता है ही, साथ ही आप उसे अधिक पौष्टिक ढंग से भी बनाया जा सकता है।
- जंक फूड की आदत दूर करने और उसकी लालसा को शांत करने के लिए किसी स्वस्थ विकल्प को देने की कोशिश करें। उदाहरण के लिए, अगर आपके बच्चे को मीठे खाद्य पदार्थ की इच्छा है तो ताजे फल या छोटी सी मात्रा में ड्राई फ्रूट दे सकते हैं और अगर उसे नमकीन स्नैक्स खाने की आदत है तो आप मुट्ठी भर नट्स दे सकते हैं।
- सबसे जरूरी है समस्या को पहचानना। इसके लिए आहार डायरी आपकी मदद कर सकते हैं। इसमें दिनभर में लिए जाने वाले खाद्य पदार्थों के बारे में लिखकर आप भोजन की समग्र तस्वीर देख पाएंगे और जान पाएंगे कि आपका बच्चा दिन भर में कितना अस्वस्थ भोजन करता है।
पोषक तत्वों की कमी से होने लगती है परेशानी
वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. नवीन जोशी के मुताबिक, एक अध्ययन के मुताबिक लंबे समय तक लिया गया फास्ट फूड या जंक फूड लत बन जाता है। आवश्यक पोषक तत्वों की कमी के कारण ये मानसिक व शारीरिक दौर्बल्य भी उत्पन्न करता है। ऐसे में आवश्यक है कि छोटी उम्र से ही बच्चों में स्वस्थ खानपान की आदतें विकसित की जाएं।
बच्चों को जंक फूड के नुकसान के बारे में बताएं
दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल की डायटीशियन रिचा कुकरेती के अनुसार, बच्चे खुद अपने स्वास्थ्य और सेहत के लिए सजग नहीं हो सकते। ना ही वे खान पान की गलत आदतों के खतरों को समझ सकते हैं। उनका मासूम मन केवल स्वाद जानता है। इसलिए उन्हें सेहत के लिए घातक राह पर चलने से रोकने का काम अभिभावक कर सकते हैं। उन्हें प्यार से जंक फूड के नुकसान बताएं।
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स्कूलों को होना पड़ेगा सख्त
साइकोलॉजिस्ट डॉ. सोना कौशल गुप्ता के अनुसार, बच्चों के सामने खुद भी जंक फूड खाने से बचें और उन्हे बराबर फल एवं प्राकृतिक खाद्य पदार्थों के फायदे के बारे में बताते रहें। उन्हें बाहर के खाने के दुष्प्रभावों से अवगत कराएं। स्कूल की ना कैंटीन में जंक फूड बिकना चाहिए और ना टिफिन में इन्हें लाने की इजाजत होनी चाहिए।
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