हिंदूवादी संगठनों के विरोध के चलते उत्तराखंड में केदारनाथ फिल्म का प्रदर्शन प्रतिबंधित
हिंदूवादी संगठनों के विरोध के चलते उत्तराखंड के सभी जिलाधिकारियों ने केदारनाथ फिल्म के प्रदर्शन को प्रतिबंधित कर दिया।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। केदारनाथ आपदा की पृष्ठभूमि पर अभिषेक कपूर के निर्देशन में बनी फिल्म केदारनाथ का प्रदर्शन उत्तराखंड में नहीं किया जाएगा। सरकार ने इस संबंध में फैसला सभी जिलों के जिलाधिकारी के विवेक पर छोड़ दिया, जिसके बाद जिलाधिकारियों ने अपने-अपने जिलों में फिल्म के प्रदर्शन को प्रतिबंधित कर दिया। हालांकि शासन स्तर से फिल्म के प्रदर्शन पर कोई रोक नहीं लगाई गई है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई बैठक में फिल्म की समीक्षा के लिए गठित रिव्यू कमेटी की रिपोर्ट पर विस्तृत विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया। देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी, टिहरी, नैनीताल, ऊधमसिंह नगर व अल्मोड़ा जिलों में फिल्म के प्रदर्शन को प्रतिबंधित कर दिया गया। शेष जिलों में सिनेमाघर नहीं हैं।
फिल्म केदारनाथ देश भर में आज रिलीज हो गई है। उत्तराखंड में फिल्म का ट्रेलर जारी होने के बाद इसका विरोध शुरू हो गया था। दरअसल, फिल्म में केदारनाथ के जलप्रलय को जोड़कर ताना-बाना बुने जाने के साथ ही इसके कुछ दृश्यों को लेकर विरोध किया जा रहा है।
इसे देखते हुए राज्य सरकार ने राज्य में इस फिल्म के प्रदर्शन से पहले इसकी समीक्षा का निर्णय लिया। कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता में गठित समिति ने टपकेश्वर स्थित पर्यटन विकास परिषद कार्यालय में फिल्म को देख इसकी समीक्षा की।
इसके बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में एक बैठक हुई। बैठक में फिल्म के प्रदर्शन को लेकर हाईकोर्ट के निर्णय के साथ ही समिति की रिपोर्ट पर विस्तृत चर्चा की गई। इसके बाद यह निर्णय लिया गया कि हर जिले में कानून-व्यवस्था के मद्देनजर जिलाधिकारी फिल्म के प्रदर्शन को लेकर अपने स्तर से निर्णय लेंगे।
कल देर शाम को सभी जिलों को इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए गए, जिस पर जिलाधिकारियों ने अपने-अपने जिलों में फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दी।
बैठक में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, सचिव सूचना दिलीप जावलकर, पुलिस महानिदेशक अनिल कुमार रतूड़ी, अपर पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार व बी विनय कुमार व अपर सचिव गृह आशीष जोशी भी उपस्थित थे।
केदारनाथ फिल्म के विरोध में हिंदूवादी संगठन
भले ही तमाम विवादों के बावजूद शुक्रवार को रिलीज हो रही केदारनाथ फिल्म को हाइकोर्ट ने क्लीन चिट दे दी है। फिर भी कई संगठन इसकी रिलीज पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। संगठनों का कहना है कि फिल्म में हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के साथ केदारनाथ धाम की छवि धूमिल करने का प्रयास किया गया है।
हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं ने दून के पैसेफिक मॉल, सिलवर सिटी, टाइम स्क्वायर, क्रॉस रोड मॉल सहित सभी सिनेमाघरों में केदारनाथ फिल्म का प्रदर्शन न करने की अपील की। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने चकराता रोड स्थित प्रभात सिनेमाघर में फिल्म का पोस्टर फाड़कर विरोध भी जताया। इस मौके पर प्रदेश संगठन महामंत्री संदीप खत्री, महानगर अध्यक्ष रंजीत ठाकुर, राजीव कनौजिया, त्रिभुवन नेगी, खष्टी सिंह, अजय गुप्ता आदि मौजदू रहे।
वहीं, हिंदू जागरण मंच और वीरांगना वाहिनी ने संयुक्त रूप से मियांवाला चौक पर सेंसर बोर्ड का पुतला फूंका। इस दौरान वीरांगना वाहिनी की जिलाध्यक्ष अंजना द्रोणी, महानगर अध्यक्ष रेखा भट्ट, उपाध्यक्ष सुधा राणा, हिंदू जागरण मंच के अर्जुन सिंह गुनियाल, संतोष रतूड़ी, मनिंद्र सिंह बिष्ट आदि मौजूद रहे।
विश्व हिंदू परिषद, महानगर ने केदारनाथ फिल्म का विरोध कर लैंसडोन चौक पर फिल्म निर्देशक अभिषेक कपूर और अभिनेता सुशांत राजपूत का पुतला जलाया। उन्होंने सभी सिनेमाघरों से फिल्म का प्रदर्शन न करने की अपील की।
कहा कि फिल्म में बेबुनियाद कहानी को दिखाया गया है, जो केदारनाथ धाम की पवित्रता पर चोट करने जैसा है। इस दौरान परिषद के विभाग मंत्री गिरिराज सिंह, प्रदेश संयोजक संतोष रावत, संजय पंवार, सुभाष चमोली आदि मौजूद रहे।
पांच मल्टीप्लेक्स ने पहले ही खींच लिए थे हाथ
केदारनाथ फिल्म के रिलीज से पहले ही दून के पांच मल्टीप्लेक्स ने इसके प्रदर्शन से पहले हाथ खींच लिए थे। सिर्फ इंदिरानगर स्थित विकास मॉल के मल्टीप्लेक्स में एडवांस बुकिंग गुरुवार रात तक जारी थी और शुक्रवार के सात शो के लिए 174 टिकट बुक किए जा चुके थे। हालांकि दून में फिल्म के प्रदर्शन पर देर रात रोक के आदेश जारी होने पर यह बुकिंग भी निरस्त मानी जाएगी।
उत्तराखंड फिल्म एसोसिएशन के सचिव व सिल्वर सिटी मल्टीप्लेक्स के निदेशक सुयश अग्रवाल ने बताया कि फिल्म को लेकर विरोध लगातार जारी था, जबकि पुलिस-प्रशासन की तरफ से सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए जा रहे थे। इसके चलते दून के पांच मल्टीप्लेक्स ने पहले ही केदारनाथ फिल्म की एडवांस बुकिंग से हाथ खींच लिए थे।
इसी तरह ऋषिकेश में एकमात्र सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर में भी फिल्म का प्रदर्शन न करने का निर्णय ले लिया गया था। एसोसिएशन के सचिव अग्रवाल का कहना है कि जब तक जिलाधिकारी की ओर से फिल्म के प्रदर्शन की अनुमति नहीं मिल जाती, तब तक फिल्म का प्रदर्शन नहीं किया जाएगा।
केदारनाथ फिल्म पर रोक से हाईकोर्ट का इन्कार
नैनीताल हाईकोर्ट ने केदारनाथ त्रासदी पर बनी फिल्म केदारनाथ की रिलीज पर रोक लगाने को लेकर दायर जनहित याचिका को खारिज करते हुए टिप्पणी की है कि पदमावत फिल्म पर विवाद खड़ा कर उसे सुपरहिट बना दिया गया था।
गढ़वाल के समाजसेवी स्वामी दर्शन भारती ने याचिका दायर कर कहा था कि फिल्म में बोल्ड सीन हैं और वह लव जिहाद पर आधारित है। जनहित याचिका में केदारनाथ मंदिर समिति द्वारा विरोध करने का जिक्र किया है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई।
खंडपीठ ने राज्य सरकार की ओर से पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता में बनाई गई उच्चस्तरीय कमेटी पर निर्णय छोड़ दिया। कोर्ट ने यह भी साफ किया कि रूद्रप्रयाग के जिलाधिकारी अपने विवेक का उपयोग कर कानून व्यवस्था जैसी स्थिति उत्पन्न होने पर फिल्म पर रोक लगा सकते हैं या केदारनाथ की आस्था के खिलाफ फिल्माए दृश्यों पर आपत्ति कर उन्हें हटाने के लिए सेंसर बोर्ड से आग्रह कर सकते हैं। याचिका में कहा गया था कि 2013 में केदारनाथ में आई आपदा को प्रेम यात्रा बताया गया है।
फिल्म रोकने के लिए शरीर त्यागने को भी तैयार: याचिकाकर्ता
याचिकाकर्ता दर्शन भारती ने याचिका खारिज होने पर निराशा जताई। उन्होंने कहा कि केदारनाथ की आस्था से खिलवाड़ करने वालों की साजिश सफल नहीं होने देंगे। फिल्म रिलीज रोकने के लिए शरीर का त्याग करने को भी तैयार हैं।
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