Uttarakhand: वाडिया के अध्ययन ने पलटी पुरानी थ्योरी, जोशीमठ भूस्खलन के मलबे पर नहीं, ग्लेशियर मलबे पर बसा
वाडिया संस्थान के अध्ययन ने पुरानी थ्योरी को पलट दिया है। जोशीमठ क्षेत्र भूस्खलन के मलबे पर नहीं, बल्कि ग्लेशियर मलबे पर बसा है। यह खोज जोशीमठ की भूगर ...और पढ़ें

वाडिया संस्थान में ल्यूमिनेसेंस डेटिंग और इसके अनुप्रयोग पर राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित।
जागरण संवाददाता, देहरादून: यूं तो बदरीनाथ धाम के अहम पड़ाव जोशीमठ की जमीन सालों से धंस रही है, लेकिन वर्ष 2022-23 के दरम्यान यहां धंसाव की गंभीर स्थिति सतह पर देखने को मिली। विभिन्न क्षेत्रों में यह धंसाव कुछ सेंटीमीटर से लेकर 14.5 मीटर तक भी पाया गया।
अब तक यही बात कही जा रही थी कि जोशीमठ पुराने भूस्खलन के मलबे के ऊपर बसा है। जिस कारण यहां की जमीन धंस रही है। लेकिन, वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के नए अध्ययन से इस अवधारणा को पूरी तरह बदल दिया है। जिसमें विज्ञानियों के कहा कि समूचा जोशीमठ क्षेत्र भूस्खलन के मलबे पर नहीं, बल्कि ग्लेशियरों की ओर से पीछे छूटे मलबे के ढेर पर बसा है।
वाडिया संस्थान में ल्यूमिनेसेंस डेटिंग और इसके अनुप्रयोग पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में वरिष्ठ विज्ञानी डा. मनीष मेहता ने शोधार्थियों को बताया कि जोशीमठ क्षेत्र में जो बड़े-बड़े बोल्डर नजर आते हैं, वह गहरे तक धंसे नहीं हैं।
वह सतह पर उभरे प्रतीत होते हैं। इससे पता चलता है कि करीब 7000 साल पहले यह पूरा क्षेत्र ग्लेशियर से ढका था। ग्लेशियरों के पीछे खिसकने के बाद जो मलबा छूट गया, उसमें भारी बोल्डर भी थे।
समय के साथ इस मलबे ने ठोस धरातल का रूप ले लिया और फिर उस पर बसावट होने लगी। यही कारण भी है कि जोशीमठ की जमीन अपेक्षाकृत कमजोर है। इसके साथ ही उन्होंने शोधार्थियों को ग्लेशियरों की निगरानी के समय बरती जाने वाली सावधानियों से भी अवगत कराया।
इससे पहले कार्यशाला का उद्घाटन भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला अहमदाबाद के प्रोफेसर अशोक सिंघवी ने किया। उन्होंने ल्यूमिनेसेंस डेटिंग के आरंभ, वर्तमान और भविष्य पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भूगर्भीय इतिहास को जानने के लिए यह तकनीक बेहद कारगर साबित हो रहा है।
वहीं, एसोसिएशन आफ ल्यूमिनेसेंस डेटिंग के अध्यक्ष डा माधव मुरारी ने इस तरह की कार्यशालाओं और इससे मिलने वाले लाभ के बारे में बताया। इस दौरान कार्यशाला में 46 शोधपत्रों और 30 पोस्टरों को प्रदर्शित किया गया। कार्यक्रम में वाडिया संस्थान के निदेशक डा विनीत गहलोत, प्रो. विमल सिंह, डा संदीप पांडा, जयेश मुखर्जी, डा पूनम चहल, डा महेश बदनल, अरबाज पठान और अक्षय कुमार आदि ने व्याख्यान दिए।

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