Jagran Samvadi Dehradun: जहां की तस्वीर, वहीं की मिट्टी और पानी से बनती है 'मृदाकृति' पेंटिंग
देहरादून के आयुष बिष्ट मिट्टी से पेंटिंग बनाकर युवाओं को रोजगार दे रहे हैं। मृदाकृति स्टार्टअप के तहत वे स्थानीय मिट्टी और पानी का उपयोग कर धार्मिक स्थलों की पेंटिंग बनाते हैं। इन पेंटिंग में लगे क्यूआर कोड से निर्माण प्रक्रिया की जानकारी मिलती है। दिल्ली गुजरात जैसे शहरों से ऑर्डर मिल रहे हैं। अब वे डाटकाली मंदिर जैसे अन्य धार्मिक स्थलों की पेंटिंग बनाने की योजना बना रहे हैं।

जागरण संवाददाता, देहरादून। दून के युवा आयुष बिष्ट मिट्टी से पेंटिंग बनाकर अपना हुनर दिखा रहे हैं। खास बात है कि पेंटिंग जिस भी क्षेत्र की होगी उसमें वहां का पानी और मिट्टी को इस्तेमाल किया जाता है। विभिन्न प्रदर्शनी में आयुष की केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री के अलावा विभिन्न झरने घाटियों की पेंटिंग खूब बिकती है।
इसके अलावा कई विभाग और अन्य राज्यों में लोग भी उनकी पेंटिंग को खरीदते हैं। इन पेटिंग में लगे क्यूआर स्कैन कर बताता है कि इसे किस तरह से तैयार किया गया। आयुष जहां अपनी प्रतिभा को दिखा रहे हैं वहीं उन्होंने अबतक आठ युवाओं को अपने साथ रोजगार से जोड़ा है। वर्तमान में आयुष ने ''मृदाकृति'' नाम से स्टार्टअप शुरू किया है।
दैनिक जागरण के संवादी कार्यक्रम में ''मृदाकृति'' स्टाल पर जाकर लोगों ने खूब खरीदारी की।
मूल रूप से चमोली जिले के गौचर के तोलसैंण निवासी आयुष बिष्ट वर्तमान में नथुआवाला में रहते हैं। बचपन से ही मिट्टी की कलाकृति बनाते थे जो इसी में रुचि होने के कारण 12वीं तक पढ़ाई की। इसके बाद मिट्टी की पेंटिंग बनाने में जुट गए।
आयुष ने बताया कि धार्मिक होने के कारण उन्होंने सबसे पहले धार्मिक क्षेत्रों की पेंटिंग बनानी शुरू की। केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री की पेंटिंग बनाई जो लोगों को काफी पसंद आई। इसके बाद वे पेंटिंग को और बेहतर करने और नई सोच के साथ इस कार्य में जुट गए। उन्होंने सोचा कि जिसकी भी पेंटिंग बना रहे हैं यदि उसमें वहीं की मिट्टी और पानी मिलाया जाए तो महत्ता और भी बढ़ जाएगी। उनके इस कार्य को लोगों ने काफी सराहा। आयुष ने बताया कि वैसे तो उन्हें इस कार्य को करते नौ वर्ष हो गए लेकिन इसमें नया रूप देना दो वर्ष से शुरू करते हुए ''मृदाकृति'' नाम स्टार्टअप शुरू किया।
देहरादून के आराघर में ही ''मृदाकृति'' का कार्यालय खोला है। जहां अमिता बिष्ट, आंचल नेगी, अमन बिष्ट भी उनके साथ इस कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं। जब काम ज्यादा होता है तो तीन से चार अन्य युवाओं को भी रोजगार दिया जाता है। जब भी वे कोई पेंटिंग करते हैं तो उसमें मिट्टी और पानी के अलावा कोई भी रंग नहीं मिलाया जाता। इसमें लंबे समय तक चमक बनी रहती है।
दिल्ली, गुड़गांव, गुजरात से मिलते हैं आर्डर
''मृदाकृति'' के संचालक आयुष ने बताया कि शुरूआती दौर में देहरादून में कुछ लोग उनकी पेंटिंग को खरीदते थे। लेकिन धीरे-धीरे अन्य जगह भी लोगों को यह पसंद आने लगी। पर्यटन विभाग से हर बार पेंटिंग के आर्डर मिलते हैं। इसके अलावा दिल्ली, गुड़गांव, गुजरात, चंडीगढ़ समेत कई शहरों से भी पेंटिंग की मांग आती है। जिन्हें पार्सल कर भिजवाया जाता है। उनका फेसबुक पेज आयुष बिष्ट के नाम से है जब भी कोई पेंटिंग बनाते हैं तो इसमें उसे भी अपलोड कर देते हैं।
मां डाटकाली मंदिर और चारों सिद्ध की भी बनेगी पेंटिंग
आयुष ने बताया कि अभी तक वे केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, महासू देवता, कार्तिक स्वामी, नीब कौरोली बाबा, अयोध्या राम मंदिर, श्रीकृष्ण मूर्ति मथुरा की कई सौ पेंटिंग बनाई हैं। पेपर के साइज ए, ए-5,ए-3, ए-1 और 3/4 फीट पर विभिन्न पेंटिंग तैयार की जाती है। उन्होंने बताया कि जल्द ही मां डाटकाली मंदिर, देहरादून के चारों सिद्ध समेत अन्य धार्मिक स्थलों की पेंटिंग बनाई जाएगी।
सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत है मिट्टी की पेंटिंग
मिट्टी के पेंटिंग के फायदे देखा जाए तो सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत, अपनी भूमि या प्रकृति के ओर आकर्षण बढ़ाना , धार्मिक स्थलों की ऊर्जा का मिट्टी के माध्यम से संचार होना और सबसे खास कि प्राकृतिक रंगों से प्रकृति के तमाम आकारों का अनुभव करना। पेंटिंग का लंबे समय तक टिकने के पीछे उसको किस तरीके से तैयार किया गया है और बेहतर क्वालिटी का पेज उपयोग करना साथ ही कंकड़ पत्थरों को हटाकर सिर्फ मिट्टी के पाउडर का उपयोग करना । और प्राकृतिक रंग है तो फेड नहीं होगा जिस वजह से चमक हमेशा बरकरार रहेगी।
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