Jagran Samvadi Dehradun: उपन्यासकर चेतन भगत ने 'लिखते-लिखते प्यार हो जाए' सत्र में बेबाकी से रखी अपनी बात
लेखक चेतन भगत ने देहरादून संवाद में लिखते-लिखते प्यार हो जाए सत्र में अपने लेखन अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि वे लोगों के जीवन में खुशी लाने के लिए लिखते हैं और पाठकों के साथ गहरा संबंध महसूस करते हैं। चेतन ने युवाओं को प्रेरित करने सामाजिक मुद्दों पर चर्चा को बढ़ावा देने और भारतीय संस्कृति को आधुनिक समय के साथ जोड़ने के महत्व पर जोर दिया।

नवीन पपनै, देहरादून। मैं क्यों लिखता हूं, किसके लिए लिखता हूं, मुझे लोग क्यों पढ़ें, यह जानना जरूरी है। मैं यही कोशिश करता हूं कि इससे किसको कितना क्या फायदा हो रहा है। मैं जब भी लिखता हूं तो यही सोचता हूं कि इससे लोगों के जीवन में खुशी आए। लोग हमेशा मुस्कुराते रहें, इसलिए लोगों को हंसाना जरूरी है।
हंसने के फायदे ही हैं। जिंदगी में और रखा ही क्या है.. नकारात्मकता क्यों फैलानी है। उपन्यासकार चेतन भगत के इन शब्दों ने देहरादून संवादी के दूसरे दिन के पांचवें सत्र की शुरुआत में ही माहौल बना दिया। 'लिखते-लिखते प्यार हो जाए' सत्र में चेतन भगत को सुनने के लिए श्रोताओं की भीड़ ने बताया कि उन्हें पढ़ने वालों की दीवानगी क्यों बरकरार है।
चेतन भगत का कथानक जिंदगी के हर पहलू को छूता है, इसलिए इसका जादू पाठकों के सिर चढ़कर बोलता है। कथ्य की गहराई ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनकी किताब '2 स्टेट्स: द स्टोरी आफ माई मैरिज' का पंजाब में एक लड़की की शादी में स्टाल लगाया गया। एक पंजाबी लड़के और एक तमिल लड़की की प्रेम कहानी पर आधारित इस पुस्तक से प्रेरित होकर पंजाब के एक व्यक्ति ने यह प्रयोग किया।
यह कुछ नया सोचने और उसे अभिव्यक्त करने का फीडबैक था। यानी आपकी बात को समाज सुन रहा है, गंभीरता से ले रहा है। उसके यथार्थ को समझ रहा है। चेतन इसे मेहनत को समझने और महत्व देने का जरिया मानते हुए कहते हैं कि यही साहित्य की शाब्दिक गहराई है। कौन सी चीज किस पर कैसे गहरा असर डाल दे, यही समझने की जरूरत है।
चेतन साहित्य सृजन की महत्ता तो बखूबी पहचानते हैं। तभी तो कहते हैं, किताबें तो किताबें हैं, मनोरंजन के लिए अन्य जगह हैं। हालांकि अब सब जगह मनोरंजन हावी है। भले ही वह न्यूज ही क्यों न हो। लेखन की विषयवस्तु बदलने पर उनका तर्क भी गजब का था। मैंने जब लिखना शुरू किया तो दोस्ती और प्यार की कहानियों को लेखन का आधार बनाया। अब समय के साथ थोड़ा प्यार से विश्वास उठ गया था। इससे लेखन में भी बदलाव आया।
अब परिपक्व प्रेम कहानियों से लेखन को आगे बढ़ा रहे हैं। चेतन ने युवाओं को प्रेरित किया है, सामाजिक मुद्दों पर चर्चा को बढ़ावा दिया है और भारतीय संस्कृति को आधुनिक समय के साथ जोड़ने में मदद की है। उन्हें सिर्फ उपन्यासकार या लेखक के बजाय एक युवा आइकन माना जाता है। दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रो. गीतांजलि काला के संचालन में हुए सत्र में श्रोताओं की ओर भी कई सवाल पूछे गए।
चेतन का चिंतन
- मैं सभी लेखकों को पढ़ता हूं, लेकिन मजा नहीं आ रहा होता है तो नहीं पढ़ता। मेरा मन चंचल है। यदि मैं बोर हो रहा होता हूं तो खुद को अलग कर देता हूं।
- हम सब फोन के गुलाम बन गए हैं। पढ़ने की आदत खत्म हो गई है। देखा जा रहा है कि वीडियो और रील पर सभी का सबसे ज्यादा भरोसा है।
- किसी ने मुझसे कहा कि आपका लेखन टमाटर की चटनी जैसा है। यह खाने की टेबल में सजी तो रहती है, लेकिन कभी इसकी चर्चा नहीं होती।
- हिंदी फिल्म देखना कूल है, म्यूजिक सुनना कूल है तो किताबें पढ़ाना कूल क्यों नहीं है। डाक्टर के बारे में हम धारणा बनाते हैं कि वीडियो देखकर पढ़ने वाले के बजाय किताबों पढ़ने वाले से ही इलाज कराएंगे, भले ही हमने कभी किताबें न पढ़ी हों।
- बुजुर्ग होने के बड़े नुकसान हैं, लेकिन एक फायदा यह है कि थोड़ा अकल आ जाती है। मैं भाग्यशाली हूं कि पैसा और ख्याति के चपेट से बाहर आ गया हूं।
- भविष्य में बाबा बनने का प्लान है, बाबा बनना आसान है। इसमें कुछ नहीं करना होता है, लेकिन एप बहुत हैं और एप सभी के होते हैं।
- किताब पढ़ने की आदत होनी चाहिए। किताबें जिंदगी बदल देती हैं। मेरी भी बदली। नौकरी छोड़कर लेखन की दुनिया में आ गया।
- चैट जीबीटी ने जिंदगी का सफर नहीं देखा है। यह मुख्यत: पूरी दुनिया के इंटरनेट का रट्टामार है। यह चीजों को आसान तो करता है लेकिन यह वास्तविक सामग्री नहीं देगा।
युवाओं के सामने प्रेरणा का संकट
चेतन को युवा आइकन यूं ही नहीं कहा जाता, उन्होंने जोर देकर कहा कि वह देश के युवाओं से प्रेरित होते हैं कई युवा हैं जो ग्राउंड लेबल से आए हैं। उन्होंने अपना-अपना स्टार्टअप शुरू किया है। मैं उन्हें सलाम करता हूं कि उन्होंने कैसे जीरो से अपना काम शुरू किया। उनका काम प्रेरित करने वाला होता है।
चेतन की सीख
युवाओं की इंस्ट्राग्राम और फेसबुक की लत कब किताबों से जुड़ेगी, यह सवाल एक श्रोता की ओर से आया तो चेतन भगत ने कहा कि मोबाइल का यह अवैध नहीं है, न ही चेतावनी दी जाती है। इसे तंबाकू या सिगरेट की डिब्बी में उसके हानिकारक होने की चेतावनी जैसा भी नहीं माना जा सकता।
अपनी जिंदगी बर्बाद करना अवैध है। आपको इसके लिए सरकार नहीं रोकेगी। आप अपने आपको खत्म कर दो किसी को फर्क नहीं पड़ेगी। हमारे घर में चीनी पड़ी है। अब यह तो नहीं कि हमेशा खाते रहो। यही फोन के प्रयोग पर लागू होता है। जीवन में हर चीज का बिल आता है। तब लगेगा कि मैं क्या कर रहा था।
आपको खुद तय करना है। प्रतिस्पर्धा है ही नहीं। पांच साल अपने जीवन पर फोकस करें। मैं खुद को बर्बाद करूंगा तो बचाने कोई नहीं आएगा।
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