परिवार की सैन्य परंपरा को आगे बढ़ा रहीं बेटियां, पहली बार सीधे ITBP में कमीशंड हुईं दो महिला अधिकारी
महिलाएं अब हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधा मिलाकर अपनी इच्छाशक्ति का लोहा मनवा रही हैं। इन्हीं में से एक हैं आइटीबीपी सहायक सेनानी दीक्षा और प्रकृति राय। अब तक आइटीबीपी में महिला अधिकारी चिकित्सा शाखा या भारतीय पुलिस सेवा से प्रतिनियुक्ति पर शीर्ष पदों पर तैनात हैं।

संवाद सहयोगी, मसूरी। महिलाएं अब हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपनी इच्छाशक्ति का लोहा मनवा रही हैं। इन्हीं में से एक हैं भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) सहायक सेनानी (जीडी) दीक्षा और प्रकृति राय। अब तक आइटीबीपी में महिला अधिकारी चिकित्सा शाखा या भारतीय पुलिस सेवा से प्रतिनियुक्ति पर शीर्ष पदों पर तैनात हैं। यह पहली बार है जब ये दो महिला अधिकारी सीधे आइटीबीपी में कमीशंड हुई हैं। उन्हें अब कंपनी कमांडर के तौर पर तैनात किया जाएगा। ये दोनों बेटियां परिवार की सैन्य परंपरा को आगे बढ़ा रही हैं।
पिता को देख वर्दी पहनने का जुनून
एक पिता के लिए इससे ज्यादा गर्व का पल और क्या हो सकता है कि उनकी बेटी उनके सामने उन्हीं के विभाग की अधिकारी बन जाए। ऐसा ही एक भावुक पल उस समय आया जब इटावा (उत्तर प्रदेश) निवासी दीक्षा मसूरी स्थित आइटीबीपी अकादमी से बतौर सहायक सेनानी पास आउट हुईं। उनके पिता कमलेश कुमार भी आइटीबीपी में इंस्पेक्टर हैं।
वर्तमान में वह उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में तैनात हैं। जैसे ही दीक्षा अकादमी से पास हुई पिता कमलेश कुमार ने उन्हेंं सैल्यूट किया। दीक्षा ने पौड़ी जिले के श्रीनगर स्थित एनआइटी से बीटेक किया था। इसके बाद वहनिजी कंपनी में दो साल नौकरी करती रहीं, लेकिन मन में पिता की ही तरह वर्दी पहनने की ललक थी। आइटीबीपी में महिला अधिकारियों की नियुक्ति शुरू हुई तो उन्होंने नौकरी छोड़ संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा के जरिये आइटीबीपी में शामिल होने की तैयारी शुरू कर दी। आखिरकार उन्होंने अपना मुकाम हासिल कर लिया है। उनकी तैनाती आइटीबीपी की दूसरी बटालियन में हुई है।
मां को खोया, पर हौसला नहीं
एक अच्छा नेतृत्वकर्ता वही है, जो परेशानी में भी धैर्य न खोए और विपरीत परिस्थितियों से पार पा ले। आइटीबीपी में सहायक सेनानी बनीं समस्तीपुर (बिहार) की प्रकृति राय भी हिम्मत और हौसले की मिसाल हैं। प्रकृति ने नागपुर विश्वविद्यालय से बीटेक किया है। इंजीनियरिंग के बाद उनके पास नौकरी के तमाम विकल्प थे, पर उन्होंने देश सेवा को शीर्ष पर रखा। संघ लोक सेवा आयोग की प्रवेश परीक्षा में शामिल हुईं और सफल रहीं।
प्रकृति के पिता रामप्रकाश राय भारतीय वायुसेना के रिटायर्ड वारंट अधिकारी हैं। उनकी मां मंजू एक शिक्षक थीं। प्रकृति बताती हैं कि वह आइटीबीपी अकादमी में प्रशिक्षण ले रही थीं, तब एक दुर्घटना में मां की मौत हो गई। यह उनके लिए बड़ा आघात था। मां ने मुश्किलों से लड़ना सिखाया था और उन्हीं की प्रेरणा से वह आइटीबीपी में अफसर बन गई हैं। उनकी तैनाती आइटीबीपी की 14वीं बटालियन में हुई है।
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