IPL 2020: क्रिकेट पर सट्टे से करोड़पति बनने की चाहत में लुटाए लाखों, सट्टा प्रेमियों की लिस्ट देख पुलिस भी हैरान
आइपीएल क्रिकेट टूर्नामेंट को लेकर क्रिकेट प्रेमियों की दीवानगी किसी से छिपी नहीं है। पर इस दीवानगी के पीछे देश और उत्तराखंड के तमाम लोगों के करोड़पति बनने की भी चाहत छिपी हुई है जिसका ऑनलाइन सट्टेबाजी चलाने वाले गिरोह भरपूर फायदा उठा रहे हैं।
देहरादून, संतोष तिवारी। शारजांह में चल रहे आइपीएल क्रिकेट टूर्नामेंट को लेकर क्रिकेट प्रेमियों की दीवानगी किसी से छिपी नहीं है। पर इस दीवानगी के पीछे देश और उत्तराखंड के तमाम लोगों के करोड़पति बनने की भी चाहत छिपी हुई है, जिसका ऑनलाइन सट्टेबाजी चलाने वाले गिरोह भरपूर फायदा उठा रहे हैं। ऐसा ही एक गिरोह बीते दिनों उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में पकड़ा गया। इस काले कारोबार में सरगना का पूरा कुनबा लगा हुआ था। गिरोह के पास से तीस लाख रुपये से अधिक की नकदी की बरामदगी से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि क्रिकेट पर सट्टा लगाने वालों की तादाद कितनी है और इसके प्रति दीवानगी इस हद तक बढ़ती जा रही है।
उत्तराखंड में यह पहली बार नहीं है कि क्रिकेट पर ऑनलाइन सट्टेबाजी चलाने वाला गिरोह पकड़ा गया हो। बीते दिनों पुलिस ने जिस गिरोह को पकड़ा वह बीते चार-पांच वर्षों में आधा दर्जन से अधिक बार जेल की हवा खा चुका है, लेकिन जेल से छूटने के बाद हर बार वह दोगुनी रफ्तार से ऑनलाइन सट्टेबाजी का धंधा चलाना शुरु किया। सूत्रों की मानें तो पुलिस को ऑनलाइन क्रिकेट सट्टेबाजी गिरोह के सरगना अजय जयसवाल और उसके भाई हरिओम जायसवाल के पास से जो डायरी और रजिस्टर मिले हैं। उसमें हजारों की संख्या में सट्टा लगाने वालों के नाम और मोबाइल नंबर दर्ज हैं। यह सभी उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोग शामिल हैं।
दरअसल, क्रिकेट पर सट्टा लगाने में सबसे ज्यादा युवा वर्ग आगे है। यह वह लोग हैं जो एक ही झटके में लखपति से करोड़पति बनने का ख्वाब देखते हैं। इसमें से कुछ के सपने पूरे तो हो जाते हैं, लेकिन अधिकांश अपनी जमा पूंजी तक गवा देते हैं। पुलिस की पूछताछ में अजय जायसवाल ने बताया कि कभी कभार इस सट्टे में ऐसे लोग भी आ जाते हैं, जो हारने के बाद पैसा देने से मुकर जाते हैं। ऐसे ही लोग बाद में पुलिस को सट्टेबाजी की मुखबिरी कर देते हैं।
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महज तीन महीने की है सजा
भारत में जुआ, सट्टेबाजी गैर कानूनी है। यह 1867 के सार्वजनिक द्युत अधिनियम के तहत अपराध भी है। यह अंग्रेजो के शासन में बनाया गया पुराना कानून है। इस 145 साल पुराने कानून के तहत जुआघर चलाना, जुआघर चलाने में मदद करना, जुआ घर जाना चाहे आप खेले या नहीं, जुए में पूंजी लगाना और जुआ उपकरण रखना अपराध है। बार एसोसिएशन के सचिव और वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल शर्मा बताते हैं कि जुआ अधिनियम में दो सौ रुपये तक जुर्माना और तीन महीने तक की सजा का प्रावधान है।
एसपी सिटी श्वेता चौबे ने बताया कि ऑनलाइन सट्टेबाजी को लेकर पुलिस ने कार्रवाई तेज कर दी है। मुखबिर तंत्र को अलर्ट रखा गया है। इस पर शिकंजा कसने की हरसंभव कोशिश की जा रही है।