Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दुनियाभर से जुटे वैज्ञानिकों ने जैव विविधता संरक्षण पर पेश की रिपोर्ट

    By Edited By:
    Updated: Sat, 06 Oct 2018 08:19 AM (IST)

    एफआरआइ में अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता कांग्रेस में दुनियाभर से जुटे वैज्ञानिकों ने सुरक्षण को लेकर अपनी रिपोर्ट पेश की। जापान से आए डेलीगेट्स ने उत्तरा ...और पढ़ें

    Hero Image
    दुनियाभर से जुटे वैज्ञानिकों ने जैव विविधता संरक्षण पर पेश की रिपोर्ट

    देहरादून, [जेएनएन]: एफआरआइ में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता कांग्रेस में दुनियाभर से जुटे वैज्ञानिकों ने सुरक्षण को लेकर अपनी रिपोर्ट पेश की। इस दौरान जापान से आए डेलीगेट्स ने उत्तराखंड को पर्यावरण के क्षेत्र में समृद्ध राज्य बताते हुए यहां की सुंदरता की तारीफ की। साथ ही ऑर्गेनिक खेती को हब के रूप में विकसित किए जाने का सुझाव भी दिया गया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद के महानिदेशक डॉ. एससी गैरोला ने कहा कि जैव विविधता प्रभावित होने का असर सीधे यहां जीव-जंतु, जलवायु परिवर्तन एवं पारस्थितिकीय पर दिखता है। उन्होंने रेड प्लस रणनीति के बारे में भी जानकारी दी। इससे पहले पर्यावरण विशेषज्ञ श्यामशरण ने पर्यावरण क्षरण, जलवायु परिवर्तन के परिणामों से निपटने के बारे में वैज्ञानिक पक्ष के साथ जानकारी दी। 

    इधर, सेमीनार में शामिल जापान के डेलीगेट्स ने जापान के शहरीकरण के बाद उत्पन्न समस्याओं की जानकारी दी। कहा कि आज भी यहां ऑर्गेनिक खेती पर जोर दिया जाता है। उन्होंने उत्तराखंड के पर्यावरण और जैव विविधता को बचाए रखने की अपील की। साथ ही नदी, नाले और दूसरे प्राकृतिक स्रोत को भी सुरक्षित रखने पर जोर दिया। इस दौरान नाइजीरिया, इंग्लैंड, डेनमार्क आदि देशों के प्रतिनिधि मंडल भी शामिल हुए। पारंपरिक खेती की तरफ लौटे ग्रामीण हिमाचल प्रदेश के किन्नौर से पहुंचे ग्रामीणों ने वहां की जैव विविधता की जानकारी दी।

     कहा कि पारंपरिक फसलों से लोगों का कुछ साल पहले मोहभंग हो गया था। मगर, अब विश्व के बाजार में मोटे अनाज की मांग बढ़ने पर लोग पारंपरिक खेती करने लगे हैं। इसके अलावा नकदी फसलों और उसमें भी ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं। कालपा के प्रवीण कुमार, पूनंग की स्टेफी नेगी, उर्नी की गीता नेगी ने हिमाचल और उत्तराखंड में उत्पादित फसलों के बारे में जानकारी दी। कहा कि हिमाचल पूरी तरह से ऑर्गेनिक और आत्मनिर्भर राज्य बन गया है। 

    सिक्किम का स्टॉल रहा आकर्षण का केंद्र: अंतरराष्ट्रीय सेमीनार में सिक्किम का स्टॉल हर किसी के लिए आकर्षण का केंद्र रहा। स्टॉल में फल, सब्जी, मोटा अनाज की विभिन्न किस्में और वहां उत्पादित होने वाली जड़ी-बूटी को प्रदर्शित किया गया था। करीब सौ से ज्यादा स्टॉल में यह अलग चमक रहा था। उत्तराखंड के स्टॉलों में बायो डायवर्सिटी और नवधान्य के स्टॉल नजर आ रहे थे। इनकी रही अहम भूमिका सेंटर फॉर इनोवेशन इन साइंस एंड सोशल एक्शन, त्रिवेंद्रम, नवधान्य, देहरादून वन अनुसंधान संस्थान, भारतीय वानिकी एवं शिक्षा परिषद, भारतीय वन्य जीव संस्थान, उत्तराखंड बायो डायवर्सिटी बोर्ड, यूकॉस्ट सेमीनार में संयुक्त भूमिका निभा रहा है।

    यह भी पढ़ें: पहाड़ी राज्य दुनिया के लिए कर रहे ऑक्सीजन का काम: पवन कुमार चामलिंग

    यह भी पढ़ें: जंगल धधकाने वाला पिरूल देगा कस्तूरी की खुशबू, एफआरआइ ने ईजाद की तकनीक