उत्तराखंड में पहाड़ चढ़ेंगे उद्योग, दो लाख युवाओं को मिलेगा रोजगार
उत्तराखंड सरकार पहाड़ी क्षेत्रों में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने की तैयारी कर रही है। अगले पांच वर्षों में 10 हजार एमएसएमई स्थापित करने का लक्ष्य है, जिससे दो लाख युवाओं को रोजगार मिलेगा। स्थानीय संसाधनों पर आधारित उद्योगों को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे पलायन की समस्या का समाधान होगा। सरकार अक्षय ऊर्जा और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में भी निवेश कर रही है।

रेडी-टू-पेस्ट...
- पलायन की समस्या का स्थायी समाधान निकालने की हो रही है तैयारी 
- मैदानी चार जिलों में आठ हजार करोड़ का निवेश, पहाड़ी जनपदों में मात्र सात हजार करोड़
अशोक केडियाल, जागरण, देहरादून । सरकार अब औद्योगिक विकास को पहाड़ी जनपदों तक पहुंचाने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रही है। लक्ष्य है कि राज्य के नौ पर्वतीय जनपदों में अगले पांच वर्षों में 10 हजार एमएसएमई स्थापित किए जाएं। ये उद्योग स्थानीय संसाधनों और उत्पादों पर आधारित होंगे और इनके माध्यम से दो लाख युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान किए जाएंगे।
सरकार का उद्देश्य है कि पर्वतीय क्षेत्रों के युवाओं को अपने घर के आसपास ही रोजगार मिले और पलायन की समस्या का स्थायी समाधान निकले। सरकार ने औद्योगिक निवेश को पर्वतीय जिलों की ओर मोड़ने की रणनीति धरातल पर उतारने की तैयारी कर रहे हैं। इसके तहत छोटे, मझोले और लघु उद्योगों को बढ़ावा दिया जाएगा ताकि स्थानीय कच्चे माल और पारंपरिक उत्पादों का उपयोग कर आत्मनिर्भरता की दिशा में राज्य आगे बढ़ सके। प्रत्येक पहाड़ी जनपद में औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने और बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने का भी निर्णय लिया है।
मैदानी जनपद उद्योगों की पसंद
पिछले ढाई दशकों में राज्य के नौ पहाड़ी जनपदों में केवल 43,431 एमएसएमई उद्योग स्थापित हो पाए, जिनमें सात हजार करोड़ रुपये का निवेश हुआ और एक लाख 32 हजार व्यक्तियों को रोजगार मिला। वहीं चार मैदानी जनपदों हरिद्वार, देहरादून, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल में इस अवधि में 51,123 उद्योग लगे, जिनमें 48.82 हजार करोड़ रुपये का निवेश और तीन लाख, 82 हजार रोजगार सृजित हुए। इनमें 330 बड़े उद्योग भी शामिल हैं।
यह हैं राज्य के नौ पहाड़ी जनपद
अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चंपावत, पौड़ी, टिहरी, चमोली, उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग।
घर पर स्वरोजगार से थमेगा पलायन
राज्य में अक्षय ऊर्जा, हर्बल एवं एरोमेटिक्स उद्योग, उद्यानिकी, फूलों की खेती, पर्यटन, रिवर राफ्टिंग, एडवेंचर और तीर्थाटन जैसे क्षेत्रों में ग्रीन उद्योगों की स्थापना की जा रही है। इससे पर्यावरण संरक्षण को बल मिलेगा और युवाओं को घर पर ही स्वरोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। मलारी, हर्सिल, पिथौरागढ़, बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री जैसे क्षेत्रों में सेवा क्षेत्र आधारित उद्योग तेजी से बढ़ रहे हैं।
सरकार का फोकस क्षेत्र पहाड़ है। यहां एमएसएमई के लिए हर बुनियादी सुविधा बहाल करने पर तेजी से कार्य किया जा रहा है ताकि उद्योगों का पहाड़ों की ओर रुख हो सके।
-विनय शंकर पांडे, उद्योग सचिव

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