देश में खतरे में है भेड़ियों की नस्ल, कुत्तों के साथ क्रास ब्रीडिंग से बढ़ा खतरा; भारतीय वन्यजीव संस्थान के शोध में चला पता
Indian Wolf Breed देश में कुत्तों के साथ क्रास ब्रीडिंग से भेड़ियों की नस्ल खतरे में है। भारतीय वन्यजीव संस्थान के अध्ययन में भेड़ियों की स्थिति स्पष्ट की गई है। पहली दफा 1.21 लाख वर्ग किमी वन क्षेत्रफल में कैमरा ट्रैप से इनकी गणना की गई है।

सुमन सेमवाल, देहरादून। Indian Wolf Breed भारतीय भेड़ियों का इतिहास दुनियाभर में सबसे पुराना है। हालांकि, अब इनके वर्तमान पर संकट मंडराने लगा है। भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत इन्हें संकटग्रस्त श्रेणी में रखा ही गया है और अब इनके संकटग्रस्त होने के कारण भी स्पष्ट होने लगे हैं। भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) के ताजा शोध के मुताबिक पालतू व आवारा कुत्तों के साथ क्रास ब्रीडिंग (संकरण) के चलते इनके जीन दूषित होने का खतरा बढ़ गया है।
भारतीय भेड़ियों की वर्तमान स्थिति स्पष्ट करने के लिए डब्ल्यूआइआइ ने देशभर के वन क्षेत्रों में 26 हजार 838 कैमरा ट्रैप लगाए थे। संस्थान के वरिष्ठ विज्ञानी डा. वाईवी झाला के मुताबिक कैमरा ट्रैप लगाने का प्रमुख उद्देश्य भेड़ियों की गणना करना था। इसके अलावा फील्ड सर्वे के माध्यम से भी भेड़ियों के वासस्थलों का आकलन किया गया।
डा. झाला के मुताबिक कैमरा ट्रैप के चित्रों का निर्धारित माडल के आधार पर आकलन किया गया। पता चला कि अब देशभर के 571 वन क्षेत्रों में भेड़ियों की संख्या महज 3324 रह गई है। इसमें भी भेड़ियों की बहुलता सिर्फ मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में पाई गई।
20 हजार साल पहले कुत्ते भी भेड़िए थे
भारतीय वन्यजीव संस्थान के वरिष्ठ विज्ञानी डा. वाईवी झाला के मुताबिक करीब 20 हजार साल पहले कुत्ते भी भेड़िया थे। तमाम भेड़ियों को पालतू बनाया गया और क्रमिक विकास के चलते पालतू भेड़िए कुत्ते बन गए। विकास के इस क्रम में कुत्तों और भेड़ियों के जीन में भी बदलाव आ गया।
हालांकि, एक ही कुल के होने के चलते वनों से सटे आबादी क्षेत्रों में पालतू व आवारा कुत्ते भेड़ियों के साथ क्रास ब्रीडिंग कर रहे हैं। इससे भेड़ियों की संतति के जीन दूषित (कंटामिनेट) होने का खतरा बढ़ गया है। यदि भेड़ियों के प्राकृतिक वासस्थलों के आसपास के कुत्तों के साथ इनकी क्रास ब्रीडिंग नहीं रोकी गई तो भेड़ियों के जीन में असमान्य बदलाव आने के चलते इनकी नस्ल समाप्त होने लगेगी। इसके लिए डा. झाला ने कुत्तों के बंध्याकरण का सुझाव संबंधित राज्य सरकारों को दिया है।
इस कारण भी भेड़ियों के अस्तित्व पर संकट
- चरवाहों की ओर से निरंतर किए जा रहे हमले
- वन क्षेत्रों से लगे राजमार्गों पर आए दिन होने वाली दुर्घटना
- जीन में बदलाव से बढ़ती बीमारियां
चार लाख साल पुराना है इतिहास
वरिष्ठ विज्ञानी डा. वाईवी झाला के अनुसार भारतीय भेड़ियों का इतिहास करीब चार लाख साल पुराना है। कुछ डीएनए जांच में इस इतिहास का आठ लाख साल पुराना होने का भी दावा किया जाता है। वहीं, उत्तरी अमेरिका व यूरेशियन भेड़ियों का इतिहास महज 1.5 लाख साल पुराना है।
सिर्फ यहां मिली भेड़ियों की बहुलता
- राज्य------------संख्या
- मध्य प्रदेश------772
- राजस्थान-------532
- गुजरात--------494
- महाराष्ट्र-------396
- छत्तीसगढ़----320
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