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    IMA POP 2024: सिपाही के रूप में सेना में हुए शामिल, अब बनेंगे Indian Army Officer

    Updated: Sun, 02 Jun 2024 02:45 PM (IST)

    IMA POP 2024 आइएमए के चेटवुड सभागार में आयोजित दीक्षा समारोह में कमाडेंट ले जनरल संदीप जैन ने उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए कैडेटों को पुरस्कृत किया। भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) स्थित आर्मी कैडेट कालेज (एसीसी) के 123वें दीक्षा समारोह में 28 कैडेट को स्नातक उपाधि प्रदान की गई। इस दौरान आइएमए के डिप्टी कमान्डेंट मेजर जनरल आलोक नरेश समेत अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

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    IMA POP 2024: एक साल के प्रशिक्षण के बाद सेना में अफसर बन जाएंगे।

    जागरण संवाददाता, देहरादून: IMA POP 2024: भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) स्थित आर्मी कैडेट कालेज (एसीसी) के 123वें दीक्षा समारोह में 28 कैडेट को स्नातक उपाधि प्रदान की गई। एसीसी में तीन साल के कड़े प्रशिक्षण और पढ़ाई के बाद अब ये कैडेट आइएमए की मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं। जहां एक साल के प्रशिक्षण के बाद ये सेना में अफसर बन जाएंगे।

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    शनिवार को आइएमए के चेटवुड सभागार में आयोजित दीक्षा समारोह में कमाडेंट ले जनरल संदीप जैन ने उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए कैडेटों को पुरस्कृत किया। उपाधि पाने वालों में 13 विज्ञान के कैडेट और 15 कला वर्ग में स्नातक बने। कमांडेंट ने अफसर बनने की राह पर अग्रसर कैडेटों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं। अपने संबोधन में उन्होंने सैन्य जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं का उल्लेख किया।

    कहा कि के लिए एसीसी का आदर्श वाक्य, 'ड्यूटी सर्वोच्च' मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में याद रखें। नेतृत्व के जरिये उदाहरण स्थापित करें। अधीनस्थ कर्मी आपके आचरण और कार्यशैली को देखकर स्वयं ही उसके अनुसार कार्य करेंगे। शारीरिक के साथ मानसिक दृढ़ता की अहमियत भी उन्होंने कैडेटों को समझाई। इसके अलावा सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने पर भी जोर दिया। एसीसी के प्रधानाचार्य डा. नवीन कुमार ने कालेज की प्रगति रिपोर्ट पेश की। एसीसी कमान्डेंट ब्रिगेडियर समीर करोल ने कैडेटों को बधाई दी। इस दौरान आइएमए के डिप्टी कमान्डेंट मेजर जनरल आलोक नरेश समेत अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

    अब एक साल का प्रशिक्षण लेकर बनेंगे अफसर

    एसीसी और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में प्रशिक्षण की प्रकृति लगभग समान है। फर्क सिर्फ इतना है कि एनडीए में नवयुवक, जबकि एसीसी में सेना, नौसेना या वायु सेना के सेवारत सैनिक शामिल होते हैं। क्योंकि सेना में अधिकारी के लिए मूल योग्यता स्नातक है, इन संस्थान में तीन वर्ष का डिग्री कोर्स संचालित किया जाता है। इसी क्रम में एसीसी वर्ष 1974 से जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से संबद्ध है।

    तीन साल का पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद एसीसी कैडेट जेएनयू से विज्ञान (बैचलर आफ साइंस) और मानविकी (बैचलर आफ आर्ट्स) की उपाधि प्राप्त करते हैं। इसके बाद एक साल के प्री-कमीशनिंग प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए भारतीय सैन्य अकादमी की मुख्यधारा में शामिल होते हैं।

    इन्हें मिला पुरस्कार

    चीफ आफ आर्मी स्टाफ मेडल

    • स्वर्ण: दिनेश कुमार
    • रजत: जितेंद्र थिरपोला
    • कांस्य: विकास सिंह चौहान
    • कमान्डेंट बैनर: बोगरा कंपनी
    • कमान्डेंट सिल्वर मेडल
    • सर्विस: जितेंद्र थिरपोला
    • ह्यूमैनिटीज: जितेंद्र थिरपोला
    • साइंस: दिनेश कुमार

    आर्मी कैडेट कालेज का सफर

    आर्मी कैडेट कालेज (एसीसी) की नींव दि किचनर कालेज के रूप में वर्ष 1929 में तत्कालीन फील्ड मार्शल बिर्डवुड ने नौगांव (मध्य प्रदेश) में रखी। 16 मई 1960 में किचनर कालेज आर्मी कैडेट कालेज के रूप में कार्य करने लगा, जिसकी शुरुआत तत्कालीन रक्षामंत्री वीके कृष्णा व जनरल केएस थिमैया ने की। यहां से कोर्स की पहला दीक्षा समारोह 10 फरवरी 1961 को हुआ।

    वर्ष 1977 में कालेज भारतीय सैन्य अकादमी से अटैच कर दिया गया। वर्ष 2006 में कालेज आइएमए का अभिन्न अंग बन गया। कालेज सैनिकों को अधिकारी बनने का मौका देता है। यहां से पास होकर कैडेट आइएमए में जेंटलमेन कैडेट के रूप में प्रशिक्षण लेकर सैन्य अफसर बनने की खूबियां अपने भीतर समाहित करते हैं।