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    IMA POP: अनुशासन और संकल्प की जीत, पासिंग आउट परेड में पुरस्कार विजेता कैडेटों ने रची प्रेरणादायी कहानी

    Updated: Sat, 13 Dec 2025 08:52 PM (IST)

    देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी की पासिंग आउट परेड में कैडेटों ने अनुशासन और संकल्प के साथ सफलता की कहानी रची। भोपाल के निष्कल द्विवेदी ने स्वार्ड आफ ...और पढ़ें

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    आइएमए की पासिंग आउट परेड के बाद भोपाल निवासी निष्कल द्विवेदी को स्वर्ण पदक प्रदान करते थल सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी। जागरण

    जागरण संवाददाता, देहरादून: भारतीय सैन्य अकादमी एक बार फिर उन युवा सपनों की साक्षी बनी, जो अनुशासन, परिश्रम और राष्ट्रसेवा की भावना से आकार लेते हैं। पासिंग आउट परेड के दौरान पुरस्कार विजेता कैडेटों ने यह सिद्ध किया कि परिस्थितियां चाहे जैसी भी हों, यदि लक्ष्य स्पष्ट हो और संकल्प अडिग हो, तो सफलता कदम चूमती है।

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    देश के अलग-अलग हिस्सों से आए इन कैडेटों की यात्राएं न केवल प्रेरक हैं, बल्कि यह भी दर्शाती हैं कि भारतीय सेना अवसरों की समानता और योग्यता का सबसे बड़ा मंच है। ड्रिल स्क्वायर पर कैडेट पुरस्कार पाने के लिए आगे बढ़े तो उनके साथ वर्षों की मेहनत, परिवार के त्याग और अनगिनत सपनों की गूंज भी साफ सुनाई दी। हर सम्मान के पीछे संघर्ष, अनुशासन और आत्मविश्वास की एक लंबी कहानी छिपी है।

    Nishkal Dwivedi

    निष्कल द्विवेदी: प्रतिभा, परिश्रम व पराक्रम का संगम

    भोपाल निवासी कैडेट निष्कल द्विवेदी ने आइएमए में सर्वोच्च सम्मान हासिल करते हुए स्वार्ड आफ आनर और गोल्ड मेडल अपने नाम किए। यह सम्मान उन्हें संपूर्ण प्रशिक्षण अवधि में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन, अनुशासन, नेतृत्व और चरित्र के लिए प्रदान किया गया।

    राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कालेज (आरआइएमसी) से पासआउट निष्कल ने आरआइएमसी की प्रवेश परीक्षा में आल इंडिया दूसरा स्थान प्राप्त किया था। वे स्क्वैश के राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हैं और इससे पहले एनडीए व आरआइएमसी में भी कई पुरस्कार जीत चुके हैं।

    उनके पिता नागेंद्र द्विवेदी और मां सुमन द्विवेदी कृषि उपकरण व्यवसाय से जुड़े हैं। निष्कल की उपलब्धि आइएमए के मूलमंत्र चरित्र, नेतृत्व और उत्कृष्टता का सजीव उदाहरण है।

    Badal

    बादल यादव: वर्दी में पला, वर्दी में निखरा सपना

    हरियाणा के रेवाड़ी निवासी कैडेट बादल यादव ने आइएमए में रजत पदक हासिल किया। उनके पिता अशोक कुमार सूबेदार पद से सेवानिवृत्त हैं। सैनिक स्कूल में शिक्षा और घर के सैन्य वातावरण ने उनके भीतर सेना के प्रति गहरा समर्पण पैदा किया।

    तीन वर्ष एनडीए और एक वर्ष आइएमए में कठिन प्रशिक्षण के बाद बादल यादव ने रजत पदक के साथ अफसर बनने का सपना पूरा किया। उनका चयन सैन्य परंपरा और व्यक्तिगत परिश्रम के सुंदर संगम को दर्शाता है।

    Kamaljeet

    कमलजीत सिंह: संघर्ष की आग में तपकर बने कुंदन

    हरियाणा के अंबाला निवासी कैडेट कमलजीत सिंह ने कांस्य पदक प्राप्त कर संघर्ष से सफलता तक की असाधारण कहानी लिखी। पिता सलिंदर सिंह हरियाणा रोडवेज में चालक रहे। सामान्य परिवार से ताल्लुख रखने वाले कमलजीत ने पहले सैनिक के रूप में सेना ज्वाइन की।

    वर्ष 2019 में भर्ती होने के बाद भी उनके मन में अफसर बनने का सपना रहा। एसीसी के माध्यम से चयनित कमलजीत प्रशिक्षण के दौरान पिता के आकस्मिक निधन से टूटे जरूर, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। कांस्य पदक के साथ उनका पासआउट होना अदम्य इच्छाशक्ति और साहस का प्रतीक बन गया।

    _Abhinav Mehrotra

    अभिनव मेहरोत्रा: तकनीकी दक्षता से नेतृत्व तक

    दिल्ली निवासी कैडेट अभिनव मेहरोत्रा ने टेक्निकल एंट्री स्कीम के तहत उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए रजत पदक प्राप्त किया। डीपीएस वसंत कुंज से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने वाले अभिनव के पिता कर्नल रोहित मेहरोत्रा (सिग्नल) भारतीय सेना से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं, जबकि मां वसुधा मेहरोत्रा ने हर चरण में उन्हें मानसिक संबल दिया।

    अभिनव ने सेना के मऊ स्थित कालेज आफ टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग से तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त किया। कठिन सैन्य प्रशिक्षण के साथ तकनीकी दक्षता के उत्कृष्ट समन्वय ने उन्हें रजत पदक तक पहुंचाया। उनका चयन यह दर्शाता है कि आधुनिक युद्ध में तकनीकी नेतृत्व की भूमिका कितनी अहम है।

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    जाधव सुजीत संपत: गांव की पगडंडियों से निकली गौरव गाथा

    महाराष्ट्र के सतारा जिले से ताल्लुक रखने वाले कैडेट जाधव सुजीत संपत ने टेक्निकल ग्रेजुएट कोर्स में सिल्वर मेडल हासिल कर ग्रामीण पृष्ठभूमि से आइएमए के सम्मान मंच तक का प्रेरक सफर तय किया। किसान पिता संपत जाधव और गृहिणी मां कमल के बेटे सुजीत ने सरकारी स्कूल से पढ़ाई की।

    एनसीसी से मिले अनुशासन और सेना में रहे चचेरे भाई हवलदार सचिन जाधव से मिली प्रेरणा ने उन्हें इस राह पर आगे बढ़ाया। वीआइआइटी से सिविल इंजीनियरिंग करने के बाद उन्होंने सेना का मार्ग चुना और आइएमए में सिल्वर मेडल प्राप्त कर अपने संघर्ष को सफलता में बदला।

    sunil kumar

    सुनील क्षेत्री: अनुभव से नेतृत्व तक

    नेपाल निवासी कैडेट सुनील क्षेत्री ने स्पेशल कमीशंड अफसर (एससीओ) एंट्री के तहत सिल्वर मेडल प्राप्त किया। वे वर्ष 2012 में सेना में भर्ती हुए थे और 14 वर्षों तक बतौर जवान सेवा देने के बाद अधिकारी बने हैं। उनके पिता तर्क बहादुर भारतीय सेना से सूबेदार पद से सेवानिवृत्त हैं।

    अनुभव, अनुशासन और नेतृत्व क्षमता के आधार पर सुनील को यह सम्मान मिला, जो यह साबित करता है कि मैदानी अनुभव से निकला नेतृत्व और अधिक मजबूत होता है।

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