कोटद्वार: राजनीतिक संरक्षण में फल-फूल रहे अवैध खनन की डीएफओ पर गिरी गाज, मुख्यालय अटैच
नदियों में राजनीतिक संरक्षण में फल-फूल रहे अवैध खनन की गाज लैंसडौन वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी पर गिर गई। प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री ने अवैध ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, कोटद्वार। कोटद्वार क्षेत्र की नदियों में राजनीतिक संरक्षण में फल-फूल रहे अवैध खनन की गाज लैंसडौन वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी पर गिर गई। प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री ने अवैध खनन के लिए प्रभागीय वनाधिकारी दीपक कुमार को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्हें तत्काल मुख्यालय संबद्ध करने के निर्देश दिए हैं। हालांकि, शुक्रवार शाम तक प्रभागीय कार्यालय में इस संबंध में कोई निर्देश नहीं पहुंचे थे।
कोटद्वार क्षेत्र में पिछले लंबे समय से अवैध खनन जोरों पर है। राजनीतिक पहुंच वाले खनन कारोबारियों ने राजस्व क्षेत्र के साथ ही वन क्षेत्र में भी बड़े पैमाने पर खनन किया गया। इतना ही नहीं, लैंसडौन वन प्रभाग में करोड़ों के कार्य बगैर वर्क आर्डर जारी किए करवा गए। अब कार्य के भुगतान की समस्या आड़े आ रही है।
शुक्रवार को सिम्मलचौड़ में पहुंचे वन मंत्री डा. हरक सिंह रावत के समक्ष कुछ व्यक्तियों ने भुगतान न होने की समस्या रखी। इस पर वन मंत्री ने कहा कि पिछले कई दिनों से उन्हें क्षेत्र की नदियों में अवैध खनन की सूचना मिल रही थी। शुक्रवार सुबह उन्होंने सुखरौ व मालन नदी का स्थलीय निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने देखा कि चैनेलाइजेशन के नाम पर नदियों में भारी खनन किया गया है। नदियों से निकाले गए उपखनिज को सुरक्षा दीवार के रूप में उपयोग करने के बजाय उसे बेच दिया गया है। उन्होंने मामले को गंभीर बताते हुए कहा कि लैंसडौन वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी दीपक कुमार को तत्काल प्रभाव से मुख्यालय संबद्ध करने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही नदियों में हुई अवैध खनन की जांच को विशेष टीम भी गठित की जा रही है। कहा कि जांच रिपोर्ट मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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