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    सब कुछ जानते थे, फिर भी किया मौत का इंतजार

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Sun, 10 Feb 2019 08:36 PM (IST)

    यदि आला अधिकारी तभी चेत जाते तो शायद रुड़की क्षेत्र में कच्ची शराब पीने से इतनी मौतें न होती। पूर्व में हरिद्वार में तैनात रहे अधिकारी ने तत्कालीन आयुक्त को पत्र भेजे थे।

    सब कुछ जानते थे, फिर भी किया मौत का इंतजार

    देहरादून, सुमन सेमवाल। हरिद्वार में कच्ची और अवैध शराब के कारोबार से आबकारी महकमा अनभिज्ञ नहीं था। उसे इस धंधे की सब जानकारियां थी। यह सच्चाई महकमे के आला अफसरों को उन्हीं के एक अधिकारी ने बाकायदा लिखित रूप में उपलब्ध कराई थी। लेकिन, नींद फिर भी नहीं टूटी। तब हरिद्वार में तैनात इस अधिकारी ने यह भी आशंका जताई थी कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो भविष्य में यहां कोई बड़ी जनहानि हो सकती है। मगर, अफसरों का उदासीन रवैया बताता है कि शायद उन्हें नींद से जागने के लिए मौत का इंतजार था।

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    यदि आला अधिकारी तभी चेत जाते तो शायद रुड़की क्षेत्र में कच्ची शराब पीने से इतनी मौतें न होती। पूर्व में हरिद्वार में तैनात रहे इस अधिकारी ने वर्ष 2017 में तत्कालीन आयुक्त को इस संबंध में पत्र भेजे थे। इन पत्रों में कहा गया था कि हरिद्वार क्षेत्र में कच्ची और अन्य अवैध शराब बड़े पैमाने पर बन और बिक रही है। जिससे कभी भी बड़ी जनहानि हो सकती है। इसके साथ ही यह भी उल्लेख किया था कि ऐसी घटना होने के बाद उन पर निलंबन की तलवार जरूर गिरेगी, लिहाजा उनका स्थानांतरण यहां से करा दिया जाए। पत्र में स्थानांतरण की बात का जिक्र इसलिए किया गया था कि शराब के अवैध धंधे को रोकने के लिए न तो उनके पास कार्यालय है और न ही वाहन की सुविधा। उन्होंने क्षेत्र में अवैध शराब के करीब 50 अड्डे होने का जिक्र मुख्यालय को भेजे पत्रों में किया था। उन्होंने विभाग के ही कुछ सिपाहियों पर शराब तस्करी में लिप्त होने की जानकारी अपने पत्र के माध्यम से आला अधिकारियों को दी थी। उस वक्त उन्होंने तस्करों से मिलीभगत होने और काम से नदारद रहने पर उन्होंने कुछ कर्मचारियों का वेतन लंबे समय तक रोक दिया था। हालांकि आबकारी मुख्यालय ने अवैध शराब के धंधे को रोकने के लिए तो कोई प्रयास नहीं किया, लेकिन कुछ समय बाद ही संबंधित कर्मचारियों का वेतन जारी करवा दिया।

    निजी वाहन से दी दबिश, अपने खर्च पर कार्यालय लिया

    इस अधिकारी ने पत्र में यह भी जिक्र किया था कि हरिद्वार कार्यालय में जो स्टाफ तैनात है, वह दबिश के दौरान तस्करों के लिए पहले ही मुखबिरी कर देता है। जिसके चलते उनका भली-भांति काम करना संभव नहीं है। शराब तस्करी रोकने लिए उन्होंने अपने स्तर पर व्यक्तिगत खर्च पर जो प्रयास किए, उसका भी इन पत्रों में उल्लेख था।

    अधिकारी को ठिकाने लगाने का है ऑडियो

    वर्ष 2017 में हरिद्वार में शराब तस्करी पर अंकुश लगाने के प्रयास के बीच एक ऐसा ऑडियो की अधिकारी के हाथ लगा, जिसमें उसे ठिकाने लगाने की बात कही जा रही थी। बताया जा रहा है कि यह ऑडियो एक आबाकरी कर्मी का है और वह यह बात किसी महिला शराब तस्कर से कर रहा है।

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