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    उत्तराखंड उद्यान विभाग ने 40 साल पुरानी कीटनाशक दवाओं से की तौबा

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    Updated: Fri, 27 Sep 2019 08:18 AM (IST)

    उत्तराखंड उद्यान विभाग ने बेहतर उत्पादन के मद्देनजर फसलों को कीट और व्याधियों के प्रकोप से बचाने के लिए इस्तेमाल की जा रही 40 साल पुरानी दवाओं से अब तौबा कर ली है।

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    उत्तराखंड उद्यान विभाग ने 40 साल पुरानी कीटनाशक दवाओं से की तौबा

    देहरादून, केदार दत्त। बेहतर उत्पादन के मद्देनजर फसलों को कीट और व्याधियों के प्रकोप से बचाने के लिए इस्तेमाल की जा रही 40 साल पुरानी दवाओं से उत्तराखंड उद्यान विभाग ने अब तौबा कर ली है। इसके लिए कीटनाशक में 95 फीसद और व्याधिनाशक में 40 फीसद दवाएं बदल दी गई हैं। पूर्व में जिन दवाओं का इस्तेमाल कीट-व्याधि रोकने में हो रहा था, उनसे फसल के साथ ही भूमि की उर्वराशक्ति पर प्रतिकूल असर पड़ रहा था। यही नहीं, जो दवाएं प्रयोग की जा रही थीं, उनमें से कई तो विदेशों में प्रतिबंधित हैं।

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    औद्यानिकी को बढ़ावा देने के साथ ही बेहतर फसलोत्पादन के लिए प्रदेश में 1980 के दशक में प्रचलित कीटनाशक व व्याधिनाशक दवाओं और उर्वरकों का प्रयोग किया जा रहा था। इनके इस्तेमाल के बावजूद न फसल ठीक हो रही थी और न उत्पादन ही। बाद में कारणों की पड़ताल की गई तो पता चला कि कीट-व्याधि थामने को 40 साल पुरानी दवाएं अब कारगर नहीं हैं। इनसे लाभ मिलने की बजाए फसल को नुकसान पहुंच रहा है। फलों के साथ ही भूमि में भी इन दवाओं के तत्वों की मौजूदगी देखने में आ रही है।

    ये पता चला कि जिन दवाओं को कीट व व्याधि के प्रकोप से बचाने के लिए प्रयोग किया जा रहा है, उनमें से कई तो विदेशों में प्रतिबंधित हैं। इस सबको देखते हुए उद्यान महकमे ने इन दवाओं को हटाने और इनके स्थान पर अपेक्षाकृत सुरक्षित मानी जाने वाली नई दवाओं के प्रयोग का निर्णय लिया। इसके लिए ऐसी 21 कीट और व्याधिनाशक दवाओं की सूची जारी की गई है। संयुक्त निदेशक डॉ.आरके सिंह की ओर से सभी जिलों के जिला उद्यान अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे नई सूची के अनुसार ही कीट-व्याधि रोकने की दवाओं का प्रयोग करें।

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    ये होंगे फायदे

    • फसल व भूमि पर नहीं पड़ेगा बुरा असर
    • पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी अहम
    • कीट-व्याधि की रोकथाम से उत्पादन में वृद्धि

    उत्तराखंड के कृषि एवं उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल का कहना है कि औद्यानिकी को बढ़ावा देने के साथ ही इसमें सुधार के क्रम में रसायनों के प्रयोग में भी बदलाव किया गया है। ऐसी दवाओं को हटाया गया है, जिनके प्रतिकूल असर देखने में आ रहे थे। इनकी जगह नई दवाओं को शामिल किया गया है। 

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