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Coronavirus: पुलिस के लिए चुनौती बना होम क्वारंटाइन की निगरानी

कोरोना वायरस की रोकथाम और इससे बचाव के लिए फिलहाल लॉकडाउन और होम क्वारेंटाइन का पालन बेहद जरूरी है। प्रदेश के 60 फीसद क्षेत्र मे यह सिस्टम के लिए चुनौती बनने लगा है।

By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Published: Wed, 20 May 2020 12:51 PM (IST)Updated: Wed, 20 May 2020 12:51 PM (IST)
Coronavirus: पुलिस के लिए चुनौती बना होम क्वारंटाइन की निगरानी
Coronavirus: पुलिस के लिए चुनौती बना होम क्वारंटाइन की निगरानी

देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड को तेजी से अपनी गिरफ्त में ले रहे कोरोना वायरस की रोकथाम और इससे बचाव के लिए फिलहाल लॉकडाउन और होम क्वारेंटाइन का पालन बेहद जरूरी है। प्रदेश के 60 फीसद क्षेत्र मे यह सिस्टम के लिए चुनौती बनने लगा है। वजह यह कि इन क्षेत्रों में कानून व्यवस्था का जिम्मा संभाल रही राजस्व पुलिस के पास न तो सामान्य पुलिस की तरह वायरलेस सेट हैं और न ही दौड़भाग करने के लिए गाड़ियां।

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उत्तराखंड में होम क्वारेंटाइन के उल्लंघन के बागेश्वर, चंपावत समेत पर्वतीय जिलों से भी आने लगी हैं। पुलिस ने इन पर कार्रवाई भी शुरू कर दी है। सवाल यह है कि कार्रवाई तो उन पर होगी, जिनके बारे में पुलिस या राजस्व पुलिस को सूचना मिल जाएगी। ऐसे में चुनौती बड़ी है। 

दरअसल, उत्तराखंड देश का इकलौता राज्य है, जहां अंग्रेजों के समय की राजस्व पुलिस की व्यवस्था अभी भी बरकरार है। इसमें पटवारी-तहसीलदार ही कानून व्यवस्था संभालते हैं। भौगोलिक स्थिति के लिहाज से अभी प्रदेश के 40 फीसद क्षेत्र में ही सिविल पुलिस तैनात है। शेष 60 फीसदी क्षेत्रों में राजस्व पुलिस आपराधिक मामले संभाल रही है।

मैदानी जिलों में लॉकडाउन और होम क्वारेंटाइन का पालन कराने को पुलिस ने जहां ताकत झोंक रखी है। वहीं, राजस्व पुलिस के पास सामान्य पुलिस जैसे संसाधन नहीं हैं। उनके लिए यह दोहरी जिम्मेदारी गले की फांस बन गई है। उत्तराखंड के 12 हजार से अधिक गांव राजस्व पुलिस के क्षेत्र में आते हैं।

राजस्व पुलिस से बैठाया जा रहा है तालमेल 

पुलिस महानिदेशक, अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार के मुताबिक, होम क्वारेंटाइन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। जहां तक राजस्व क्षेत्र की बात है तो संबंधित जिले की पुलिस राजस्व पुलिस के साथ सामंजस्य बिठा कर लोगों की निगरानी करने का प्रयास कर रही है।

434 जमातियों को भेजा गया गृह राज्य

जमातियों से जुड़ी एक और राहत भरी खबर आई है। उत्तराखंड में देश के विभिन्न प्रदेशों से आए 513 जमातियों में से 434 को उत्तराखंड पुलिस उनके गृह राज्य भेज चुकी है। 79 अभी भी उत्तराखंड में फंसे हुए हैं। इसमें से आठ को देहरादून व 71 को हरिद्वार में निगरानी में रखा गया है। 

पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने बताया कि बाकी बचे जमातियों को भी जल्द उनके गृह राज्य भेज दिया जाएगा। दिल्ली निजामुद्दीन प्रकरण के सामने आने के बाद पुलिस की तहकीकात में पता चला था कि उत्तराखंड में 1436 जमाती दाखिल हुए हैं। पुलिस महानिदेशक ने बताया कि सभी की रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद उन्हें उनके घर भेजने की प्रक्रिया शुरू की गई। उन्होंने बताया कि 434 को उनके गृह राज्य भेजा जा चुका है। 79 अभी भी उत्तराखंड में हैं। इसमें से आठ देहरादून व 71 हरिद्वार में रखे गए हैं।

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268 गैर प्रान्तों में फंसे 

ऐसा नहीं है कि जमाती उत्तराखंड में आकर फंसे हों। उत्तराखंड के मूल निवासी 268 ऐसे जमाती भी हैं, जो इस समय दिल्ली, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों में फंसे हैं। पुलिस के मुताबिक इन सभी को पूरी प्रकिया के बाद लाया जाएगा।

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