हिमालय दिवस पर CM धामी का संदेश, कहा- संरक्षण के लिए आधुनिक तकनीक का सहारा ले रही सरकार
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हिमालय दिवस पर कहा कि हिमालय का संरक्षण सबकी जिम्मेदारी है। राज्य सरकार हिमालय की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित विकास से हिमालय को हो रहे खतरों पर चिंता जताई। डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि हिमालय का अधिकांश उपभोग मैदानी राज्य करते हैं इसलिए उन्हें संरक्षण में आगे आना चाहिए। उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।

जागरण संवाददाता, देहरादून। हिमालय का संरक्षण केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि देश के हर नागरिक का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ हिमालय की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठा रही है और इस दिशा में डिजिटल मानीटरिंग, ग्लेशियर रिसर्च सेंटर, जल स्रोत संरक्षण अभियान तथा जनभागीदारी कार्यक्रमों पर विशेष जोर दिया जा रहा है।
यह बातें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हिमालय दिवस पर कहीं। उन्होंने बताया कि हिमालय और प्रकृति को बचाने के लिए केंद्र सरकार के साथ ही हिमालयी राज्यों के साथ मिलकर कार्य किया जा रहा है।
मंगलवार को सर्वे चौक के निकट स्थित आइआरडीटी सभागार में हिमालय दिवस पर समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। उन्होंने कहा कि हिमालय केवल बर्फीली चोटियों का समूह नहीं, बल्कि संपूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप की जीवनधारा है।
हिमालय से निकलने वाली नदियां करोड़ों लोगों की प्यास बुझाती हैं, जबकि यहां की दुर्लभ जड़ी-बूटियां आयुर्वेद की रीढ़ हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, अनियंत्रित विकास और प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन हिमालय के संतुलन को बिगाड़ रहा है।
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ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, जिससे भविष्य में गंभीर जल संकट का खतरा है। क्लाउड बर्स्ट और भूस्खलन जैसी आपदाओं की आवृत्ति और प्रभाव लगातार बढ़ रहे हैं। हाल के वर्षों में राज्य को भीषण प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए वैज्ञानिक संस्थानों, विशेषज्ञों और विभागों के बीच बेहतर समन्वय की जरूरत है।
इसी उद्देश्य से गत वर्ष उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था। कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, वन मंत्री सुबोध उनियाल, महापौर सौरभ थपलियाल, टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय, दर्जाधारी मधु भट्ट, यूकास्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत, कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना आदि ने भी विचार व्यक्त किए।
विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन नवंबर में
मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि आगामी नवंबर में उत्तराखंड में जलवायु परिवर्तन पर विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। सम्मेलन का उद्देश्य हिमालयी क्षेत्र में बढ़ते जोखिमों का समाधान तलाशना और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से दीर्घकालिक नीतियां बनाना होगा।
हिमालय का सर्वाधिक उपभोग मैदानी राज्य करते हैं
पद्मभूषण डा. अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि इस साल पूरे हिमालयी क्षेत्र में आपदाओं की बढ़ती संख्या ने चिंताएं गहरा दी हैं। उन्होंने कहा कि अगर अब भी नहीं चेते, तो आने वाले समय में मानसून का हर मौसम भयावह आपदाओं की चेतावनी बन जाएगा। पहले मानसून का स्वागत होता था, अब मानसून आने पर डर लगता है।
साथ ही उन्होंने हिमालय संरक्षण में भागीदारी तय करने पर जोर दिया। कहा कि हिमालय का केवल 10 प्रतिशत उपभोग पहाड़ी राज्य कर रहे हैं, जबकि शेष 90 प्रतिशत उपभोग मैदानी राज्य करते हैं। जीवनदायनी गंगा, यमुना समेत तमाम नदियां हिमालय की गोद से निकलकर देश के कई राज्यों को समृद्धि प्रदान कर रही हैं।
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