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हिमालयन कॉन्क्लेव: ग्रीन बोनस और कॉमन एजेंडे पर हिमालयी राज्य सहमत

11 हिमालयी राज्य अपनी साझा समस्याओं में विकास की दौड़ में पिछड़ेपन के ठप्पे से उबरने के लिए मसूरी में हिमालयन कॉन्क्लेव में एकजुट हुए।

By Edited By: Published: Sun, 28 Jul 2019 03:00 AM (IST)Updated: Mon, 29 Jul 2019 08:12 AM (IST)
हिमालयन कॉन्क्लेव: ग्रीन बोनस और कॉमन एजेंडे पर हिमालयी राज्य सहमत
हिमालयन कॉन्क्लेव: ग्रीन बोनस और कॉमन एजेंडे पर हिमालयी राज्य सहमत

देहरादून, राज्य ब्यूरो। रविवार को साझा मंच पर जुटे हिमालयी राज्यों ने मसूरी संकल्प पारित कर पर्यावरणीय सेवाओं के बदले ग्रीन बोनस देने और हिमालय क्षेत्र के लिए अलग मंत्रालय का पुरजोर समर्थन किया है। हिमालयी हितों को लेकर गहन मंथन के बाद तैयार किए गए कॉमन एजेंडा को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को सौंपा गया। हिमालयन कॉन्क्लेव में पर्वतीय राज्यों के एकजुट प्रयासों को शुरुआती बड़ी कामयाबी भी मिल गई। कॉन्क्लेव में मौजूद 15वें वित्त आयोग, नीति आयोग और केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने पर्वतीय राज्यों के लिए केंद्रीय बजट में अलग से प्रावधान का भरोसा बंधाया। इससे उत्साहित राज्यों के बीच यह यह सहमति भी बन गई कि हिमालयन कॉन्क्लेव हर साल आयोजित किया जाएगा।

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मसूरी में हिमालयन कॉन्क्लेव में सुबह नौ बजे से दोपहर तीन बजे तक घंटों मंथन के दौरान पर्वतीय राज्यों ने हिमालय के पारिस्थितिकी संतुलन व पर्यावरण सुरक्षा के प्रति अपनी जिम्मेदारी को पूरी तरह निभाने का संकल्प लिया। इसके तहत जैव विविधता, वन, ग्लेशियरों, नदियों व झीलों के संरक्षण का प्रण लिया गया। हिमालय की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित कर देश की समृद्धि में योगदान देने के साथ ही भावी पीढ़ी के लिए लोककला, हस्तकला के संरक्षण पर भी सहमति बनी है। पर्वतीय संस्कृति की आध्यात्मिक परंपरा के संरक्षण व मानवता के लिए कार्य करने का संकल्प राज्यों ने लिया। सर्वसम्मति से यह निर्णय भी हुआ कि समानता व न्याय की भावना के साथ पर्वतीय क्षेत्र सतत विकास की रणनीति पर काम करेंगे।  

कॉन्क्लेव के बाद मीडिया से मुखातिब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि हिमालयी राज्यों ने कॉमन एजेंडा तय किया है। इसमें पर्यावरणीय सेवाओं के लिए ग्रीन बोनस देने की मांग एक स्वर में की गई। हिमालयी राज्य देश के जल स्तंभ हैं। सभी राज्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जल शक्ति संचय मिशन में प्रभावी योगदान देंगे।  

नदियों के संरक्षण व पुनर्जीवीकरण के लिए केंद्रपोषित योजनाओं में हिमालयी राज्यों को वित्तीय सहयोग दिया जाना चाहिए। नए पर्यटक स्थलों को विकसित करने में केंद्र से विशेष सहयोग की अपेक्षा है। कॉन्क्लेव में आपदा प्रबंधन पर भी विस्तार से चर्चा हुई। उन्होंने बताया कि केंद्रीय वित्त मंत्री, 15वें वित्त आयोग और नीति आयोग की मौजूदगी में असम को छोड़कर 10 हिमालयी राज्यों के प्रतिनिधि कॉन्क्लेव में शामिल हुए। हिमाचल, नागालैंड व मेघालय के मुख्यमंत्री, अरुणाचल प्रदेश के उप मुख्यमंत्री व अन्य राज्यों के प्रतिनिधियों ने शिरकत की।

देश की सुरक्षा के आंख-कान हैं सीमांत क्षेत्रवासी: निर्मला

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि हिमालयी राज्यों के सीमांत क्षेत्रों में रहने वाले लोग देश की सुरक्षा के लिए आंख और कान का काम करते हैं। सीमांत क्षेत्रों से पलायन को रोकने के लिए विशेष प्रयास करने होंगे। इन सभी राज्यों का विकास केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं में है। 

मसूरी में हिमालयन कॉन्क्लेव में बतौर मुख्य अतिथि अपने संबोधन में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हिमालयी राज्यों के मुद्दे और सरोकारों से केंद्र सरकार को भी जोड़ा। उन्होंने कहा कि हिमालयी राज्यों के सम्मेलन की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी। यह सम्मेलन इन राज्यों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। हिमालयी राज्यों में पलायन की चुनौती को स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि दूरस्थ क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कर पलायन को रोका जा सकता है। इसमें पंचायतीराज संस्थाएं अहम भूमिका निभा सकती हैं। पर्वतीय राज्यों में जैविक खेती पर फोकस किया जाना चाहिए। युवाओं के लिए स्टार्ट अप से पलायन तो रुकेगा ही, साथ ही आर्थिक विकास भी होगा। विकास योजनाओं को फलीभूत करने के लिए स्थानीय समुदायों के सशक्तीकरण को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। सम्मेलन में प्रतिभागी राज्यों की चर्चा में शामिल विषयों पर केंद्र सरकार गंभीरता से विचार करेगी। 

अहम प्लेटफार्म है हिमालयन कॉन्क्लेव

15वें वित्त आयोग अध्यक्ष एनके सिंह ने हिमालयन कॉन्क्लेव को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि राज्यों की साझा समस्याओं को रखने व उनके हल के लिए नीति निर्धारण में यह अहम प्लेटफार्म साबित होगा। केंद्र भी हिमालयी राज्यों के साथ है। आयोग इन राज्यों की समस्याओं से परिचित है। सम्मेलन में जिन समस्याओं को उठाया गया, संवैधानिक दायरे में उनके समाधान के प्रयास किए जाएंगे। यहां जीवन स्तर सुधारने के लिए क्या सिस्टम बनाया जाए, इस पर विचार करना होगा। नीति आयोग उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि हिमालयी राज्यों में विकास की बहुत संभावनाएं हैं। इसके लिए लक्ष्य निर्धारित करना होगा। पर्यटन की संभावनाओं की दृष्टि से ये सभी राज्य समृद्ध हैं। वैल्यू एडेड एग्रीकल्चर को प्रोत्साहित करने और योजनाओं का समयबद्ध क्रियान्वयन पर उन्होंने जोर दिया। जल संरक्षण के लिए सभी राज्यों को अंतर्राज्यीय सहयोग से नीतियां तैयार करनी होंगी। सीमांत क्षेत्रों में पलायन रोकने को विकास की आवश्यकता है। विकास आकांक्षी जिलों में विशेष ध्यान दिया जाए।

केंद्र से चाहिए अधिक वित्तीय मदद 

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि 2025 तक आर्थिक विकास के लक्ष्य को हासिल करने के लिए इन राज्यों को वेलनेस व टूरिज्म पर काम करना होगा। आपदा व पलायन सभी राज्यों की समान समस्या हैं। हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि छोटे राज्यों के सीमित संसाधन देखते हुए केंद्र को वित्तीय सहायता में प्राथमिकता देनी चाहिए। मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड कोंगल संगमा ने कहा कि हिमालयी राज्यों में विकास योजनाओं की लागत अधिक होती है। केंद्र को विकास योजनाओं के मानकों पर ध्यान देना चाहिए। नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफियू रियो ने पर्वतीय क्षेत्रों में आजीविका संवद्र्धन व इको सिस्टम के महत्व पर जोर दिया। अरुणाचल के उप मुख्यमंत्री चोवना मेन ने कहा कि सीमांत क्षेत्रों में आधारभूत सुविधाओं के विकास पर जोर दिया। मिजोरम के मंत्री टीजे लालनुनल्लुंगा ने आपदा प्रबंधन, जैव विविधता संरक्षण में स्थानीय लोगों की भागीदारी व डिजिटल कनेक्टिविटी की पैरवी की। सिक्किम के मुख्यमंत्री के सलाहकार डॉ महेंद्र पी लामा ने केंद्रीय सहायता में इको सिस्टम सर्विसेज को विशेष भार देने का समर्थन किया।

पीएम ने उत्तराखंड में जल संरक्षण को सराहा 

केंद्रीय पेयजल व स्वच्छता सचिव परमेश्वरमन अय्यर ने जलशक्ति अभियान पर प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर पैरा हाइड्रोलॉजिस्ट तैयार करने की संभावनाओं पर विचार करना होगा। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में ट्रेंच-खांटी के माध्यम से जल संरक्षण के पारंपरिक तरीकों की प्रधानमंत्री ने सराहना की है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण सदस्य कमल किशोर ने डिजास्टर रिस्क मैनेजमेंट पर प्रस्तुतीकरण में पर्वतीय क्षेत्रों की परिस्थितियों के अनुकूल भवन निर्माण को कहा। सम्मेलन में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने धन्यवाद ज्ञापित किया। 

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