आइजी की कार में सवारों की लूट मामले में सफेदपोशों का दबाव
आइजी की सरकारी गाड़ी को लूट में इस्तेमाल करने के मामले में इस बात का इशारा हो रहा है कि किसी बड़े अफसर या सफेदपोश का संरक्षण प्रकरण को दबाने का प्रयास कर रहा है।
देहरादून, जेएनएन। आइजी की सरकारी गाड़ी को लूट में इस्तेमाल करने की हिमाकत तो कोई यूं नहीं कर सकता। यही सबसे बड़ी वजह है जो बार-बार इशारा कर रही है कि हाईप्रोफाइल लूटकांड के पीछे किसी बड़े अफसर या सफेदपोश का संरक्षण हो सकता है। देखना होगा कि एसटीएफ के हाथ उनके गिरेबां तक पहुंचेंगे या नहीं।
हाईप्रोफाइल लूटकांड की साजिश डब्ल्यूआइसी में रची गई। डब्ल्यूआइसी एक राजनैतिक दल के बड़े नेता के करीबी का है। प्रापर्टी डीलर अनुरोध पंवार ने अपनी तहरीर में साफ कहा है कि उन्हें अनुपम शर्मा ने पेमेंट के लिए डब्ल्यूआइसी में बुलाया था। वहां अनुपम व अन्य लोगों के साथ काफी देर तक बैठे रहे।
जब वहां से निकले तो डब्ल्यूआइसी का मैनेजर अर्जुन पंवार ही काले रंग का बैग लेकर उनकी कार में रखने आया था। सवाल उठता है कि अनुरोध यह खुद बैग लेकर अपनी कार तक क्यों नहीं गया। क्यों अर्जुन पंवार बैग लेकर उनकी कार तक आया था। क्या बैग बेहद भारी था। यदि ऐसा था तो निश्चित तौर पर उसमें मोटी रकम थी।
यहां गौर करने वाली एक और बात है कि कुछ दिन पहले अनुपम शर्मा ने कहा था कि यह रुपये एक प्रत्याशी हैं, यदि उसका नाम खोलेगा तो राजनीति में भूचाल आ जाएगा। शायद यही वजह है कि प्रकरण की जांच उत्तराखंड पुलिस की सबसे बड़ी जांच एजेंसी को सौंपी गई है। जिसकी जांच और पल-पल की कार्रवाई पर पुलिस महकमे से लेकर आला अधिकारियों, नेताओं और आम लोगों की निगाहें टिकी हुई हैं।
डीआइजी एसटीएफ रिधिम अग्रवाल ने बताया कि रविवार को डब्ल्यूआइसी के मैनेजर से लंबी पूछताछ की जा चुकी है। अब साक्ष्य जुटाने और वारदात में संलिप्त अन्य चेहरों के बारे में जानकारी मिलने पर उससे दोबारा पूछताछ की जाएगी। वारदात और उसकी साजिश में जो भी शामिल होगा, उसके खिलाफ सबूतों के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
यह है घटनाक्रम
मुकदमे के वादी अनुरोध पंवार देहरादून के जानेमाने प्रॉपर्टी डीलर हैं। उन्हें बीते चार अप्रैल की रात अनुपम शर्मा नाम के व्यक्ति ने राजपुर रोड स्थित डब्ल्यूआइसी में पेमेंट के लिए बुलाया। अनुरोध वहां पहुंचे और अनुपम और वहां के मैनेजर अर्जुन पंवार से मिले। इस बीच उनके परिचित अनुपम शर्मा रकम से भरा बैग उनके पास लेकर आ गए। अर्जुन बैग लेकर अनुरोध को पार्किंग में खड़ी उनकी कार तक छोड़ने गया।
अनुरोध कार लेकर वहां से निकल पड़े। रात दस बजे के करीब होटल मधुवन के पास उन्हें सफेद रंग की स्कॉर्पियों से पीछा कर रहे पुलिसकर्मियों ने रोक लिया और चुनाव में चेकिंग का हवाला देकर रकम लूट ली। इसके बाद अनुरोध को डरा-धमका कर भगा दिया।
अनुरोध ने अगले दिन यानी पांच अप्रैल को इसकी पुलिस के उच्चाधिकारियों से शिकायत की। पांच दिन की प्रारंभिक जांच के बाद मामले में डालनवाला कोतवाली में मुकदमा पंजीकृत किया गया।
शासन ने पुलिस से तलब की रिपोर्ट
उत्तराखंड शासन ने हाईप्रोफाइल लूटकांड का संज्ञान लेते हुए पुलिस मुख्यालय से रिपोर्ट तलब की है। साथ ही अब तक की जांच में सामने आए तथ्यों और उस पर की गई कार्रवाई से भी अवगत कराने को कहा है।
बता दें हाईप्रोफाइल लूटकांड की वारदात को चार अप्रैल की रात को अंजाम दिया गया था। पांच अप्रैल को दून पुलिस को वारदात की भनक लगी। चार दिन के मंथन के बाद लोकसभा चुनाव के मतदान के एक दिन पहले यानी दस अप्रैल को मुकदमा दर्ज किया गया। दून पुलिस के पास यह केस महज 48 घंटे ही रहा। 12 अप्रैल को मामले की जांच एसटीएफ के सुपुर्द कर दी गई। मतदान के बाद लगातार अवकाश के चलते शासन ने अब सोमवार को पुलिस मुख्यालय ने पूरे घटनाक्रम पर रिपोर्ट तलब की है।
पुलिसकर्मियों पर होगी कार्रवाई
शनिवार को पुलिस लाइन से गायब हुए पुलिसकर्मी सोमवार को नाटकीय घटनाक्रम में पुलिस लाइन पहुंच तो गए, लेकिन एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने कहा कि सवाल यह है कि वह किसकी अनुमति से पुलिस लाइन से बाहर गए। इस बारे में सीओ पुलिस लाइन जया बलूनी को जांच सौंपी गई है। उनकी रिपोर्ट आने के बाद तीनों पर कार्रवाई की जाएगी।
एसटीएफ ने आरोपित पुलिसकर्मियों के लिए बयान
आइजी कार्यालय की स्कार्पियो से हुए हाईप्रोफाइल लूटकांड में एसटीएफ ने आखिरकार आरोपित पुलिसकर्मियों के बयान दर्ज कर ही लिए। इसके बाद मुख्य साजिशकर्ता अनुपम शर्मा से भी लंबी पूछताछ की गई। वहीं, मुकदमे के वादी प्रापर्टी डीलर अनुरोध पंवार से भी एसटीएफ ने घटनाक्रम के बारे में विस्तार से जानकारी ली। आरोपितों को किसी भी सूरत में अब देहरादून जिले से बाहर न जाने की चेतावनी दी गई है।
शनिवार को पुलिस लाइन से फरार हुए निलंबित और हाईप्रोफाइल लूटकांड के आरोपित पुलिसकर्मियों ने नाटकीय तरीके से आमद करा ली। इसके कुछ ही घंटों के भीतर एसटीएफ ने तीनों को अपने दफ्तर बुलाया और बारी-बारी से सभी के बयान लिए। डीआइजी एसटीएफ रिधिम अग्रवाल ने बताया कि दारोगा दिनेश नेगी, सिपाही मनोज अधिकारी व हिमांशु उपाध्याय से अलग-अलग पूछताछ की गई, लेकिन सभी ने आरोपों को नकारा।
सूत्रों की मानें तो जब एसटीएफ ने उन्हें आइजी की सरकारी स्कार्पियो के साथ तीनों की फुटेज दिखाई तो वह चुप्पी साध गए। वहीं, तीनों की कॉल डिटेल भी उन्हें दिखाई गई, जिसमें दारोगा दिनेश नेगी की अनुपम शर्मा से वारदात के दिन और उससे कई दिन पहले से कई बार बात होने की पुष्टि हो रही थी। इसके बाद एसटीएफ ने अनुपम शर्मा को तलब कर उससे एक-एक कर एक दर्जन से अधिक सवाल किए।
सूत्रों की मानें तो उसने भी आरोपों को नकारने का खेल किया, लेकिन जब सीसीटीवी फुटेज और सीडीआर दिखाई गई तो वह भी खामोश हो गया। इन सबसे पूछताछ के बाद एसटीएफ ने डालनवाला कोतवाली में लूट का मुकदमा दर्ज कराने वाले प्रापर्टी डीलर से घटनाक्रम के बारे में जानकारी मांगी। यहां उन्होंने जो कुछ बताया, वह मुकदमे की तहरीर में कही गई बातों की तस्दीक करती है।
गिरफ्तारी में अब कौन बाधक
छोटे अपराधों का आरोपित हमेशा ही आरोपों से इंकार करता है, लेकिन तब पुलिस उसे गिरफ्तार कर बाद में उसके खिलाफ सुबूत जुटाती है। मगर यहां तो उल्टी ही गंगा बहाई जा रही है। एसटीएफ के पास वारदात से जुड़े सभी साक्ष्य मौजूद हैं, लेकिन अभी तक आरोपितों की गिरफ्तारी तो दूर उन्हें हिरासत में लेने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर हाईप्रोफाइल लूटकांड में कार्रवाई के लिए कौन बाधक बन रहा है।
मौजूद हैं तकनीकी साक्ष्य
डीआइजी एसटीएफ रिधिम अग्रवाल के मुताबिक, अनुपम शर्मा समेत तीनों पुलिसकर्मियों से पूछताछ की गई है। सभी ने फिलहाल आरोपों से इंकार किया है, लेकिन हमारे पास वारदात को लेकर पूरे तकनीकी साक्ष्य मौजूद हैं। सभी को देहरादून छोड़ कर न जाने की हिदायत दी गई है।
पूर्व एसओ प्रकरण में एसएसपी टिहरी से रिपोर्ट मांगी
पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने टिहरी के एसएसपी से राजपुर के पूर्व एसओ प्रकरण में चल रही जांच रिपोर्ट तलब की है। इस मामले में पूर्व एसओ पर पश्चिमी उत्तरप्रदेश के एक माफिया के करीबी से साठगांठ कर प्रॉपर्टी डीलर को डराने-धमकाने के आरोप लगे थे।
पुलिस के मुताबिक, राजपुर क्षेत्र के पूर्व एसओ अरविंद कुमार पर प्रॉपर्टी के विवाद से जुड़े मामले में धमकाने का आरोप लगा था।
इस मामले में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक माफिया के करीबी के साथ मिलकर पीडि़त के भाई को प्रताडि़त करने का भी आरोप था। इस शिकायत का संज्ञान लेकर पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था ने आइजी गढ़वाल को जांच के आदेश दिए थे। जांच में मामला प्रथम दृष्टया सही पाया गया।
आइजी की जांच रिपोर्ट पर एसएसपी दून ने आरोपित एसओ को लाइन हाजिर कर दिया था। निष्पक्ष जांच के लिए आइजी ने इस प्रकरण की जांच एसएसपी टिहरी योगेंद्र रावत को सौंपी थी। तीन माह का समय बीतने पर भी जांच रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय को नहीं मिली है। इस मामले में डीजी लॉ एंड आर्डर अशोक कुमार ने गढ़वाल रेंज के आइजी अजय रौतेला और एसएसपी टिहरी को रिमांडर भेजकर जांच रिपोर्ट मांगी है। डीजी ने कहा कि जांच रिपोर्ट में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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