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आईजी की कार में सवार लूट के आरोपित पुलिसकर्मियों की जांच में लीपापोती

हाईप्रोफाइल लूटकांड में पुलिस से लेकर एसटीएफ तक की जांच कई सवाल खड़े करती है। यह स्थिति तब है जब अपराध साबित हो चुका है और अपराध करने वाले भी पहचाने जा चुके हैं।

By BhanuEdited By: Published: Sun, 14 Apr 2019 09:21 AM (IST)Updated: Sun, 14 Apr 2019 09:21 AM (IST)
आईजी की कार में सवार लूट के आरोपित पुलिसकर्मियों की जांच में लीपापोती
आईजी की कार में सवार लूट के आरोपित पुलिसकर्मियों की जांच में लीपापोती

देहरादून, जेएनएन। हाईप्रोफाइल लूटकांड में पुलिस से लेकर एसटीएफ तक की जांच कई सवाल खड़े करती है। वह ये कि जांच एजेंसी उत्तराखंड पुलिस के दामन पर लगे कलंक को कोई दूसरा रूप देने की कोशिश तो नहीं कर रही है। अपराध साबित हो चुका है और अपराध करने वाले भी पहचाने जा चुके हैं। फिर किस भय से एसटीएफ आरोपितों पर शिकंजा नहीं कस रही है। अब तक की जांच से तो यही आभास हो रहा है कि जांच और साक्ष्य जुटाने का हवाला देकर लीपापोती हो रही है। कहीं, इन सबके पीछे किसी बड़े अफसर या नेता का नाम तो नहीं, जो इस जांच को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है।

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हाईप्रोफाइल लूटकांड की वारदात के घटनाक्रम पर सिलेसिलेवार नजर डालेंगे तो इस बात का सहज ही अंदाजा हो जाएगा कि कुछ तो है जिसे पुलिस और एसटीएफ छिपाना चाह रही है। 

दरअसल, चार अप्रैल की रात को प्रापर्टी डीलर अनुरोध पंवार को डब्ल्यूआइसी में अनुपम शर्मा ने पेमेंट के लिए बुलाया। अनुरोध देर रात अपनी कार से रुपये लेकर बल्लूपुर स्थित अपने घर को निकले, लेकिन तभी उन्हें आइजी गढ़वाल की सरकारी स्कार्पियो सवार तीन पुलिसकर्मियों ने होटल मधुबन के सामने रोक लिया। 

चुनाव में चेकिंग के बहाने रकम से भरा बैग ले लिया। सर्वे चौक तक अनुरोध की गाड़ी में एक पुलिसकर्मी आया और वह खुद उनकी कार से उतरा और अनुरोध को धमकाकर कार समेत भगा दिया। यह बातें सौ से अधिक सीसीटीवी कैमरों की फुटेज से साफ हो चुकी हैं। पुलिस लाइन के गेट पर लगे सीसीटीवी कैमरे से यह बात भी साफ हो चुकी है कि गाड़ी पुलिस लाइन से निकली और वापस भी यहीं लौट कर आई। इसके बावजूद फिर क्या वजह है कि कार्रवाई के लिए पुलिस के कदम आगे क्यों नहीं बढ़ पा रहे हैं। 

पीआरडी जवान के मोबाइल से मिली पहली लीड

सूत्रों से एक और अहम बात पता चली है। वह यह है कि अनुरोध की गाड़ी से उतरने वाले पुलिसकर्मी ने सर्वे चौक पर ड्यूटी पर तैनात पीआरडी जवान के मोबाइल से स्कार्पियो सवार पुलिसकर्मी को फोन किया था। डालनवाला पुलिस इस जवान का भी बयान दर्ज कर चुकी है, जिसके बाद कॉल डिटेल ने तीनों पुलिसकर्मियों की संलिप्तता को एक झटके में उजागर कर दिया। अभी इस बात को पर्दे के पीछे रखा गया है। 

..तो अफसरों ने क्या की जांच

लूटकांड का पता चलने के बाद आइजी गढ़वाल से लेकर एसएसपी देहरादून और डालनवाला पुलिस ने तीन दिन तक जांच की। आइजी और एसएसपी की चुनाव से एक दिन पहले मैराथन बैठक भी हुई। इसके अगले दिन यानी मंगलवार की भोर में मुकदमा भी दर्ज कर लिया। 

अफसरों की जांच में फुटेज और तकनीकी साक्ष्यों पर गौर करने के बाद ही मुकदमा दर्ज किया गया। सवाल यह कि उस जांच में सामने आए तथ्य क्या कूड़ेदान में चले गए। एसटीएफ को उन साक्ष्यों को दोबारा से क्यों जुटाना पड़ रहा है। आइजी और एसएसपी की ओर से जुटाए गए साक्ष्यों की क्या कोई अहमियत नहीं है। या उन्होंने भी सतही जांच कर के ही मुकदमा दर्ज करा दिया था।

रकम को लेकर अभी असमंजस

वादी से लेकर आरोपित पुलिसकर्मियों से पूछताछ में यह बात साफ नहीं हो सकी कि रकम कितनी थी। रकम थी तो कहां से आई थी। क्या अनुरोध का वास्तव में अनुपम शर्मा पर बकाया था, जिसकी बात उन्होंने तहरीर में कही है। डीआइजी एसटीएफ ने बताया कि रुपये के बारे में पता लगाने के बाद स्वत: कई बातें साफ हो जाएंगी।

टीम को मिले दो इंस्पेक्टर

डीआइजी एसटीएफ ने बताया कि एएसपी स्वतंत्र कुमार के नेतृत्व में गठित टीम में दो इंस्पेक्टर और शामिल कर दिए गए हैं। वहीं कुछ पुलिसकर्मियों को जांच टीम से अटैच किया गया है। 

इन सवालों के जवाब देने से कतरा रही पुलिस

- प्रापर्टी डीलर से लूट हुई। लूट करने के आरोपित पुलिसकर्मी भी पहचान लिए गए। फिर आरोपितों की गिरफ्तारी में कौन बाधक बन रहा।

- पुलिस कर्मियों को अनुरोध पंवार की कार में मोटी रकम होने की सटीक मुखबिरी किसने की थी। 

- पुलिस कर्मी वारदात को अंजाम देने के बाद पुलिस लाइन गए तो वहां से नकदी की बरामदगी को छापे क्यों नहीं डाले गए।

- अनुरोध पंवार से अब तक आधिकारिक तौर पर पूछताछ क्यों नहीं की गई और क्यों उनके बयान नहीं लिए गए।

- राजनीति में भूचाल लाने की बात कहने वाले अनुपम शर्मा को पुलिस ने क्यों घेरे में नहीं लिया। वह पुलिस की नाक के नीचे से दिल्ली भागने में कैसे कामयाब हो गया। क्या पुलिस ने उसे क्लीन चिट दे दी है।

- सीसीटीवी में क्राइम रूट की पहचान हो गया। यह पता लग गया आइजी की स्कार्पियो कहां-कहां दौड़ी और आरोपित पुलिस कर्मी कहां-कहां गए। फिर रुपयों की बरामदगी का सतही प्रयास क्यों।

संलिप्तता साबित होने पर होगी गिरफ्तारी 

डीआइजी एसटीएफ रिधिम अग्रवाल के मुताबिक, सीसीटीवी फुटेज और तकनीकी साक्ष्यों से यह बात तो साबित हो चुकी है कि लूट हुई है और उसमें तीनों पुलिसकर्मी शामिल हैं। लेकिन नकदी का अभी तक पता नहीं चल पा रहा है। अनुपम शर्मा के दिल्ली में होने की खबर मिली है। उसके संलिप्तता स्पष्ट होने के बाद आरोपितों की गिरफ्तारी की जाएगी। 

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