Move to Jagran APP

कभी ऐसा था अपना दून, जानिए यहां से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

देहरादून का रंगीन मौसम यहां की खूबसूरत आबोहवा एतिहासिक पृष्ठभूमि सांस्कृतिक परिदृश्य रहन-सहन खान-पान आदि अपनी विशिष्टता के लिए देश-दुनिया में पहचान रखते हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 10 Nov 2019 01:38 PM (IST)Updated: Sun, 10 Nov 2019 08:26 PM (IST)
कभी ऐसा था अपना दून, जानिए यहां से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
कभी ऐसा था अपना दून, जानिए यहां से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

देहरादून, दिनेश कुकरेती। चलिए! इस बार हम आपका परिचय दूनघाटी से जुड़े उन एतिहासिक तथ्यों से कराते हैं, जिनके बारे में शायद ही लोगों को जानकारी हो। दून का रंगीन मौसम, यहां की खूबसूरत आबोहवा, एतिहासिक पृष्ठभूमि, सांस्कृतिक परिदृश्य, रहन-सहन, खान-पान आदि अपनी विशिष्टता के लिए देश-दुनिया में पहचान रखते हैं। यह ठीक है कि अपनी बेपरवाह जीवनशैली के चलते हमें इस सबको जानने-समझने की जरूरत महसूस नहीं हुई, लेकिन यह भी समय की जरूरत है कि भविष्य की पीढ़ी अपने खुशहाल अतीत से परिचित हो। प्रस्तुत हैं दून से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य।

loksabha election banner

दून में 11 जनवरी 1945 को हुआ था हिमपात

-देहरादून में आजादी से पूर्व 11 जनवरी 1945 को संभवत: पहली बार बर्फबारी हुई थी। इस दिन तापमान गिरकर -1.1 डिग्री सेल्सियस तक आ गया था।

-देहरादून में 22 अगस्त 1951 को 24 घंटे के भीतर 327.1 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई थी। इसी तरह मसूरी में 19 अगस्त 1890 को 439.4 मिमी वर्षा रिकॉर्ड हुई थी।

-25 अगस्त 1954 को देहरादून के राजपुर क्षेत्र में 24 घंटे में होने वाली सबसे अधिक वर्षा 440.4 मिमी रिकॉर्ड की गई थी।

-देहरादून में चार जून 1902 को सर्वाधिक तापमान 43.9 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था, जबकि एक फरवरी 1905 को सबसे कम -1.1 डिग्री सेल्सियस तापमान रिकॉर्ड किया गया। इसी तरह पहाड़ों की रानी मसूरी में दस फरवरी 1950 को -6.7 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज हुआ था।

निराले थे मसूरी के होटल-रेस्टोरेंट

वर्ष 1942 में मसूरी की माल रोड पर एक स्टैंडर्ड रेस्टोरेंट हुआ करता था, जहां रोजाना कैब्रे डांस के प्रोग्राम होते थे। रेस्टोरेंट में सप्ताह के छह दिन दोपहर से रात 11 बजे तक और शनिवार को रात 12 बजे तक विदेशी मदिरा और यूरोपियन फैशन से खाना सर्व होता था। इसके अलावा मसूरी के दो अन्य रेस्टोरेंट सवाय होटल और हैकमन्स में भी लगभग रोजाना ही बाल रूम डांस के प्रोग्राम होते थे। पियानो सहित बैंड यहां लाइव संगीत बजाया करते थे।

साथ-साथ चलते थे सिनेमा और बार 

वर्ष 1943 में देहरादून के ओडियन थियेटर और ओरिएंट सिनेमा में शराब के बार हुआ करते थे, जबकि मसूरी का रिंक थियेटर मैसर्स आडवाणी एंड सन्स के प्रबंधन में था और इसमें थियेटर, स्केटिंग, सिनेमा, बिलियर्ड, बार व रेस्टोरेंट हुआ करता था। देहरादून के न्यू एम्पायर सिनेमा की बिल्डिंग का नाम पैलेस हुआ करता था। वर्ष 1941 में इस बिल्डिंग के पैलेस बाल रूम के पट्टेदार वेदप्रकाश खन्ना थे। बिल्डिंग की ऊपरी मंजिल पर स्केटिंग रिंक हुआ करता था और खन्ना को थियेटर बार लाइसेंस भी मिला हुआ था।

 

पलटन बाजार की शुरुआत में रौनक बिखेरता था फव्वारा

अंग्रेजी शासनकाल में पलटन बाजार की शुरुआत में वर्तमान पीएनबी के सामने एक बड़ा फव्वारा हुआ करता था। वर्ष 1903 में इसी स्थान पर भगवान दास बैंक था। देहरादून के म्युनिसपल बोर्ड ने इस फव्वारे की एक बिस्वा चार बिस्वांसी भूमि भगवान दास बैंक को एक अप्रैल 1935 से 30 साल के लिए पट्टे पर दी हुई थी। 13 जून 1947 को देहरादून के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने इस फव्वारे को अवैधानिक करार देते हुए हटाने के आदेश कर दिए। इसके बाद इस फव्वारे को हटाकर राजपुर रोड स्थित सुभाष पार्क में शिफ्ट कर दिया गया।

यह भी पढ़ें: दिल्ली के प्रदूषण से दूर पर्यटक पहुंच रहे मसूरी और नैनीताल, पढ़िए पूरी खबर

खद्दर अधिनियम

देहरादून में 15 मार्च 1938 से खद्दर (नाम संरक्षण) अधिनियम 1935 लागू हो गया था। हालांकि, आज इस अधिनियम के बारे में शायद ही किसी को जानकारी हो।

गांधी आश्रम वाली बिल्डिंग में थी कोतवाली

वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान सैकड़ों सत्याग्रही बंदी बनाए गए थे और उनको धामावाला स्थित कोतवाली में बनी हवालात में रखा जाता था। यह कोतवाली वर्तमान में गांधी आश्रम वाली बिल्डिंग में होती थी। सात सितंबर 1943 को देहरादून के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने मेरठ मंडल के कमिश्नर को एक पत्र के माध्यम से उन्हें अपनी वीटो पावर इस्तेमाल करते हुए कोतवाली को धामावाला से पलटन बाजार मिडिल स्कूल परिसर में शिफ्ट करने का अनुरोध किया। इसके बाद ही कोतवाली शिफ्ट होकर वर्तमान परिसर में आई।

यह भी पढ़ें: नमामि गंगे में धुलेंगे देहरादून के रिस्पना व बिंदाल नदियों के दाग Dehradun News

रेसकोर्स में दौड़ते थे घोड़े

देहरादून का वर्तमान रेसकोर्स क्षेत्र 1885 में 87 बीघा में फैला था। इसमें घोड़े दौड़ाने का एक उम्दा रेसकोर्स हुआ करता था। अंग्रेज लोग मसूरी में बैठकर दूरबीन की मदद से देहरादून रेसकोर्स में दौड़ते घोड़ों को देखा करते थे।

दर्शनी गेट पर हुलास वर्मा ने फहराया था झंडा

26 जनवरी 1932 को देहरादून में आयोजित स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में सुबह नौ बजे दर्शनी गेट पर हुलास वर्मा ने झंडा फहराया। इस दौरान लगभग 300 लोगों ने झंडे को सलामी दी थी।

यह भी पढ़ें: देहरादून में अपनी ओर खींचता है कैक्टस का मनमोहक संसार, पढ़िए पूरी खबर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.