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कोरोनेशन अस्पताल में डायलिसिस करा रहे 50 मरीजों में हेपेटाइटिस-सी पॉजीटिव Dehradun News

कोरोनेशन अस्पताल की नेफ्रो डायलिसिस यूनिट की जांच बैठा दी गई है। यहां करीब 50 मरीजों में हेपेटाइटिस-सी पॉजीटिव पाया गया। इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हैं।

By BhanuEdited By: Published: Fri, 25 Oct 2019 12:49 PM (IST)Updated: Fri, 25 Oct 2019 12:49 PM (IST)
कोरोनेशन अस्पताल में डायलिसिस करा रहे 50 मरीजों में हेपेटाइटिस-सी पॉजीटिव Dehradun News
कोरोनेशन अस्पताल में डायलिसिस करा रहे 50 मरीजों में हेपेटाइटिस-सी पॉजीटिव Dehradun News

देहरादून, जेएनएन। कोरोनेशन अस्पताल की नेफ्रो डायलिसिस यूनिट की जांच बैठा दी गई है। यहां करीब 50 मरीजों में हेपेटाइटिस-सी पॉजीटिव पाया गया। इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हैं। इन मरीजों में कुछ की जांच एम्स में कराई गई तो रिपोर्ट निगेटिव आई। मामला संदेहास्पद होने पर सीएमएस ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं। 

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दरअसल, कोरोनेशन अस्पताल में नेफ्रो डायलिसिस यूनिट का संचालन पीपीपी मोड पर किया जा रहा है। जहां बीपीएल कार्डधारकों के लिए मुफ्त डायलिसिस की सुविधा है। करीब तीन साल से नेफ्रो प्लस कंपनी इसका संचालन कर रही है। वर्तमान समय में यहां प्रतिदिन 50 मरीज डायलिसिस के लिए पहुंचते हैं। पर कभी व्यवस्थागत खामियों और कभी स्वच्छता की अनदेखी के कारण नेफ्रो प्लस कठघरे में रही है। 

इसी साल मार्च में बकाया भुगतान न होने पर कंपनी ने मरीजों का इलाज बंद करने की चेतावनी दी थी। अब एक नया मामला सामने है। पिछले कुछ दिन से अस्पताल के डॉक्टरों के पास अचानक डायलिसिस करा रहे ऐसे मरीज आने लगे, जिन्हें निजी लैब की जांच रिपोर्ट में हेपेटाइटिस-सी बताया गया था। 

करीब 50 मरीजों में हेपेटाइटिस-सी पॉजीटिव पाए जाने पर हड़कंप मच गया है। इन मरीजों को बाहर से महंगी दवाएं लिखी जा रही थी। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बीसी रमोला ने वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. एनएस बिष्ट को प्रकरण देखने को कहा। इस पर उन्होंने कुछ मरीजों की जांच एम्स ऋषिकेश में कराई। जिस पर रिपोर्ट निगेटिव आई। 

डॉ. रमोला के अनुसार इस मामले में तीन डॉक्टरों की जांच समिति गठित की गई है। जो तीन दिन में अपनी रिपोर्ट देगी। यह टीम दो बिंदुओं पर मामले की जांच करेगी। पहला यह कि दो अलग जगह जांच कराने पर रिपोर्ट अलग-अलग कैसे आई। क्योंकि इस कारण मामला संदिग्ध व गंभीर हो गया है। इसमें कंपनी की भूमिका की भी जांच की जाएगी। 

दूसरा पक्ष यह कि मामला सही है तो इतनी बड़ी संख्या में हेपेटाइटिस-सी के केस आने का कारण क्या है। गुर्दा रोगियों में संक्रमण का खतरा अधिक रहता है। ऐसे में संक्रमण की रोकथाम व अन्य गुणवत्ता मानकों की अनदेखी का असर सीधा मरीज की सेहत पर पड़ता है। इस पहलू की भी टीम जांच करेगी। देखा जाएगा कि सामान्य प्रोटोकॉल का पालन भी किया जा रहा है या नहीं।

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उधर, नेफ्रो प्लस के वाइस प्रेसिडेंट सुकरान सलूजा के अनुसार कोरोनेशन अस्पताल की रिपोर्ट गलत थी। हमने अपने खर्चे पर इन मरीजों के दोबारा टेस्ट कराए थे। चिकित्सा अधीक्षक ने जवाब मांगा है। पूरी रिपोर्ट उन्हें दी जाएगी। उसके बाद ही हम इस बारे में मीडिया को कुछ बता सकेंगे।

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