बदरीनाथ और जोशीमठ के बीच जल्द शुरू होगी हेली शटल सेवा, राज्य सरकार ने केंद्र को सौंपा इस संबंध में प्रस्ताव
उत्तराखंड सरकार बद्रीनाथ और जोशीमठ के बीच हेली शटल सेवा शुरू करने की योजना बना रही है जिससे यात्रियों को सुविधा होगी। पहले गौचर से बद्रीनाथ के लिए योजना थी जो शुरू नहीं हो सकी। अब देहरादून पिथौरागढ़ और धारचूला से मुनस्यारी के बीच भी हेली सेवा का प्रस्ताव है। केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। प्रदेश सरकार अब बदरीनाथ व जोशीमठ के बीच हेली शटल सेवा शुरू करने की तैयारी कर रही है। इसे केदारनाथ की तर्ज पर संचालित किया जाना प्रस्तावित है। इससे यात्रियों को लाभ मिलेगा।
पहले सरकार ने गौचर से बदरीनाथ के बीच हेली सेवा शुरू करने की योजना बनाई थी, लेकिन यह शुरू नहीं हो पाई। अब शासन ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय से बदरीनाथ व जोशीमठ के बीच शटल सेवा शुरू करने का अनुरोध किया है।
साथ ही देहरादून से जोशीमठ, पिथौरागढ़ से धारचूला व धारचूला से मुनस्यारी के बीच हेली सेवा संचालन की अनुमति देने का भी प्रस्ताव सौंपा है।
प्रदेश में चारधाम यात्रा के दौरान हर वर्ष केदारनाथ के लिए हेली सेवाओं का संचालन किया जाता है। ये हेली सेवाएं गुप्तकाशी, फाटा व सिरसी से संचालित की जाती हैं।
इसी तर्ज पर गत वर्ष बदरीनाथ के लिए हेली सेवा प्रस्तावित थी। इस कड़ी में हेमकुंड साहिब के लिए चल रही हेली सेवा को बीच अवधि में बदरीनाथ धाम के लिए भी संचालित करने का निर्णय लिया। इसके लिए टेंडर के साथ ही किराया दर भी तय की गई, लेकिन इसमें यात्रियों ने रूचि नहीं दिखाई।
इसे देखते हुए इस मार्ग का एक बार फिर अध्ययन किया गया। इसके तहत इस सेवा को जोशीमठ से शुरू करने का निर्णय लिया गया। यहां से बदरीनाथ की दूरी कम है और इसके लिए यात्रियों को अधिक किराया भी नहीं देना पड़ेगा।
यह प्रस्ताव केंद्र सरकार को सौंप दिया गया है। केंद्र ने इस पर सकारात्मक रुख दिखाया है। सचिव नागरिक उड्डयन सचिन कुर्वे ने बताया कि केंद्र को इस संबंध में प्रस्ताव सौंपा जा चुका है।
जायरोकाप्टर के लिए मिले व्यावसायिक लाइसेंस
राज्य सरकार ने प्रदेश में पर्यटकों को हवाई सफर के रोमांच से रूबरू कराने के लिए जायरोकाप्टर के व्यावसायिक लाइसेंस देने का केंद्र से आग्रह किया है। ये जायरोकाप्टर देहरादून, पिथौरागढ़ व चिन्यालीसौड़ में संचालित करने की योजना है।
प्रदेश में जायरोकाप्टर का संचालन पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में हरिद्वार से देवप्रयाग तक किया जा चुका है। अब इसकी नियमित सेवा के लिए व्यावसायिक लाइसेंस की जरूरत है।
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