Year Ender 2021: उत्तराखंड में स्वास्थ्य ढांचे को मिली मजबूती, डाक्टरों की कमी हुई दूर
उत्तराखंड के विषम भुगोल के कारण पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना प्रदेश में अभी तक आई सरकारों के सामने सबसे बड़ी चुनौती रहा है। बीते कुछ वर्षों में स्वास्थ्य के क्षेत्र में सकारात्मक पहल हुई हैं।

राज्य ब्यूरो, देहरादून: उत्तराखंड के विषम भुगोल के कारण पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना प्रदेश में अभी तक आई सरकारों के सामने सबसे बड़ी चुनौती रहा है। बीते कुछ वर्षों में स्वास्थ्य के क्षेत्र में सकारात्मक पहल हुई हैं। विशेष रूप से कोरोना के कारण सरकार का फोकस स्वास्थ्य के ढांचे को मजबूत करने पर रहा। इसमें सरकार को खासी सफलता भी मिली है। हालांकि, अभी भी पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य ढांचे को और अधिक मजबूत करने की चुनौती प्रदेश सरकार के सामने हैं।
प्रदेश में मौजूदा स्वास्थ्य सुविधाओं के बढऩे का एक प्रमुख कारण कोविड-19 रहा। कोविड संक्रमण के कारण प्रदेश सरकार के लिए स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने की दिशा में काम करना जरूरी हो गया। यही कारण है कि आज प्रदेश में आक्सीजन प्लांट से लेकर वेंटीलेटर और विभिन्न प्रकार की जांच के लिए नई लैब स्थापित की गई हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कोरोना से पहले प्रदेश में केवल 1200 आइसोलेशन बेड थे, जिनकी संख्या अब बढ़कर 27186 पहुंच चुकी है। पहले केवल केवल जिला चिकित्सालय में ही आइसीयू (इंटेंसिव केयर यूनिट) थे। अब प्रदेश में 1655 आइसीयू हैं। वेंटीलेटर की संख्या भी 116 से बढ़कर 1016 हो गई है। वहीं आक्सीजन सिलेंडर की संख्या 1193 से बढ़कर 22420 और आक्सीजन कंसन्ट्रेटर की संख्या 275 से बढ़कर 9838 पहुंच चुकी है। राज्य में पहले केवल एक आक्सीजन जनरेशन प्लांट था, जिनकी संख्या आज 87 पहुंच चुकी है।
शत-प्रतिशत पहली डोज लगाने वाला राज्य
उत्तराखंड के लिए एक बड़ी उपलब्धि यह है कि वह कोरोना रोधी वैक्सीन की शत-प्रतिशत पहली डोज लगाने वाला राज्य बन गया। इसके लिए प्रदेश में जगह-जगह वृहद टीकाकरण अभियान चलाया गया। राज्य में 77.42 लाख व्यक्तियों को पहली डोज लग चुकी है। इनमें से 61.36 लाख ऐसे हैं, जो दोनों डोज लगा चुके हैं। सरकार का लक्ष्य इस वर्ष अंत तक सभी को दोनों डोज लगाने का है।
सबको मुफ्त इलाज दे रही अटल आयुष्मान योजना
प्रदेश में अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक बड़ा कदम है। यह देश का ऐसा पहला राज्य है जहां प्रत्येक परिवार को मुफ्त उपचार सेवाओं का लाभ मिल रहा है। इस योजना के तहत हर परिवार को पांच लाख रुपये तक का निश्शुल्क उपचार दिया जा रहा है। इस योजना में 44.72 लाख लोगों के अटल आयुष्मान कार्ड बनाए जा चुके हैं। इसके साथ ही सरकार ने राज्य कार्मिक, पेंशनरों व उनके आश्रितों के लिए राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना लागू की है। इसमें असीमित कैशलेस उपचार की सुविधा दी गई है।
प्रदेश में तीन नए मेडिकल कालेज
प्रदेश में इस साल तीन नए मेडिकल कालेज को मंजूरी प्रदान की गई। इनमें रुद्रपुर, हरिद्वार और पिथौरागढ़ मेडिकल कालेज शामिल हैं। इसके साथ ही ऊधमसिंह नगर में एम्स की भी स्थापना की जाएगी। इन सभी योजनाओं का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया जाना प्रस्तावित है। इसके साथ ही प्रदेश में इस साल मेडिकल की पढ़ाई भी सस्ती की गई है। राजकीय मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस की सबसे कम फीस करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बना है। दून मेडिकल कालेज, हल्द्वानी मेडिकल कालेज और श्रीनगर में बांड के आधार पर 50 हजार रुपये सालाना फीस रखी गई है। बिना बांड के यह फीस 1.45 लाख रखी गई है।
मुफ्त दवाइयों के साथ पैथोलाजी जांच भी निश्शुल्क हुई
प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में मरीजों को दवाईयों के साथ पैथोलाजी जांच की निश्शुल्क सुविधा शुरू की गई है। प्रदेश के सभी अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को 207 तरह की पैथोलाजी जांच मुफ्त की गई हैं। किडनी मरीजों के लिए हर जिले में डायलिसिस की सुविधा शुरू की गई है। सरकारी अस्पतालों में ओपीडी, आईपीडी और इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को निश्शुल्क सुविधा दी जा रही है।
हेली एंबुलेंस को बढ़ रहा इंतजार
प्रदेश में हेली एंबुलेंस को लेकर लंबे समय से केंद्र सरकार से मांग की जा रही है। हालांकि, केंद्र से अभी तक इसके लिए अनुमति नहीं मिली है। वर्ष 2019 में इसके लिए केंद्र ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत बजट आवंटित किया था लेकिन किन्हीं कारणवश इसकी खरीद नहीं हो पाई। इसके बाद से प्रदेश को हेली एंबुलेंस नहीं मिल पाई हैं। हालांकि, प्रदेश सरकार ने किराये पर हेलीकाप्टर लेकर दुर्गम क्षेत्रों के लिए एयर एंबुलेंस सेवा की शुरुआत की है।
डाक्टरों की कमी हुई दूर
प्रदेश में अब डाक्टरों की कमी काफी हद तक दूर हो गई है। प्रदेश में डाक्टरों के कुल 2735 पद स्वीकृत हैं। इसके सापेक्ष अब 2260 डाक्टरों की तैनाती हो चुकी है। पूर्व में यह संख्या 1100 थी। इससे पर्वतीय क्षेत्रों में डाक्टरों की आमद भी हुई हैं। हालांकि, विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी अभी भी बनी हुई है। उम्मीद यह है कि आने वाले समय में यह कमी दूर हो सकेगी।
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