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संन्यास की चर्चाओं पर हरीश रावत बोले, मैं केवल पद के लिए राजनीति में नहीं हूं

कांग्रेस महासचिव पद से इस्तीफे के बाद राजनीति से संन्यास की चर्चाओं पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा मैं केवल पद के लिए राजनीति में नहीं हूं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 07 Jul 2019 02:37 PM (IST)Updated: Sun, 07 Jul 2019 02:37 PM (IST)
संन्यास की चर्चाओं पर हरीश रावत बोले, मैं केवल पद के लिए राजनीति में नहीं हूं

देहरादून, जेएनएन। कांग्रेस महासचिव पद से इस्तीफे के बाद राजनीति से संन्यास की चर्चाओं पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा, मैं केवल पद के लिए राजनीति में नहीं हूं। 2017 में हार के बाद राहुल गांधी ने मैदान में डटे रहने को कहा तो 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा। अब फिर राहुल गांधी से इस संबंध में बात करूंगा। इसके बाद ही कोई निर्णय लूंगा। मैं उत्तराखंड, हिमाचल, उप्र में कांग्रेस की हार के कारणों की तह में जाना चाहता हूं।

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 बता दें कि कुछ दिन पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व असम प्रभारी और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पद से इस्तीफा दे दिया था। फेसबुक पोस्ट के जरिये उन्होंने यह जानकारी दी थी। उन्होंने कहा था कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की हार एवं संगठनात्मक कमजोरी के लिए हम पदाधिकारीगण उत्तरदायी हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि पार्टी को प्रेरणा देने वाले नेता की आवश्यकता है। प्रेरणा देने की क्षमता केवल राहुल गांधी में है। 

फेसबुक पोस्ट में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा था कि असम में पार्टी के अपेक्षित स्तर का प्रदर्शन न कर पाने के लिए बतौर प्रभारी वह उत्तरदायी हैं। अपनी कमी को स्वीकारते हुए अपने महामंत्री के पद से पूर्व में ही त्यागपत्र दे दिया। पार्टी के लिए समर्पित भाव से काम करने के लिए मेरी स्थिति के लोगों के लिए पद आवश्यक नहीं हैं, मगर प्रेरणा देने वाले नेता आवश्यक हैं। प्रेरणा देने की क्षमता केवल राहुल गांधी में है। राहुल गांधी के हाथ में बागडोर रहे तो यह संभव है कि हम 2022 में राज्यों में हो रहे चुनाव में वर्तमान स्थिति को बदल सकते हैं। 

उन्होंने यह भी कहा था कि राहुल के हाथों पार्टी की बागडोर रहने पर 2024 में भाजपा और नरेंद्र मोदी को परास्त कर सकते हैं। इसलिए लोकतांत्रिक शक्तियां व सभी कांग्रेसजन राहुल को कांग्रेस अध्यक्ष पद पर देखना चाहते हैं। हरीश रावत के इस्तीफे के बाद केंद्रीय संगठन में पार्टी के अन्य पदाधिकारियों पर तो इस्तीफे का दबाव बढ़ा ही, साथ में प्रदेश संगठन पर भी दबाव देखा जा रहा है। 

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