पहले तौल में हर किलो पर था शक, अनाज एटीएम से हर ग्राम पर भरोसा
उत्तराखंड में अनाज एटीएम ने राशन वितरण प्रणाली में क्रांति ला दी है। पहले घटतौली और भीड़ की समस्या थी, लेकिन अब एटीएम से तय मात्रा में अनाज मिलता है और कतार में लगने की जरूरत नहीं है। राज्य में 21 अनाज एटीएम लगाए गए हैं, जिससे पारदर्शिता बढ़ी है। हालांकि, तकनीकी रख-रखाव और डिजिटल साक्षरता जैसी चुनौतियाँ अभी भी हैं।

राज्य में 21 अनाज एटीएम लगने से बदली स्थितियां
अश्वनी त्रिपाठी, जागरण, देहरादून। दिन की पहली धूप के साथ राशन की दुकानों पर उमड़ती भीड़। थके हुए चेहरे और झोला थामे हाथ। आंखों में बसा डर कि कहीं फिर तौल कम न निकल जाए। अब यह सब पुराने दिनों की बात हो गई है। राज्य में अनाज एटीएम के नवाचार से हालात काफी बदले हैं।
अब एटीएम की एक बीप से तय मात्रा में अनाज कार्डधारक के झोले में आ जाता है, वहीं उपभोक्ताओं को कतार में भी नहीं लगना पड़ता। इस प्रयोग ने दशकों से राशन वितरण प्रणाली पर लगे कई दाग मिटाकर व्यवस्था पर भरोसा बढ़ा दिया है। राज्य में 21 अनाज एटीएम विभिन्न जिलों में लगाए गए हैं।
उत्तराखंड में अनाज एटीएम के जानने के लिए कुछ साल पीछे जाएं तो पता चलता है कि किस तरह घटतौली व कम राशन वितरण की शिकायतें आम थीं। वर्ष 2022 में अल्मोड़ा के सोमेश्वर में स्थानीय निवासियों ने कम राशन वितरण की शिकायत की। पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट के ग्रामीणों ने बताया कि डिजिटल तराज़ू के बजाय पुराने कांटे का प्रयोग करने से तौल सटीक नहीं होती।
यह भी पढ़ें- उत्तराखंड में करंट-वोल्टेज का रियल टाइम दिखेगा डेटा, UPCL ने दिया प्रशिक्षण
उपभोक्ताओं ने आरोप लगाया कि हर बैग में थोड़ा राशन कम रहता है। उधम-सिंह नगर में तो फर्जी कार्ड से लेकर वितरण में गड़बड़ी तक के आरोप लगे। प्रदेश में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लगे 21 अनाज एटीएम ने सभी समस्याओं को समाप्त कर दिया है।
अनाज एटीएम के लाभ-
- पारदर्शिता-हर लेन-देन का डिजिटल रिकार्ड
- घटतौली रुकी- इसमें तौल में त्रुटि और राशन कम देने की संभावना पर विराम।
- भीड़-नियंत्रण- इससे अब राशन कोटे पर कतार को कम करने में सफलता मिली।
- सहूलियत- एटीएम मशीन से लाभार्थी अपनी सहूलियत के अनुसार राशन ले सके हैं।
चुनौतियां भी हैं
- तकनीकी रख-रखाव- मशीनों को समय पर नियमित सर्विस, साफ्टवेयर अपडेट नहीं मिल पा रहा।
- डिजिटल साक्षरता जरूरी- कई राशन डीलर मशीन का उपयोग करने में कठिनाई महसूस करते हैं, उन्हें सहायक कर्मी की जरूरत पड़ती है।
- त्रुटियां बनती चुनौतीं- आधार-कार्ड/राशन- कार्ड से जुड़ी त्रुटियां कई बार बाधा बनती हैं।
- प्रतिमाह विक्रेता को तकरीबन 800 रुपये बिजली का बिल भुगतान करना पड़ रहा
- एटीएम मशीन संचालित कर रहे विक्रेताओं को एक वर्ष से नहीं मिला लाभांश।
संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम के तहत प्रदेश में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर सबसे पहले अनाज एटीएम को लांच किया गया। इसके बाद 20 अन्य मशीनें प्रदेश के विभिन्न जिलों में लगवाई गई हैं। इसमें 50-50 प्रतिशत की केंद्र व राज्य सरकार ने मदद की है। मशीन लगने से कार्डधारकों का वितरण प्रणाली में भरोसा बढ़ा है।
-पीएस पांगती, अपर आयुक्त, खाद्य व नागरिक आपूर्ति विभाग
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।