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    चाय की चुस्की के साथ कुदरती नजारों का लुत्फ

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Sun, 21 Jan 2018 08:53 PM (IST)

    राज्य सरकार प्रदेश में 'टी-टूरिज्म' की पहल करने जा रही है। प्रथम चरण में नैनीताल में घोड़ाखाल स्थित श्यामखेत चाय बागान को विकसित करने का निश्चय किया गया है।

    चाय की चुस्की के साथ कुदरती नजारों का लुत्फ

    देहरादून, [केदार दत्त]: पश्चिम बंगाल से लेकर असोम तक फैले दोआर क्षेत्र की भांति अब उत्तराखंड में भी सैलानी चाय बागानों और वहां के प्राकृतिक नजारों का करीब से लुत्फ उठा सकेंगे। इसके लिए राज्य सरकार प्रदेश में 'टी-टूरिज्म' की पहल करने जा रही है। प्रथम चरण में नैनीताल में घोड़ाखाल स्थित श्यामखेत चाय बागान को विकसित करने का निश्चय किया गया है। इसके लिए सैनिक स्कूल घोड़ाखाल से 50 एकड़ भूमि लीज पर ली जाएगी। उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड की प्रबंध समिति भी इस पर मुहर लगा चुकी है। श्यामखेत की पहल परवान चढ़ने पर धीरे-धीरे इसे अन्य चाय बागानों में भी अमल में लाया जाएगा।

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    दोआर समेत पूर्वोत्तर राज्यों में चाय बागान पर्यटन का भी अहम जरिया हैं। और फिल्म इंडस्ट्री ने भी वहां के चाय बागानों में शूटिंग में खासी रुचि दिखाई है। जाहिर है कि चाय के साथ ही बागानों में पर्यटन गतिविधियों से भी अच्छी आय हो रही है। उत्तराखंड सरकार ने भी इसी तर्ज पर प्रदेश में भी कदम उठाने की ठानी है। इसके लिए पहली कड़ी में सैलानियों के आकर्षण का केंद्र श्यामखेत चाय बागान को चुना गया है। यही नहीं, हाल में मुख्य सचिव ने भी नैनीताल के दौरे के दरम्यान चाय योजनाओं को पर्यटन से जोड़ने पर जोर दिया था।

    उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड की प्रबंध समिति ने भी टी-टूरिज्म को बढ़ावा देने का निर्णय लेते हुए श्यामखेत बागान पर फोकस किया है। उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड के निदेशक डॉ.बीएस नेगी के मुताबिक सैनिक स्कूल घोड़ाखाल से 50 एकड़ भूमि लेकर इसे श्यामखेत चाय बागान से जोड़ा जाएगा। पूरे बागान को टी-टूरिज्म के रूप में विकसित करने को परिषद ने हरी झंडी दे दी है।

    टी-टूरिज्म के तहत श्यामखेत में सैलानियों के लिए होम स्टे की व्यवस्था के साथ ही वहां आने वाले पर्यटकों को यहां की चाय की खासियत, इसे बनाने के तरीके आदि के बारे में बताया जाएगा। इस बागान में सैलानियों के लिए शुल्क का भी अलग से निर्धारण किया जाएगा। बोर्ड के निदेशक डॉ.नेगी के अनुसार इस पहल से चाय के साथ ही पर्यटन गतिविधि से भी किसानों की आय में इजाफा होगा। श्यामखेत के बाद इसी तरह की पहल गैरसैंण समेत अन्य स्थानों पर स्थित चाय बागानों में की जाएगी।

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