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सिंगल यूज प्लास्टिक पर ठिठके, 2017 के आदेश पर लौटे; पढ़िए पूरी खबर

सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध की पीएम की घोषणा का दून पर गहरा असर पड़ा था लेकिन सरकार अभी तक प्रतिबंध वाले सिंगल यूज प्लास्टिक की परिभाषा तैयार नहीं कर पाई।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 01 Oct 2019 09:39 AM (IST)Updated: Tue, 01 Oct 2019 09:39 AM (IST)
सिंगल यूज प्लास्टिक पर ठिठके, 2017 के आदेश पर लौटे; पढ़िए पूरी खबर
सिंगल यूज प्लास्टिक पर ठिठके, 2017 के आदेश पर लौटे; पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, सुमन सेमवाल। 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी घोषणा का दून पर गहरा असर पड़ा था। महापौर सुनील उनियाल गामा ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध का बीड़ा उठाते हुए पूरे अभियान की कमान संभाल ली थी। तमाम सामाजिक, व्यापारिक, शैक्षणिक आदि संगठनों के साथ मंथन किया गया। गली-मोहल्लों में जनजागरण अभियान चलाया गया। कहा गया था कि दो अक्टूबर तक सिंगल यूज प्लास्टिक के परित्याग के लिए सभी मानसिक रूप से तैयार हो जाएं। क्योंकि दो अक्टूबर से नियमों के उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। दो अक्टूबर की समय-सीमा के लिए अब महज एक दिन शेष रह जाएगा, मगर सरकार अभी तक प्रतिबंध वाले सिंगल यूज प्लास्टिक की परिभाषा ही तैयार नहीं कर पाई है। लिहाजा, उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड स्वयं कह रहा है कि गाइडलाइन स्पष्ट न होने पर प्लास्टिक पर प्रतिबंध के उस आदेश पर आगे बढ़ा जाएगा, जिसे मुख्य सचिव ने वर्ष 2017 में जारी किया था।

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हालांकि, इसके बाद सवाल खड़ा होता है कि जब उसी आदेश पर आगे बढऩा था तो उसका अनुपालन तत्काल प्रभाव से शुरू किया जा सकता था। क्योंकि मुख्य सचिव ने यह आदेश हाईकोर्ट के आदेश के बाद ही जारी किया था। यदि सिंगल यूज प्लास्टिक के बहाने बड़े स्तर पर क्रांतिकारी बदलाव लाने थे तो फिर अब तक प्रतिबंध की श्रेणी क्यों तय नहीं की जा सकी। फिलहाल उसका उचित जवाब किसी भी अधिकारी के पास नहीं है। वह सिर्फ इतना ही कह रहे हैं कि केंद्र से अब तक किसी भी तरह के दिशा-निर्देश व प्रतिबंध वाले प्लास्टिक की सूची नहीं मिली है। ना ही राज्य सरकार ने अपने स्तर पर स्थिति स्पष्ट की है।

असमंजस में हैं कारोबारी और जनता

जब से सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध की बात सामने आई, तब से दून के कारोबारी और लोग असमंजस की स्थिति में हैं। क्योंकि यहां सिर्फ पॉलीबैग/पॉलीथिन पर प्रतिबंध की बात नहीं है। यहां सिंगल यूज प्लास्टिक का मतलब खाद्य सामग्री की पैकिंग से जुड़ी हर एक प्लास्टिक से है, जिसका एक बार ही प्रयोग किया जाता है। इसमें दूध की थैलियों से लेकर पेयजल व अन्य शीतल पेय की बोतलें तक शामिल हैं। यह बात और है कि महाराष्ट्र समेत कुछ प्रदेशों ने अपने स्तर पर प्रतिबंध वाले सिंगल यूज प्लास्टिक की सूची जारी की है, जो कि हमारा प्रदेश नहीं कर पाया।

कहीं अभियान पर न लग जाए पलीता

महापौर सुनील उनियाल गामा के सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध अभियान की कमान संभालने के बाद दून में अच्छा खासा माहौल तैयार हो गया है। देखने में आ रहा है कि जूस व चाय आदि की दुकानों में प्लास्टिक की जगह कागज के बने गिलास आदि का प्रयोग किया जा रहा है। तमाम कार्यक्रमों में पानी की प्लास्टिक की बोतलों की कांच की बोतलों व फ्लास्क ने ले ली है। धर्मपुर में चिलीज रेस्तरां ने अपनी पूरी व्यवस्था से सिंगल यूज प्लास्टिक को बाहर कर दिया है। ऐसे में सरकार के आखिरी समय तक स्थिति स्पष्ट न कर पाने का माहौल पर विपरीत असर पड़ सकता है।

2017 के आदेश में इन पर प्रतिबंध

  • प्लास्टिक व थर्माकोल से बनी थैलियां।
  • प्लास्टिक/थर्माकोल के पत्तल, गिलास, कप, पैकिंग सामग्री।

दूसरे राज्य की पहल से ले सकते हैं सीख

जिस तरह महाराष्ट्र व अन्य राज्यों ने सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर नियम बनाए हैं, यदि उस पर ही आगे बढ़ा जाए तो कम से कम सीधे-तौर पर खाने-पीने वाली तमाम वस्तुओं को प्रभावित करने वाली घटिया श्रेणी के प्लास्टिक को अलग किया जा सकता है।

महापौर सुनील उनियाल गामा का कहना है कि प्लास्टिक पर प्रतिबंध हर हाल में लागू किया जाएगा। यह किस रूप में होगा, उसके लिए जनता को तैयार किया जा रहा है। जन जागरण के माध्यम से जितना संभव होगा, उतना लोगों को प्लास्टिक से परहेज के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसके बाद जुर्माने की कार्रवाई भी अमल में लाई जाएगी। इसकी औपचारिक शुरुआत दो अक्टूबर से कर दी जाएगी।

 

आनंद वर्धन, प्रमुख सचिव (वन एवं पर्यावरण) का कहना है कि केंद्र की गाइडलाइन का इंतजार किया जा रहा है। जैसे ही स्थिति स्पष्ट होती है, उसके अनुसार प्रतिबंध लगाने की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी। हालांकि, इससे भी बड़ा सवाल लोगों को जागरूक करने का है। फिलहाल इसी तरफ ध्यान दिया जा रहा है। लोग जागरूक होंगे तो प्रतिबंध लगाने की जरूरत अपने आप खत्म होती चली जाएगी।

 

एसपी सुबुद्धि, सदस्य सचिव (पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) का कहना है कि केंद्र सरकार से अभी तक किसी तरह के दिशा-निर्देश सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर नहीं मिले हैं। राज्य सरकार ने भी कोई गाइडलाइन जारी नहीं की है। ऐसी स्थिति में मुख्य सचिव के वर्ष 2017 में जारी किए गए आदेश का ही पालन कराया जाएगा। यदि इस बीच कोई नई गाइडलाइन मिलती है तो उसके अनुरूप आगे बढ़ा जाएगा। 

गंगाद्वार से निकलेगी प्लास्टिक नियंत्रण की राह

उत्तराखंड की 7797 ग्राम पंचायतों के 16 हजार से अधिक गांवों को प्लास्टिक- पॉलीथिन कचरे से मुक्त करने की राह गंगाद्वार यानी हरिद्वार से निकलने जा रही है। केंद्र सरकार ने हरिद्वार में प्लास्टिक वेस्ट रीसाइक्लिंग प्लांट के लिए 3.75 करोड़ की राशि स्वीकृत कर दी है। इस प्लांट में राज्य के गांवों से एकत्रित किए जाने वाले प्लास्टिक कचरे का निस्तारण होगा। प्लांट में इससे पीवीसी पाइप, प्लास्टिक के खिड़की-दरवाजे जैसे उत्पाद तैयार होंगे। इस पहल के जरिये जहां प्लास्टिक कचरे से मुक्ति मिलेगी, वहीं गांवों में रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। मुख्यमंत्री से हरी झंडी मिलने के बाद इसी हफ्ते हरिद्वार में रिसाइक्लिंग प्लांट का शिलान्यास होने की संभावना है।

सिंगल यूज प्लास्टिक से देश को मुक्त करने के मद्देनजर राज्य के नगर निकायों में तो इस पर ध्यान केंद्रित किया गया है, मगर गांवों में अब पहल हो रही है। इस संबंध में राज्य की ओर से केंद्र सरकार को भेजे गए मसौदे को मंजूरी पूर्व में मिल चुकी है। गांवों को प्लास्टिक-पॉलीथिन से मुक्त करने की कड़ी में पहले चरण में राज्य के सभी 95 विकासखंडों में एक-एक गांव का चयन किया गया है।

इन 95 गांवों में प्लास्टिक-पॉलीथिन कचरा एकत्र करने को शेड तैयार करने के साथ ही कांपेक्टर मशीन लगाई जाएगी। इस कचरे के निस्तारण को हरिद्वार में रिसाइक्लिंग प्लांट लगाया जा रहा है। गांवों में कांपेक्टर की राशि केंद्र सरकार दे रही है, जबकि शेड पर होने वाला व्यय राज्य सरकार वहन करेगी।

हरिद्वार में केंद्र की मदद से प्लास्टिक वेस्ट रिसाइक्लिंग प्लांट प्रस्तावित है। इसके लिए पंचायतीराज विभाग ने भूमि भी चयनित कर ली है। इस प्लांट में गांवों से एकत्रित प्लास्टिक कचरे का निस्तारण होगा। यह कचरा एकत्रित करने का कार्य गांवों में महिला समूहों को दिया जाएगा। प्लांट में यह चार रुपए प्रति किलोग्राम की दर से खरीदा जाएगा।

साफ है कि इस मुहिम से जहां गांव प्लास्टिक कचरे से मुक्त होंगे, वहीं इसके जरिये रोजगार के रास्ते भी खुलेंगे। रिसाइक्लिंग प्लांट में प्लास्टिक कचरा बेचने के बाद इनसे बनने वाले उत्पादों की बिक्री में से भी कुछ लाभांश संबंधित महिला समूहों को दिया जाएगा।

अपर सचिव पंचायतीराज एचसी सेमवाल ने बताया कि हरिद्वार में रिसाइक्लिंग प्लांट के लिए केंद्र सरकार ने 3.75 करोड़ की राशि का स्वीकृति पत्र जारी कर दिया है। उन्होंने बताया कि पहले दो अक्टूबर को हरिद्वार में प्लांट का शिलान्यास प्रस्तावित था, मगर खराब मौसम को देखते हुए इसे टाल दिया गया। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री से हरी झंडी मिलने के बाद इसी हफ्ते शिलान्यास का कार्यक्रम तय किया जाएगा।

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12 जिलों में चुनाव बाद लगेंगे कांपेक्टर

हरिद्वार को छोड़ राज्य के शेष 12 जिलों में चल रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के चलते वहां के गांवों में चुनाव के बाद कांपेक्टर लगेंगे। अलबत्ता, हरिद्वार के छह ब्लाकों में अक्टूबर में कांपैक्टर लगाने की मुहिम शुरू होगी। 

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