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    बेटा बन परिवार की जिम्मेदारी संभालने को गुलिस्तां ने चुना ई रिक्शा का साथ

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Wed, 03 Jan 2018 08:59 PM (IST)

    उत्तराखंड की मातृशक्ति के बारे में जितना कहा जाए उतना कम है। उन्होंने हर क्षेत्र में बुलंदियों को छुआ है और दूसरों के लिए मिसाल पेश की है।

    बेटा बन परिवार की जिम्मेदारी संभालने को गुलिस्तां ने चुना ई रिक्शा का साथ

    देहरादून, [जेएनएन]: मातृशक्ति अगर कुछ ठान ले तो उसे कर गुजरने से पीछे नहीं हटती। मातृशक्ति की एक ऐसी ही मिसाल हैं गुलिस्तां। जो रिक्शा लेकर जब सड़कों पर उतरती है तो कोर्इ भी उनकी तारीफ किए बिना नहीं रह सकता। अपने परिवार की जिम्मेदारी के साथ उन्होंने रिक्शा का दामन थामा।

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    महिला शब्द में ही महानता, ममता, मृदुलता, मातृत्व और मानवता की कल्याणकारी प्रवृत्तियों का समावेश है। वह आज हर क्षेत्र में अपनी श्रेष्ठता पुरुषों से बढ़-चढ़कर सिद्ध कर रही हैं। उनका दायरा किसी एक क्षेत्र विशेष तक सीमित नहीं है। वह खुद सशक्त और स्वावलंबी बन, कई और महिलाओं के लिए भी रास्ता खोल रही हैं। बीते वर्ष को अगर महिला सशक्तिकरण के नजरिए से देखा जाए तो इसने कई उम्मीद जगाई हैं। उत्तराखंड की शक्ति स्वरूपा महिलाएं नित नए मुकाम हासिल कर रही हैं। फिर चाहे वह खेल का मैदान हो, या ग्लैमर वर्ल्ड।

    अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाया मुकाम 

    मिस इंडिया ग्रैंड इंटरनेशनल अनुकृति गुसाईं ने वर्ष 2017 में दूसरी बार मिस इंडिया का टाइटल जीता और उन्हें वियतनाम में मिस इंडिया ग्रैंड इंटरनेशनल में भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला।  अनुकृति पहली मिस इंडिया हैं, जिन्हें दो बार अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का मौका मिला है। अनुकृति 2018 में अपनी मातृभूमि उत्तराखंड के लिए कुछ करना चाहती हैं। वह कहती हैं कि यहां की बेटियों के लिए ऐसा कुछ ऐसा करना चाहती हैं कि उन्हें उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किसी तरह की परेशानी न हो। अनुकृति जल्द ही उत्तराखंड में ग्रूमिंग इंस्टीट्यूट खोलकर यहां की लड़कियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर के लिए तैयार करना चाहती हैं। 

    ई-रिक्शा थाम लिखी नई इबारत 

    डालनवाला इंदर रोड निवासी गुलिस्तां अपना ई-रिक्शा लेकर जब दून की सड़कों पर निकलती हैं तो हर नजर उनपर ठहर जाती है। वह बताती हैं कि उनके पिता की वर्ष 2007 में मृत्यु हो गई थी। छह बहनों में सबसे छोटी गुलिस्तां ने घर का बेटा बनने की ठानी। कई जगह छोटी-मोटी नौकरी की। बाद में पटेलनगर स्थित बल्ब फैक्ट्री में काम मिल गया। हालांकि, कमाई इतनी नहीं थी कि घर चला पाएं। ऐसे में उन्होंने अपनी जमा पूंजी से ई-रिक्शा खरीदा। तब तमाम लोगों ने सवाल उठाया कि पुरुषों की भीड़ में वह कैसे यह काम कर पाएंगी। लेकिन आज वह दून की एकमात्र महिला ई-रिक्शा चालक हैं। वह बताती हैं कि लोगों की हर बार मिलीजुली प्रतिक्रिया मिली। कोई हंसा तो किसी ने हौसला बढ़ाया। बहरहाल, इस सबके बीच वह कई महिलाओं के लिए मिसाल बन गई हैं। 

    खेल के मैदान में दिखा बेटियों का दम 

    पिछले साल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतकर देश का नाम रोशन कर चुकीं दून निवासी कुहू गर्ग अब कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स की तैयारियों में जुटी हैं। अगले माह फरवरी में भारतीय बैडमिंटन टीम का चयन ट्रायल होना है। कुहू का कहना है कि ट्रायल के लिए वे इन दिनों हैदराबाद की पुलेला गोपीचंद एकेडमी में कोचिंग ले रही हैं। कॉमनवेल्थ गेम्स में हर खिलाड़ी का सपना होता है और वे इस मौके को किसी भी हाल में नहीं खोना चाहतीं। साथ ही दून की अंतरराष्ट्रीय शटलर उन्नति बिष्ट भी आगामी चैंपियनशिप के लिए विशेष प्रशिक्षण ले रही हैं।

    उन्नति पिछले साल जूनियर एशियन बैडमिंटन चैंपियनशिप में देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। हॉकी ओलंपियन वंदना कटारिया इन दिनों भारतीय महिला हॉकी टीम के साथ इंडिया कैंप में हैं। पिछले साल महिला एशिया कप की विजेता भारतीय टीम की सदस्य रही वंदना का कहना है कि साल 2018 उनके लिए बहुत अहम है। इस साल कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स होने हैं, जिसके लिये वह कड़ी मेहनत कर रही हैं। 

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