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    उच्चीकृत विद्यालयों को अलग संचालित करने का शासनादेश निरस्त

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    Updated: Fri, 31 May 2019 10:46 AM (IST)

    उत्‍तराखंड में उच्चीकृत उच्च प्राथमिक विद्यालयों को अलग संचालित करने का शासनादेश निरस्त किया गया है।

    उच्चीकृत विद्यालयों को अलग संचालित करने का शासनादेश निरस्त

    देहरादून, राज्य ब्यूरो। उच्चीकृत उच्च प्राथमिक विद्यालयों को अलग संचालित करने का शासनादेश निरस्त किया गया है। प्रदेश में अब उक्त उच्च प्राथमिक विद्यालय अब उच्चीकृत हाईस्कूलों के साथ ही संचालित किए जाएंगे। सरकार ने अलग-अलग प्रधानाध्यापक और समयसारिणी की व्यवस्था खत्म कर एक ही व्यवस्था बनाने और इन विद्यालयों को माध्यमिक संवर्ग के शिक्षकों से संचालित करने के निर्देश प्रारंभिक शिक्षा निदेशक को दिए हैं। उधर, इस आदेश के खिलाफ जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ मुखर हो गए हैं। जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने चेतावनी दी कि उक्त आदेश को लागू नहीं होने दिया जाएगा। उच्चीकृत उच्च प्राथमिक विद्यालयों को अलग-अलग संचालित किए जाने के बारे में बीती 14 नवंबर, 2016 को संशोधित शासनादेश जारी किया गया था। उक्त आदेश के बाद उच्चीकृत व पहले से कार्यरत उच्च प्राथमिक विद्यालय अलग-अलग संचालित हो रहे हैं। इससे विद्यालयों के संचालन में परेशानी पेश आने और इसका असर छात्रसंख्या पर भी पडऩे की जानकारी शासन को मिली थी। नतीजतन शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने उच्चीकृत उच्च प्राथमिक विद्यालयों को अलग से संचालित करने का उक्त आदेश निरस्त कर दिया। नए आदेश में उच्चीकृत उच्च प्राथमिक विद्यालयों का संचालन माध्यमिक विद्यालयों के रूप में एक ही प्रधानाचार्य के अधीन एक रजिस्टर, एक प्रार्थना सभा एवं एक समयसारिणी का उपयोग करते हुए सुनिश्चित करने को कहा गया है। 

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    वहीं जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनोद थापा एवं महामंत्री राजेंद्र बहुगुणा ने कहा कि उक्त शासनादेश सरकार की एकतरफा कार्यवाही है। इसे लागू नहीं होने दिया जाएगा। सेवा संवर्ग नियमावलियों और आहरण वितरण व्यवस्था के बगैर उक्त व्यवस्था वैधानिक नहीं है। कक्षा छह से आठ तक कक्षाओं को प्रारंभिक शिक्षा के अंतर्गत संचालित किया जाए। अन्यथा शिक्षकों के त्रिस्तरीय संवर्ग पीआरटी, टीजीटी और पीजीटी को लागू किया जाए। ऐसा नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी गई। 

    उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ ने इस मसले पर बैठक बुलाई। बैठक में प्रदेश महामंत्री नंदन सिंह रावत ने कहा कि उच्चीकृत हुए विद्यालयों में प्रारंभिक शिक्षा के जूनियर हाईस्कूल संवर्ग के करीब 3000 शिक्षक कार्यरत हैं। इन पदों के समाप्त होने से शिक्षकों के पदोन्नति के पद समाप्त हो जाएंगे। तय किया गया कि संघ इस मामले में शासन के समक्ष विरोध दर्ज कराएगा। बैठक में प्रदेश अध्यक्ष दिग्विजय सिंह चौहान, कोषाध्यक्ष जनक सिंह राणा, वीर वसंत डंडरियाल, लक्ष्मीकांत, अनूप भट्ट मौजूद थे। 

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