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यहां 71 साल बाद पहुंची बस, ग्रामीणों ने कुछ इस तरह मनाया जश्न

डांगूठा व पटियूड़ गांव में 71 सालों बाद बस पहुंची। जिसे देख ग्रामीण खुशी से फूले नहीं समाए और उन्होंने ढोल दमाऊ की थाप पर जमकर जश्न मनाया।

By Edited By: Published: Mon, 03 Dec 2018 03:00 AM (IST)Updated: Tue, 04 Dec 2018 11:33 AM (IST)
यहां 71 साल बाद पहुंची बस, ग्रामीणों ने कुछ इस तरह मनाया जश्न
यहां 71 साल बाद पहुंची बस, ग्रामीणों ने कुछ इस तरह मनाया जश्न

त्यूणी(देहरादून), जेएनएन। अस्थायी राजधानी देहरादून से महज 200 किमी की दूरी पर स्थित चकराता ब्लॉक की सबसे दूरस्थ डांगूठा और पटियूड़ पंचायत तक बस पहुंचने में 71 साल लग गए। रविवार को जब 42 सीटर यात्री बस इन दोनों गांवों में पहुंची तो ग्रामीणों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उत्साहित लोगों ने पहली बार बस के गांव पहुंचने की खुशी में ढोल-दमाऊ की थाप पर जोरदार जश्न मनाया। साथ ही सड़क बनाने वाले ठेकेदार और पीएमजीएसवाई (प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना) अधिकारियों का परपंरागत तरीके से स्वागत किया। 

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देहरादून जिले की सुदूरवर्ती शिलगांव खत के डांगूठा व पटियूड़ पंचायत में एक हजार की आबादी निवास करती है। जिसे सड़क सुविधा के अभाव में रोड हेड तक पहुंचने के लिए आठ किमी की दूरी पैदल नापनी पड़ती है। दो साल पहले सरकार ने प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत क्षेत्र के लिए दारागाड़-कथियान मोटर मार्ग से साढ़े सात किमी लंबे डांगूठा-पटियूड़ लिंक मार्ग के निर्माण को मंजूरी दी।

इसके लिए साढ़े चार करोड़ का बजट स्वीकृत कर कार्यदायी संस्था पीएमजीएसवाई निर्माण खंड कालसी को निर्माण की जिम्मेदारी भी सौंप दी गई। सड़क का निर्माण मैसर्स राजवीर राणा कंस्ट्रक्शन एजेंसी ने किया। रविवार को पीएमजीएसवाई के अधिकारी, ठेकेदार व ग्रामीण पहली बार इस सड़क से 42 सीटर बस में सवार हो पटियूड़ व डांगूठा गांव पहुंचे। इस दृश्य को देख गांव के बच्चे, बूढ़े, युवा व महिलाएं- सभी खुशी में झूम उठे। 

देर शाम तक गांव के पंचायती आंगन में हारुल के साथ तांदी नृत्य की छठा बिखरती रही। पीएमजीएसवाई कालसी के अपर सहायक अभियंता विनोद शर्मा ने बताया कि डांगूठा-पटियूड़ मार्ग बनने से लोगों की वर्षो की मुराद पूरी हुई है। 

सच हुआ सात दशक पुराना सपना 

ग्राम प्रधान रुकमा देवी, ग्रामीण नरेश चौहान और महिपाल सिंह का कहना था कि गांव में बस का पहुंचना किसी सपने के सच होने जैसा है। अब उन्हें रोड हेड तक जाने-आने में 16 किमी की दूरी पैदल नहीं नापनी पड़ेगी।

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