स्वच्छता सर्वेक्षण-2019 में उत्तराखंड का गौचर बना बेस्ट गंगा टाउन, जानिए खासियत
स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में उत्तराखंड के चमोली जिले स्थित गौचर को सबसे स्वच्छ गंगा टाउन चुना गया है।
देहरादून, जेएनएन। स्वच्छता सर्वेक्षण-2019 में उत्तराखंड को भी जगह मिली है। चमोली जिले के गौचर को सबसे स्वच्छ गंगा टाउन का खिताब मिला है। दरअसल, इस वर्ग के तहत गंगा के किनारे बसी तहसीलों को साफ-सफार्इ के आधार पर चुना जाना था। इसमें गौचर को सबसे साफ पाया गया है।
स्वच्छता सर्वेक्षण-2019 के पुरस्कारों के लिए सर्वे किया गया। इसके लिए दिल्ली से आर्इ टीम ने राज्य में लंबा समय बिताया। इसके बाद टीम ने करीब एक हफ्ते तक अलग-अलग क्षेत्रों में हालातों को जांचा। देश के चार हजार से ज्यादा शहरों में सर्वे किया गया था। जिसके बाद शहरी विकास मंत्रालय ने अलग-अलग वर्गों में रैंकिंग जारी की। इसमें उत्तराखंड के गौचर को सबसे स्वच्छ गंगा टाउन चुना गया है।
गंगा की सहायक नदी अलकनंदा किनारे बसे छोटे से शहर गौचर (नगर पालिका परिषद) से उत्तराखंड के सभी शहरों को स्वच्छता की सीख लेने की जरूरत है। यह समझने की जरूरत है कि बेहद सीमित संसाधनों का उपयोग कर यह शहर जब देशभर में उत्तराखंड का नाम ऊंचा कर सकता है, तो भारी-भरकम बजट वाले नगर निगम यह क्यों नहीं कर सकते।
यह किसी प्रेरणा से कम नहीं है कि गौचर को सीधे मूल्यांकन में 1250 में से 1177 अंक हासिल हुए हैं। स्वच्छ सर्वेक्षण-2019 में 94 फीसद आवासीय व व्यावसायिक क्षेत्र स्वच्छ पाए गए। इसके अलावा 94 फीसद सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालय बेहतर स्थिति में थे। इनमें पानी, फ्लश सिस्टम व बिजली व्यवस्था दुरुस्त पाई गई।
गौचर में एक भी स्थल ऐसा नहीं मिला, जहां सीवर ओवरफ्लो पाया गया हो। यहां तक कि सब्जी व मीट बाजार में सफाई का स्तर 85 फीसद संतोषजनक पाया गया। खास बात यह भी कि स्वच्छ भारत मिशन के प्रेरणादायक संदेश सभी स्थानों पर दुरुस्त पाए गए और सार्वजनिक परिवहन सेवाओं वाले स्थलों में भी 100 फीसद सफाई पाई गई।
गौचर की खासियत
कर्णप्रयाग तहसील के अंतर्गत गौचर शहर सात पहाड़ों से घिरा हुआ है। ये अपने ऐतिहासिक व्यापार मेले(गौचर मेले) के लिए जाना जाता है। इस मेले में दूर-दूर से पर्यटक भी पहुंचते हैं। बेहद ही खूबसूरत गौचर पहाड़ी क्षेत्र में सबसे बड़े समतल स्थान पर है। अलकनंदा नदी के किनारे बसा ये शहर चारधामों में से एक बदरीनाथ धाम का अहम पड़ाव है। इसके साथ ही यहां हवार्इ पट्टी भी है, जो सेना के लिए भी काफी अहम है।
1920 के दशक में पहली बार मिली पहचान
गौचर को पहली बार 1920 के दशक में पहचान मिली। उस वक्त देश के तत्कालीन वायसराय की पत्नी लेडी विलिंगडन यहां हवाई मार्ग से उतरीं। उसके बाद साल 1938 में पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ उनकी बहन विजया लक्ष्मी पंडित भी बदरीनाथ की निजी यात्रा के लिए हवाई मार्ग से यहां पहुंची थी।
शहरों को इन सात वर्गों में दिया पुरस्कार
-सबसे स्वच्छ शहर
-सबसे स्वच्छ बड़ा शहर
-सबसे स्वच्छ मध्यम आबादी वाला शहर
-सबसे स्वच्छ छोटा शहर
-सबसे स्वच्छ राजधानी
-सबसे स्वच्छ कैंटोनमेंट और सबसे स्वच्छ गंगा टाउन
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