मुनिकीरेती में गंगा के जल्द प्रदूषण मुक्त होने के नहीं आसार, जानिए वजह
मुनिकीरेती जोन में योजना की हकीकत देखें तो अधिकांश योजनाओं पर 50 प्रतिशत से अधिक काम हो चुका है। मगर योजना की तय अवधि समाप्त होने के बाद भी अभी तक काम पचास प्रतिशत शेष है।
ऋषिकेश, जेएनएन। नमामि गंगे परियोजना में तीर्थनगरी क्षेत्र को दो जोन में बांटा गया गया है। यहां गंगा को निर्मल बनाने के लिए कुल 238 करोड़ का बजट खर्च किया जा रहा है। जिसमें सिर्फ मुनिकीरेती जोन के लिए ही 80.45 करोड़ की योजनाएं शामिल हैं। योजना की हकीकत देखें तो यहां अधिकांश योजनाओं पर 50 प्रतिशत से अधिक काम हो चुका है। मगर, योजना की तय अवधि समाप्त होने के बाद भी अभी तक काम पचास प्रतिशत शेष है, जिसे अभी पूरा होने में लंबा वक्त लग सकता है।
नमामि गंगे परियोजना के तहत मुनिकीरेती जोन में ढालवाला नाला, चंद्रेश्वर नगर नाला, और श्मशान घाट नाला गंगा में मिलता है। विभाग ने इन नालों को टेप तो कर दिया मगर इनके ट्रीटमेंट की अभी तक व्यवस्था नहीं हो पाई है। इन नालों के शोधन के लिए चंद्रेश्वर नगर में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट निर्माणाधीन है। इसका काम भी लगभग 50 प्रतिशत पूरा हो चुका है। मगर फिलहाल अभी तक यह नाले गंगा में भी बिना शोधन के मिल रहे हैं। तपोवन क्षेत्र में नमामि गंगे योजना के तहत आठ छोटे नाले टेप किए जा चुके हैं।
नमामि गंगे योजना के तहत मुनिकीरेती जोन में ढालवाला और 14 बीघा में सीवर की ब्रांच लाइनें बिछाई जानी हैं, जिन पर अभी काम शुरू नहीं हुआ। यहां का सीवर लिफ्टिंग कर ट्रीटमेंट के लिए चोर पानी जंगल में निर्माणाधीन एसटीपी को भेजा जाएगा। जिसके लिए भैरव कॉलोनी में सीवर पंपिंग स्टेशन का निर्माण पूरा हो चुका है। यहां करीब तीन किलोमीटर लंबी सीवर लाइन भी बिछ चुकी है। मुनिकीरेती जोन की योजनाओं को जून माह में पूरा होना था, मगर समय पर पूरा न होने से यहां अवधि बढ़ा दी गई है।
बहरहाल, इस जोन में अगर योजनाओं की हकीकत देखें तो यहां अधिकांश योजनाएं पचास प्रतिशत पूरी हो गई है। शेष योजनाओं को पूरा होने में अभी लंबा वक्त लग सकता है। इसलिए कहा जा सकता है कि तीर्थनगरी में अभी गंगा को प्रदूषण से मुक्ति मिलती नजर नहीं आ रही है।
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