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    कर्मचारियों की जेब पर भारी पड़ेगा बजट सत्र में गैरसैंण का दौरा

    By BhanuEdited By:
    Updated: Fri, 16 Mar 2018 11:43 AM (IST)

    बजट सत्र के लिए गैरसैंण का दौरा प्रदेश के कर्मचारियों की जेब पर भारी पड़ेगा। कर्मचारियों को रहने व भोजन का जो पैसा मिलता है, वह मामूली है। ऐसे में उनकी परेशानी लाजमी है।

    कर्मचारियों की जेब पर भारी पड़ेगा बजट सत्र में गैरसैंण का दौरा

    देहरादून, [विकास गुसाईं]: गैरसैंण में सत्र का आयोजन कर भले ही सरकार जनभावनाओं का सम्मान करती हो, लेकिन सरकार का यह कदम कर्मचारियों की जेब पर बहुत भारी पड़ेगा। कर्मचारियों को इसके लिए केवल 80 रुपये दिए जाते हैं। होटल में ठहरने के लिए भी इन्हें बहुत जोर लगाने पर ही कुछ पैसा मिल पाता है जो वास्तविक किराये से बहुत कम होते हैं। यदि किसी सरकारी कर्मचारी के लिए विभाग की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं होती तो सत्र समाप्त होते होते वह अपनी जेब से ढाई से तीन हजार रुपये खर्च कर चुका होता है।

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    सरकार ने कर्मचारियों के ग्रेड वेतन के हिसाब से उनका दैनिक डीए तय किया हुआ है। इसके तहत प्रदेश के देहरादून, नैनीताल व पौड़ी के शहरी क्षेत्र के लिए 4800 रुपये से कम ग्रेड पे वालों के लिए 150 रुपये भत्ता दिया जाता है। अन्य जिला मुख्यालयों के लिए यह राशि 100 रुपये है तो शेष स्थानों के लिए मात्र 80 रुपये। 

    इसी प्रकार 8700 ग्रेड पे वालों तक के लिए यह राशि क्रमश: 250, 190 व 160 रुपये है। गैरसैंण न तो शासनादेश में उल्लिखित मुख्य शहरों में आता है और न ही जिला मुख्यालय में। इस कारण यहां के लिए केवल 80 रुपये ही भत्ता दिया जाता है। 

    सत्र के दौरान कर्मचारियों पर ही इसकी सबसे अधिक मार पड़ती है। सत्र जितना लंबा चलता है कर्मचारियों को अपनी जेब से उतना ही अधिक खर्च करना पड़ता है। कहने को तो सत्र के दौरान सरकार ही कर्मचारियों के रहने व खाने की व्यवस्था करती है, लेकिन सीमित जगह व सीमित संसाधनों के कारण सभी कर्मचारियों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है। 

    नतीजतन अधिकारी व कर्मचारियों को अपनी व्यवस्था पर ही गुजारा चलाना पड़ता है। इस बार गैरसैंण में बजट सत्र होना है। इसके काफी दिनों तक चलने की संभावना है। बजट सत्र में चूंकि सभी विभागों के बजट पेश होने हैं तो इस बार निश्चित रूप से सभी विभागों से अधिक संख्या में अधिकारी व कर्मचारी गैरसैंण पहुंचेंगे। इन सभी को इसी समिति भत्ते में अपनी गुजर बसर करनी होगी।

    हालांकि, यह भत्ते अभी छठवें वेतनमान के हिसाब से दिए जा रहे हैं, सातवें वेतनमान के हिसाब से इन भत्तों को बढ़ाने के लिए कवायद चल रही है। इस संबंध में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि जो व्यवस्था बनी है उसी हिसाब से कार्य किया जाएगा।

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