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उत्तराखंड में नहीं थम रहा स्वाइन फ्लू का कहर, चार और मरीजों में पुष्टि

स्वाइन फ्लू का कहर थम नहीं रहा है। हर अंतराल बाद नए लोग इस बीमारी की चपेट आ रहे हैं। सोमवार को चार और मरीजों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। अब तक नौ मरीजों की मौत हो चुकी है।

By Edited By: Published: Tue, 22 Jan 2019 03:00 AM (IST)Updated: Tue, 22 Jan 2019 11:34 AM (IST)
उत्तराखंड में नहीं थम रहा स्वाइन फ्लू का कहर, चार और मरीजों में पुष्टि
उत्तराखंड में नहीं थम रहा स्वाइन फ्लू का कहर, चार और मरीजों में पुष्टि

देहरादून, जेएनएन। स्वाइन फ्लू का कहर थम नहीं रहा है। हर अंतराल बाद नए लोग इस बीमारी की चपेट आ रहे हैं। सोमवार को चार और मरीजों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। 

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मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एसके गुप्ता ने बताया कि इनमें धर्मपुर निवासी 68 वर्षीय बुजुर्ग के अलावा 36 साल व 23 साल की दो युवतियों व उत्तरकाशी के डूंडा ब्लॉक निवासी एक साल के बच्चे में स्वाइन फ्लू पॉजीटिव आया है। बच्चे को पटेलनगर स्थित श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में भर्ती कराया गया है। 

बता दें, स्वाइन फ्लू से पीड़ित नौ मरीजों का अलग-अलग अस्पतालों में उपचार चल रहा है। तीन मरीज सिनर्जी अस्पताल में, पांच मरीज श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में और एक मरीज मैक्स अस्पताल में भर्ती है। कुल मिलाकर अब तक राज्य में 19 लोगों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से फ्रांस के एक नागरिक समेत नौ मरीजों की मौत हो चुकी है।

अकेले श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में छह मरीजों की मौत स्वाइन फ्लू से हुई है। मैक्स अस्पताल में दो और सिनर्जी अस्पताल में एक मरीज की मौत भी स्वाइन फ्लू के कारण हुई है। 

स्वाइन फ्लू के बढ़ते कहर से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। इतना जरूर कि खानापूर्ति के लिए महकमा एच1एन1 इंफ्लूएंजा वायरस पर नियंत्रण व रोकथाम के लिए बड़े दावे करते नहीं थक रहा है। वहीं, विभागीय दावे धरातल पर धड़ाम होते दिख रहे हैं। 

यूं कहा जा सकता कि शुरुआती चरण में ही जानलेवा साबित हो रहे इंफ्लूएंजा वायरस के आगे प्रदेश का स्वास्थ्य महकमा बौना साबित हो रहा है। वहीं स्वास्थ्य विभाग ने एक बार फिर सभी सरकारी व निजी अस्पतालों को निर्देश जारी किए हैं। उन्हें कहा है कि स्वाइन फ्लू के मरीजों के समुचित उपचार के लिए उचित व्यवस्था की जाए। अस्पतालों में मरीजों के उपचार के लिए अलग आइसोलेशन वार्ड बनाने के लिए कहा गया है।

उन्होंने बताया कि वायरस पर नियंत्रण व रोकथाम के लिए विशेष एडवाइजरी भी जारी की गई है। स्वाइन फ्लू की बीमारी से मौत के मुंह में समा रहे मरीजों की मौत का वास्तविक कारण जानने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने डेथ ऑडिट का शिगूफा भी छोड़ रखा है। इसके लिए बकायदा छह सदस्यीय टीम गठित की गई है। 

इन सबके बावजूद स्वाइन फ्लू का वायरस लगातार कहर बरपा रहा है। अब तक इस वायरस की चपेट में आने वाले पचास फीसद मरीज मौत के मुंह में समा चुके हैं। 

तीन वर्गो में होती मरीज की स्क्रीनिंग ए कैटेगरी

सर्दी, जुकाम, तेज बुखार, सीने में दर्द, गले में कड़वापन, जी मचलाना। बी कैटेगरी: ए वर्ग के लक्षणों के साथ ही सास फूलना, खासी व जुकाम के साथ खून आना। सी कैटेगरी: दोनों वर्ग के लक्षणों के साथ ही खून में ऑक्सीजन की कमी होना, ब्लड प्रेशर कम होना। 

इन लोगों के लिए खतरा अधिक 

- रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर 

- हाई रिस्क गर्भवती को 

- बुजुर्ग और छोटे बच्चे को 

- मधुमेह, किडनी के मरीजों को 

- कैंसर, टीबी, अस्थमा रोगियों

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