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उत्तराखंड में स्वाइन फ्लू से हुई मौतों का डेथ ऑडिट शुरू, अलग से ओपीडी

प्रदेश में स्वाइन फ्लू के कारण हुई मौतों का डेथ ऑडिट शुरू हो गया है। इस काम के लिए छह सदस्यीय टीम का गठन किया गया है। मरीजों के लिए दून अस्पताल में अलग से ओपीडी बनाई गई है।

By Edited By: Published: Thu, 17 Jan 2019 03:01 AM (IST)Updated: Thu, 17 Jan 2019 08:25 PM (IST)
उत्तराखंड में स्वाइन फ्लू से हुई मौतों का डेथ ऑडिट शुरू, अलग से ओपीडी
उत्तराखंड में स्वाइन फ्लू से हुई मौतों का डेथ ऑडिट शुरू, अलग से ओपीडी

देहरादून, जेएनएन। प्रदेश में स्वाइन फ्लू के कारण हुई मौतों का डेथ ऑडिट शुरू हो गया है। इस काम के लिए छह सदस्यीय टीम का गठन किया गया है। इसके अलावा इन्फ्लूएन्जा से ग्रसित मरीजों के लिए अब दून चिकित्सालय में अलग ओपीडी बनाई जाएगी। 

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राज्य में स्वाइन फ्लू को लेकर अपर सचिव स्वास्थ्य युगल किशोर पंत व स्वस्थ्य महानिदेशक डॉ. टीसी पंत ने दून मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञों व विभागीय अधिकारियों के साथ वर्तमान स्थिति की समीक्षा की। महानिदेशक स्वास्थ्य ने निर्देश दिए कि अकेले एक ही चिकित्सालय में एच-1 एन-1 के कारण छह मरीजों की मृत्यु का जल्द डेथ ऑडिट कराकर रिपोर्ट विभाग को प्रस्तुत की जाए। ताकि मृत्यु के वास्तविक कारणों का पता चल सके। 

इसके लिए अपर मुख्य चिकित्साधिकारी देहरादून डॉ. नरेंद्र कुमार की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया है। जिसमें एक माइक्रोबायोलोजिस्ट, एक एपिडेमियोलोजिस्ट, एक फिजीशियन, एक बाल रोग विशेषज्ञ व एक कम्युनिटी मेडिसिन विशेषज्ञ शामिल हैं। यह टीम श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में भर्ती मरीजो की मौत के वास्तविक कारणों की जाच करेगी। 

टीम को निर्देशित किया गया है कि वह सभी मरीजों को दिए गए उपचार, औषधिया, जाच आदि से संबंधित जानकारिया एकत्रित कर रिपोर्ट तैयार करे। स्वास्थ्य महानिदेशक ने सभी जनपद को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि अनावश्यक लैब परीक्षण आदि को लेकर जनमानस मे भय की स्थिति ना रहे। 

दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इन्फ्लूएन्जा के लिए अलग से ओपीडी संचालित करने के निर्देश भी उन्होंने दिए हैं। सरकारी अस्पताल में मिलेगा समुचित उपचार स्वास्थ्य महानिदेशक ने बताया कि स्वाइन फ्लू से संबंधित सभी आवश्यक सुविधाएं राजकीय चिकित्सालयों में उपलब्ध हैं। जिसके तहत निश्शुल्क औषधि, आइसोलेशन वार्ड एवं प्रशिक्षित चिकित्सक की सेवाएं शामिल हैं। 

उन्होंने सभी जनपदों को निर्देश दिए कि वह अपने स्तर से जनता में यह संदेश दें कि राजकीय चिकित्सालयों में उपचार उपलब्ध है। ताकि मरीजों को निजी चिकित्सालयों का रुख ना करना पड़े। यह प्रचार प्रसार किया जाए कि व्यक्ति को स्वाइन फ्लू के लक्षण हैं और वह किसी अन्य जटिल बीमारी से ग्रसित है तो वह अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर चिकित्सकीय परामर्श ले। बिना चिकित्सकीय परामर्श के कोई भी दवा ना ले। 

एच-1एन-1 से घबराएं नहीं 

डॉ. पंत ने कहा कि एच-1एन-1 इन्फ्लूएन्जा अधिकाश मरीजों में साधारण सर्दी जुखाम ही करता है। जिन्हें लैब परीक्षण व औषधि (एंटी वायरल) लेने की आवश्यकता नहीं होती है। ऐसे मरीजों को अधिक मात्रा में तरल पदार्थ व पौष्टिक आहार, घर पर ही आराम करने और कुछ अन्य सावधानी बरतने की जरूरत है। 

इन बातों का रखें ख्याल क्या करें 

-खासते या छींकते समय अपने मुंह व नाक को रुमाल से ढकें। 

-नाक, कान व मुंह को छूने से पहले व बाद में अपने हाथों को साबुन व पानी से अच्छी तरह धोएं। खाना खाने से पहले व बाहर से आने पर हाथ साबुन से अच्छी तरह अवश्य धोएं। 

-अधिक मात्रा में पानी पिएं व पौष्टिक आहार का सेवन करें। -एच-1 एन-1 के लक्षणों जैसे बुखार, सर्दी, जुखाम, खासी, गले में खराश आदि के साथ डायबिटीज, दमा, हृदय रोग जैसी बीमारिया हैं या उम्रदराज लोग जल्द निकटतम स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें। 

क्या न करें 

-शिष्टाचार में हाथ न मिलाएं, गले न लगें । 

-बिना चिकित्सकीय परामर्श के दवा ना लें। 

-बीमारी के दौरान यात्रा करने से बचें। 

-यदि आपका बच्चा जुखाम/खासी से पीड़ित है तो उसे स्कूल भेजने से परहेज करें व चिकित्सक को दिखाएं। 

दो स्तर  पर एकत्र की जाएंगी जानकारी 

स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. टीसी पंत के अनुसार डेथ ऑडिट के तहत दो स्तर पर जानकारिया एकत्रित की जाएंगी। चिकित्सालय के स्तर पर दिए गए उपचार की जानकारी और मरीज के परिवार से उनकी पुरानी बीमारी आदि की सूचना ली जाएगी। यह भी देखा जाएगा कि क्या मरीज को एच-1एन-1 इंफ्लूएंजा के लिए अधिकृत एंटीवायरल दवा एवं मानकानुसार उपचार समय से दिया गया या नहीं।

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