सदन के बाहर संगठनों में उबाल, प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने रोका
108 आपातकालीन सेवा और खुशियों की सवारी से हटाए गए फील्ड कर्मचारी समायोजन और बहाली की मांग को लेकर मंगलवार को विधानसभा कूच किया। पुलिस ने उन्हें रोक दिया।
देहरादून, जेएनएन। मांगों को लेकर विभिन्न संगठनों ने विधानसभा कूच किया। इस दौरान उन्हें पुलिस ने उन्हें रोक दिया। वे वहीं पर धरने पर बैठक गए। इसी क्रम में 108 आपातकालीन सेवा और खुशियों की सवारी से हटाए गए फील्ड कर्मचारी समायोजन और बहाली की मांग को लेकर मंगलवार को विधानसभा कूच किया। रिस्पना पुल के पास विरोध कर रहे पूर्व कर्मचारियों को पुलिस ने रोक दिया गया। कर्मचारियों ने यही पर धरना पर बैठ गए हैं। वहीं, प्रोत्साहन राशि पर रोक व न्यूनतम वेतन नहीं मिलने से आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। उन्होंने सरकार पर अपनी मांगों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है। आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ता यूनियन के बैनर तले तमाम आशाओं ने परेड मैदान स्थित धरना स्थल पर प्रदर्शन किया। मंगलवार को विधानसभा कूच किया। वहीं, उच्चीकृत जूनियर विद्यालय के माध्यमिक में विलय के फैसले के खिलाफ प्रदेशभर के जूनियर हाईस्कूल शिक्षक आज महारैली निकाल विधानसभा कूच किया। लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया। शिक्षक एकीकरण के आदेश को निरस्त करने, केंद्रीय विद्यालयों के समान शिक्षकों को त्रिस्तरीय कैडर लागू करने और शिक्षा निदेशालयों के एकीकरण की मांग कर रहे हैं।
हटाए गए फील्ड कर्मचारियों का नई कंपनी में पुराने वेतन पर समायोजन को लेकर को परेड मैदान पर अनिश्चितकालीन धरना और क्रमिक अनशन जारी है। धरना स्थल पर कर्मचारियों ने सरकार के उपेक्षित रवैए के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उन्होंने कहा 30 अप्रैल तक काम करने के बाद अभी तक कर्मचारियों का मानदेय नहीं दिया गया है। कर्मचारियों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
संघ के सचिव विपिन जमलोकी ने कहा कि फील्ड कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर विधानसभा कूच किया। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के आंदोलन में कई संगठन भी शामिल होंगे। उन्होंने कहा कर्मचारी पिछले डेढ़ माह से अपनी मांगों को लेकर आंदोलित है। इस दौरान क्रमिक अनशन पर बैठे कई कर्मचारियों का स्वास्थ्य भी खराब हो चुका है, लेकिन सरकार और प्रशासन का कोई नुमाइंदा कर्मचारियों की सुध लेने नहीं पहुंचा। जिससे कर्मचारियों में आक्रोश है। उन्होंने कहा कि अपनी मांगों को लेकर कर्मचारी अपने-अपने क्षेत्र के विधायकों से भी मिले थे। उन्होंने आश्वासन दिया कि प्रदेश में पलायन व बेरोजगारी रोकने के लिए सदन के अंदर व मुख्यमंत्री के समक्ष कर्मचारियों के हित की बात की जाएगी। बताया कि कांग्रेस भी कर्मचारियों की मांग पर सदन में चर्चा कराने को तैयार है।
आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने किया विधानसभा कूच
प्रोत्साहन राशि पर रोक व न्यूनतम वेतन नहीं मिलने से आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। उन्होंने सरकार पर अपनी मांगों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है। आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ता यूनियन के बैनर तले तमाम आशाओं ने परेड मैदान स्थित धरना स्थल पर प्रदर्शन किया। मंगलवार को विधानसभा कूच किया। इस दौरान पुलिस ने उन्हें रोक दिया। संगठन की अध्यक्ष शिवा दुबे ने कहा कि आशा कार्यकर्ता स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ हैं। उन पर कार्य का बोझ लगातार बढ़ रहा है, लेकिन उस मुताबिक मानदेय उन्हें नहीं मिल रहा। उन्होंने कहा कि आशा कार्यकर्ता लंबे समय से न्यूनतम वेतनमान की मांग कर रही हैं, लेकिन उनकी मांग को अनदेखा किया जा रहा है। उन्होंने मांग की कि आशा कार्यकर्ताओं को कामगार घोषित कर न्यूनतम वेतनमान 18 हजार रुपये किया जाए। सालाना मिलने वाली पांच हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि को भी वेतन के साथ मिलाकर दिया जाए। सामाजिक सुरक्षा साथ 6 साल की उम्र पूरी होने पर ग्रेज्युटी व फंड का भुगतान किया जाए। आकस्मिक मृत्यु पर आशा कार्यकर्ता के परिवार को पांच लाख रुपये बीमा का लाभ दिया जाए। गर्मी व सर्दी में अलग-अलग ड्रेस उपलब्ध कराई जाए।
जूहा शिक्षकों ने भरी हुंकार, किया विधानसभा कूच
उच्चीकृत जूनियर विद्यालय के माध्यमिक में विलय के फैसले के खिलाफ प्रदेशभर के जूनियर हाईस्कूल शिक्षक आज महारैली निकाल विधानसभा कूच किया। लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया। शिक्षक एकीकरण के आदेश को निरस्त करने, केंद्रीय विद्यालयों के समान शिक्षकों को त्रिस्तरीय कैडर लागू करने और शिक्षा निदेशालयों के एकीकरण की मांग कर रहे हैं।
प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री राजेंद्र बहुगुणा ने कहा कि राज्य गठन के 18 वर्ष बाद भी सरकार सुदृढ़ शैक्षिक ढांचा नहीं दे पाई है। उल्टा बिना सेवा शर्तों, नियमों व प्रारंभिक शिक्षकों के पदोन्नति अवसरों को खत्म कर 27 मई 2019 को उच्चीकरण के नाम पर जूनियर हाईस्कूल शिक्षकों को एकतरफा हटाए जाने का तुगलकी फरमान जारी कर दिया गया है। वर्ष 2011 में भाजपा शासनकाल में प्रदेश के शैक्षिक ढांचे के संबंध में उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया था। जिसने आठ राज्यों का अध्ययन कर अपनी संस्तुति दी, पर प्रदेश में केंद्रीय पाठ्यक्रम के अनुरूप शिक्षकों का त्रिस्तरीय कैडर पर विचार करने के बजाय उच्चीकृत जूनियर हाईस्कूल के लगभग 4000 शिक्षकों के पदों को समाप्त करने की कोशिश की जा रही है। यह किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है। 14 नवंबर 2016 को जारी शासनादेश में प्रारंभिक शिक्षकों के पद एवं उनकी पदोन्नति को सुरक्षित किया गया था, लेकिन इस शासनादेश को निरस्त कर उनके हितों की अनदेखी की जा रही है। एक जनवरी, 2006 के बाद पदोन्नत एवं चयन वेतनमान प्राप्त जूनियर हाईस्कूल के शिक्षकों को 17140 का लाभ और प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा निदेशालयों व महानिदेशालय का एकीकरण करने की मांग भी उन्होंने की है।
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