सीबीएसई के पूर्व चेयरमैन अशोक गांगुली ने कहा, दबावमुक्त होने पर ही बेहतर परिणाम देंगे शिक्षक
सीबीएसई के पूर्व चेयरमैन अशोक गांगुली ने कहा कि शिक्षा एवं शिक्षक का दबावमुक्त रहना जरूरी है। दबावमुक्त होने पर ही शिक्षक बेहतर परिणाम देंगे। छात्रों पर भी बस्ते का इतना बोझ न हो कि वह सीखने से ज्यादा रटने पर ध्यान दे।

जागरण संवाददाता, देहरादून। शिक्षा एवं शिक्षक का दबावमुक्त रहना जरूरी है। दबावमुक्त होने पर ही शिक्षक बेहतर परिणाम देंगे। छात्रों पर भी बस्ते का इतना बोझ न हो कि वह सीखने से ज्यादा रटने पर ध्यान दे। यह बात सीबीएसई के पूर्व चेयरमैन अशोक गांगुली ने प्रिंसिपल प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन की ओर से मसूरी रोड स्थित पेसलवीड स्कूल में आयोजित दो दिवसीय प्रधानाचार्य-शिक्षक राष्ट्रीय सम्मेलन में कही।
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति बस्ते का बोझ कम कर सीखने की बात तो कर रही है, लेकिन इसे लागू करना सबसे बड़ी चुनौती होगी। इससे पहले प्रथम सत्र की मुख्य वक्ता पद्मिनी साम्बाशिवम ने कोरोना के बाद छात्र व शिक्षकों के बीच तालमेल पर विचार रखे। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में कक्षाएं डिजिटल स्वरूप पर ही निर्भर थी। ऑनलाइन कक्षा ने अस्थायी समाधान के रूप में बेहतर विकल्प दिया। लेकिन, इस दौरान छात्र व शिक्षकों के बीच तालमेल स्थापित करना भी बड़ी चुनौती रहा। यूकॉस्ट के महानिदेशक डॉ. राजेंद्र डोभाल ने कहा कि नई शिक्षा नीति में शोध को बढ़ावा देने की बात हुई है, छोटी कक्षाओं से ही व्यावसायिक शिक्षा देने पर भी जोर दिया गया है।
दोनों ही एक बेहतर पहल है। इससे छात्र स्कूल से ही विज्ञान एवं प्रयोगात्मक ज्ञान ले सकेंगे। डॉ. गीता खन्ना ने बच्चों में स्वाभाविक स्थिति की पुन स्थापन, प्रो. हरीश चौधरी ने शिक्षकों द्वारा कार्यक्षमता व रोजगार प्रबंध का विकास, प्रज्ञा भारती ने संयुक्त शिक्षा विशिष्ट कार्य पर अपने विचार रखे। प्रिंसिपल प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम कश्यप ने बताया कि सम्मेलन का मकसद शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना है। इस मौके पर वेल्हम ब्वॉयज की प्रिंसिपल संगीता, एशियन स्कूल की प्रिंसिपल रुचि प्रधान, कैंब्रियन हॉल के प्रिंसिपल डॉ. एससी ब्याला, कर्नल जसविंदर सिंह, अनिशा अरोरा, डीएस मान, एचएस मान आदि मौजूद थे।
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