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    उत्‍तराखंड में आसान होगी वन गूजरों को शिफ्ट करने की राह, पढ़िए पूरी खबर

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Thu, 11 Jul 2019 12:37 PM (IST)

    उत्‍तराखंड में संरक्षित क्षेत्रों के कोर जोन से बाहर बफर जोन और आरक्षित वन क्षेत्रों में डेरा डाले वन गूजरों के विस्थापन की राह अब आसान हो गई है।

    उत्‍तराखंड में आसान होगी वन गूजरों को शिफ्ट करने की राह, पढ़िए पूरी खबर

    देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में संरक्षित क्षेत्रों के कोर जोन से बाहर बफर जोन और आरक्षित वन क्षेत्रों में डेरा डाले वन गूजरों के विस्थापन की राह अब आसान हो गई है। इस सिलसिले में विस्थापन नियमावली में कई सुझाव शामिल करने के लिए कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। इसी के तहत प्रथम चरण में कार्बेट टाइगर रिजर्व के बफर जोन में रह रहे 57 वन गूजर परिवारों को विस्थापित करने का निर्णय लिया गया है।

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    वन गूजरों के विस्थापन के लिए केंद्रीय नियमावली तो है, लेकिन यह संरक्षित क्षेत्रों के कोर क्षेत्रों में ही लागू है। इसे देखते हुए पूर्व में कैबिनेट की सब कमेटी ने राज्य में संरक्षित क्षेत्रों के बफर जोन और आरक्षित वन क्षेत्रों से होने वाले गूजरों के विस्थापन को नियमावली में तमाम बिंदु शामिल करने को मंथन किया। अब कैबिनेट ने सब कमेटी के इन सुझावों को हरी झंडी दे दी है।

    इसके तहत वन गूजरों के विस्थापन पर प्रति परिवार पांच लाख रुपये घर बनाने के लिए दिए जाएंगे, जबकि कृषि कार्यों के लिए एक एकड़ भूमि दी जाएगी। इस बात पर भी मुहर लगाई गई कि जिन इलाकों में वन गूजरों को विस्थापित किया जाएगा, वहां मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने के लिए उन्हीं को भूमि देनी होगी।

    वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत के अनुसार यह नियम राज्य में बफर जोन और आरक्षित वन क्षेत्रों वाले गूजरों पर लागू होंगे। कोर जोन के गूजरों के विस्थापन के लिए केंद्रीय नियम ही लागू होंगे। उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में कार्बेट से 57 परिवारों के विस्थापन का निर्णय लिया गया है। धीरे-धीरे अन्य क्षेत्रों से भी गूजरों को विस्थापित किया जाएगा।

    स्टेट व नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड से भी लेंगे अनुमति

    गढ़वाल एवं कुमाऊं को राज्य के भीतर ही सीधे आपस में जोडऩे वाली कंडी रोड के लालढांग-चिलरखाल हिस्से के निर्माण के मद्देनजर राज्य सरकार अब स्टेट और नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड से अनुमति लेने पर विचार कर रही है। वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत ने बुधवार को विधानसभा में विभागीय समीक्षा बैठक के दौरान इस सिलसिले में अधिकारियों को तैयारी रखने के निर्देश दिए।

    वन मंत्री डॉ.रावत के अनुसार लालढांग-चिलरखाल सड़क के मामले में सुप्रीम कोर्ट में 20 जुलाई को सुनवाई है। राज्य सरकार की ओर से इसमें मजबूती से पैरवी की जाएगी। उन्होंने बताया कि अदालत के आदेश के बाद अगला कदम उठाया जाएगा। यदि कहा गया कि सड़क के लिए स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड और नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड से भी अनुमति ली जाए, तो इसकी प्रक्रिया तुरंत शुरू की जाएगी।

    डॉ.रावत ने बताया कि कोटद्वार के कणवाश्रम में केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत वाइल्डलाइफ रेसक्यू सेंटर के निर्माण को लेकर भी बैठक में चर्चा हुई। इस सिलसिले में अधिकारियों को इस्टीमेट तैयार करने के निर्देश दिए गए। उन्होंने बताया कि सरकार की कोशिश है कि यह रेसक्यू सेंटर जल्द से जल्द तैयार हो जाए।

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