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    युवती के पेट से निकाला पांच किलो का ट्यूमर, लंबे समय से थी परेशान

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Wed, 10 Jun 2020 05:10 PM (IST)

    एसआरएचयू) के हिमालयन हास्पिटल में चिकित्सकों ने एक सफल ऑपरेशन कर युवती की जान बचाई। किच्छा ऊधमसिंह नगर निवासी 22 वर्षीय इस युवती के पेट से पांच किलो का ट्यूमर निकाला गया।

    युवती के पेट से निकाला पांच किलो का ट्यूमर, लंबे समय से थी परेशान

    डोईवाला(देहरादून), जेएनएन। स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) के हिमालयन हास्पिटल में चिकित्सकों ने एक सफल ऑपरेशन कर युवती की जान बचाई। किच्छा ऊधमसिंह नगर निवासी 22 वर्षीय इस युवती के पेट से पांच किलो का ट्यूमर निकाला गया। 

    हिमालयन अस्पताल के सर्जरी विशेषज्ञ डॉ. पीके सचान ने बताया कि युवती एक माह से पेट में दर्द और पेट फूलने की समस्या से परेशान थी। युवती की आवश्यक जांचें कराने पर पता चला कि युवती के पेट में बड़े आकार का ट्यूमर है। ट्यूमर का आकार इतना बड़ा था कि एक जगह से उसके फटने से पेट में पानी भी फैल गया था। युवती के दाहिने फेफड़े में भी पानी का रिसाव था, जो उसके जीवन के लिए खतरा था। डॉ. सचान ने बताया कि ट्यूमर के हाई रिस्क की जांच के लिए उन्होंने मरीज की फाइन निडिल एसपेरेशन साइटोलॉजी (एफएनएसी) की जांच की। 

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    रोगी की सीटीस्कैन जांच में पाया गया कि टूयूमर 30 सेंटीमीटर गुणा 22 सेंटीमीटर आकार का है। सभी जांचों के बाद डॉ. सचान और उनकी टीम ने युवती का ऑपरेशन कर युवती के पेट के बांयी तरफ से पांच किलो भार का ट्यूमर निकाला। युवती पूर्णतय स्वस्थ है और अस्पताल से डिस्चार्ज हो गई है। सर्जरी को सफल बनाने में डॉ. विनम्र मित्तल, डॉ. दिव्यांशु घिल्डियाल, डॉ. निशांत, डॉ. अंकित, डॉ. पूजा और डॉ. दिव्या गुप्ता का सहयोग दिया।

    डॉ. काला ने नेविगेशन सिस्टम से की सर्जरी

    काला ईएनटी सेंटर के प्रमुख डॉ. हिमांशु काला नेविगेशन सिस्टम के माध्यम से कान की सफल सर्जरी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस मशीन से सर्जरी सटीक तरह से की जा सकती है और परेशानी में भी 30 फीसद की कमी आती है। मंगलवार को जारी प्रेस बयान में डॉ. काला ने कहा कि जिस तरह से गूगल नेविगेशन हमें रास्ता दिखाता है, उसी तरह ऑपरेशन में भी नेविगेशन सिस्टम प्रभावित क्षेत्र तक पहुंचने का मार्ग दिखाता है। इससे मरीज को किसी तरह का नुकसान भी नहीं होता। 

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    इस विधि में पहले मरीज का सीटी स्कैन किया जाता और फिर सीटी डॉयकान फीड करने के बाद नेविगेशन सिस्टम से अटैच किया जाता है। नाक और कान की सर्जरी के दौरान जब उपकरण डाला जाता है, तब सिस्टम प्रभावित क्षेत्र की वास्तविक स्थिति बताता है। लिहाजा, बिना किसी नुकसान के सर्जरी सफल होती है। इससे साइनस की रिवीजन सर्जरी, नाक के ट्यूमर में भी फायदा होता है। अब तक इस विधि से 200 ऑपरेशन किए जा चुके हैं और कारगी चौक स्थित अस्पताल में मरीजों को निश्शुल्क सेवाएं भी दी जा रही हैं। 

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