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    Coronavirus: सार्स-कोविड-2 के इलाज के लिए एंटी वायरल की पहचान को शोध करेगा आइआइटी

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    Updated: Fri, 29 May 2020 01:14 PM (IST)

    आइआइटी रुड़की सार्स-कोविड-2 के इलाज के लिए एंटी वायरल की पहचान पर शोध करेगा। इसके लिए विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) ने हरी झंडी दे दी है।

    Coronavirus: सार्स-कोविड-2 के इलाज के लिए एंटी वायरल की पहचान को शोध करेगा आइआइटी

    रुड़की, जेएनएन। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की सार्स-कोविड-2 के इलाज के लिए एंटी वायरल की पहचान पर शोध करेगा। इसके लिए विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) ने हरी झंडी दे दी है। कोविड-19 को लेकर देश-दुनिया में तमाम तरह के शोध हो रहे हैं। आइआइटी रुड़की ने भी इस महामारी से लड़ने के लिए कई प्रकार की तकनीक विकसित की है। वहीं, अब संस्थान सार्स-कोविड-2 के इलाज के लिए एंटी वायरल की पहचान पर शोध करेगा। 

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    आइआइटी रुड़की के बायो टेक्नोलॉजी विभाग के प्रो. प्रवींद्र कुमार ने बताया कि शोध का उद्देश्य कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए एंटी वायरल मोलेक्यूल की पहचान करना है। यह शोध इन-सिलिको अप्रोच के माध्यम से दवाओं की पहचान की प्रक्रिया में तेजी लाएगा, जो उनके मोलेक्यूलर स्ट्रक्चर के कंप्यूटर-एडेडसिमुलेशन पर आधारित है। उन्होंने बताया कि शोध में प्रमुख वायरल रेप्लिकेशन एंजाइमों-आरएनए आश्रित आरएनए पोलीमरेज (एनएसपी12), वायरल प्रोटीज (एमपीआरओ और पीएल2पीआरओ) और मिथाइल ट्रांसफेरेज को लक्षित करने के लिए छोटे मोलेक्यूल इन्हिबिटर की पहचान की जाएगी।
    बताया कि ये एंजाइम वायरस स्पेसिफिक होते हैं, जो रोगाणु के जेनेटिक मटेरियल (आरएनए/राइबो न्यूक्लिक एसिड) से घिरे होते हैं। वायरस स्पिसिफिक प्रोटीज वायरल पॉलीप्रोटीन में स्पिसिफिक पेप्टाइड बॉन्ड के दरार को उत्प्रेरित करता है। प्रो. प्रवींद्र ने बताया कि वायरल प्रोटीज एमपीआरओ को लक्षित करने वाली फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) से अप्रूव्ड दवाओं के बाइन्डिंग अफिनिटी के मूल्यांकन के लिए हाई थ्रूपुट वर्चुअल स्क्रीनिंग अप्रोच के आधार पर इन-सिलिको के काम के पूरा होने से शोध की तैयारी पहले ही हो चुकी है। शोध विभिन्न कंपाउंड लाइब्रेरीज से एंटीवायरल मोलेक्यूल की पहचान करने के लिए एक कंप्यूटर-आधारित हाई थ्रूपुट वर्चुअल स्क्रीनिंग अप्रोच का लाभ उठाएगा, जो एंटीवायरल पोटेन्शियल के लिए मान्य होगा। 
    उन्होंने बताया कि यह शोध संस्थान की बायो टेक्नोलॉजी विभाग की प्रो. शैली तोमर और भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) इज्जतनगर के डॉ. गौरव शर्मा के सहयोग से संचालित किया जाएगा, जो सार्स-कोविड-2 के इलाज के लिए पहचाने गए मोलेक्यूल की एंटीवायरल प्रभाव के आकलन में सहायता करेंगे। शोध को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत उच्च प्राथमिकता क्षेत्र में अनुसंधान की तीव्र आवश्यकता (आइआरएचपीए) के तहत वित्त पोषित किया जाएगा। 
    आइआइटी के निदेशक प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी का कहना है कि कोविड-19 से मुकाबला करने के लिए संस्थान की ओर से इससे पहले भी कई तकनीक विकसित करने का प्रयास किया गया है। यह शोध भी इस महामारी से लड़ने के लिए एंटीवायरल मोलेक्यूल की पहचान में मील का पत्थर साबित हो सकता है। 
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