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उद्घाटन के इंतजार में पांच करोड़ रुपये का ऑडिटोरियम, पढ़िए पूरी खबर

संस्कृति निदेशालय ने एक भव्य ऑडिटोरियम का निर्माण तो कराया पर दुर्भाग्य देखिए कि करीब दो साल से इस ऑडिटोरियम पर ताला लटका हुआ है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 21 Nov 2019 09:06 AM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 11:07 AM (IST)
उद्घाटन के इंतजार में पांच करोड़ रुपये का ऑडिटोरियम, पढ़िए पूरी खबर
उद्घाटन के इंतजार में पांच करोड़ रुपये का ऑडिटोरियम, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, विजय जोशी। सांस्कृतिक आयोजनों के लिए दर-दर भटकना न पड़े, इसके लिए संस्कृति निदेशालय ने एक भव्य ऑडिटोरियम का निर्माण तो कराया, पर दुर्भाग्य देखिए कि करीब दो साल से इस ऑडिटोरियम पर ताला लटका हुआ है। ऐसे में सवा पांच करोड़ की लागत से तैयार यह सभागार सफेद हाथी बनकर रह गया है। इधर, संस्कृति निदेशालय का कहना है कि ऑडिटोरियम के बाहरी हिस्से को पहाड़ी लुक देने की योजना के चलते इसके उद्घाटन में देरी हो रही है।

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वर्ष 2011 में रिस्पना पुल के पास संस्कृति निदेशालय की ओर से ऑडिटोरियम का निर्माण कार्य शुरू हुआ। बजट छोटी-छोटी किश्तों में मिलने के कारण निर्माण की गति बेहद सुस्त रही। जैसे-तैसे यह ऑडिटोरियम दो साल पहलेे यानी 2017 में पूरा हुआ, तब उम्मीद जगी कि जल्द ही सरकार की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन कराने के साथ ही अन्य लोगों के लिए इसे खोल दिया जाएगा। पर ऐसा हुआ नहीं। पहले हस्तांतरण का पेच और अब इसे पहाड़ी लुक देने में की जा रही सुस्ती सिस्टम की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रही है।

दरअसल, ऑडिटोरियम के निर्माण का जिम्मा पेयजल निगम को सौंपा गया था। निगम भी किश्तों में मिल रहे बजट के अनुसार ही किश्तों में ही कार्य करता रहा, जिस कारण निर्माण कार्य में पहले ही देरी हुई।

मुख्यमंत्री ने दिए थे निर्देश

ऑडिटोरियम का निर्माण पूरा होने के बाद जब मुख्यमंत्री ने बीते जून में इसका निरीक्षण किया तो वह अधिकांश कार्यों से संतुष्ट नजर आए, लेकिन उन्होंने ऑडिटोरियम के बाहरी हिस्से को पहाड़ी लुक देने के निर्देश दिए। जिस पर संस्कृति निदेशालय ने डीपीआर तैयार कर शासन को भेज दी। करीब 30 लाख के इस कार्य की डीपीआर दो माह से शासन में अटकी हुई है। निदेशालय का कहना है कि शासन की संस्तुति का इंतजार किया जा रहा है। वहां से फाइल पास होते ही दो माह के भीतर कार्य पूर्ण हो जाएगा।

समिति भी हो चुकी गठित

ऑडिटोरियम के रखरखाव व संचालन के लिए शासन ने जिलाधिकारी की अध्यक्षता में समिति का गठन भी कर लिया है। अब बस ऑडिटोरियम के शुरू होने की देर है। संस्कृति निदेशालय का दावा है कि चंद माह के भीतर ऑडिटोरियम का संचालन शुरू हो जाएगा, जिसके बाद आयोजनों के लिए विभाग को दूसरों के भरोसे नहीं रहना पड़ेगा। साथ ही निजी कार्यक्रमों के लिए भी ऑडिटोरियम उपलब्ध कर राजस्व भी प्राप्त होगा।

उच्चस्तरीय है ऑडिटोरियम

करीब सवा पांच करोड़ की लागत से निर्मित इस ऑडिटोरियम को उच्चस्तरीय सुविधाओं से लैस किया गया है। यहां बैठने के लिए शानदार कुर्सियां लगाई गई हैं। साथ ही लाइट व साउंड सिस्टम भी बेहतर गुणवत्ता के हैं। स्टेज भी काफी भव्य बनाया गया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर इसके बाहरी हिस्से को दिए जा रहे पहाड़ी लुक से ऑडिटोरियम की सुंदरता में भी चार चांद लग जाएंगे।

बीना भट्ट (निदेशक, संस्कृति निदेशालय) का कहना है कि ऑडिटोरियम पहले तो बजट की वजह से समय पर नहीं बन सका था, लेकिन अब यह तकरीबन पूर्ण हो चुका है। वहीं इसके उद्घाटन में हो रही देरी की बात करें तो इसमें बाहर से पहाड़ी लुक दिए जाने का कार्य होना है, जिसके बाद यह शुरू कर दिया जाएगा।

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घनानंद (उपाध्यक्ष, उत्तराखंड संस्कृति, साहित्य, कला परिषद) का कहना है कि इस संबंध में कई बार पत्र लिखकर संस्कृति निदेशालय से आग्रह किया गया है। लेकिन, हर बार किसी न किसी कारण से उद्घाटन में देरी की जा रही है। यह ऑडिटोरियम जल्द से जल्द जनता के लिए खोल दिया जाना चाहिए।

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