उत्तराखंड की बछेंद्री पाल के नेतृत्व में 12 महिलाओं का नया मिशन, ये करेंगी 4600 किलोमीटर की पैदल यात्रा
एवरेस्ट फतह करने वाली भारत की पहली और विश्व की पांचवीं महिला पर्वतारोही बछेंद्री पाल 50 वर्ष से अधिक उम्र की 12 महिलाओं के साथ 4600 किलोमीटर की पैदल यात्रा पर दिल्ली से निकल पड़ी हैं। बछेंद्री इस यात्रा को लेकर काफी उत्साहित हैं।
जागरण संवाददाता, देहरादून। एवरेस्ट फतह करने वाली भारत की पहली और विश्व की पांचवीं महिला पर्वतारोही उत्तराखंड की बछेंद्री पाल आजादी के अमृत महोत्सव के तहत 'फिट एट 50 प्लस वूमेन ट्रांस हिमालयन एक्सपीडिशन' मिशन शुरू कर रही हैं। 50 वर्ष से अधिक 12 महिलाओं के साथ 4600 किलोमीटर की पैदल यात्रा करेंगी। पड़ोसी देशों से गुजरने वाली इस यात्रा में दल का नेतृत्व बछेंद्री पाल कर रही हैं। भारत को वर्मा से जोड़ने वाला पंगसौ दर्रा से 12 मार्च को यात्रा शुरू हो गई।
यह यात्रा असम से होते हुए अरुणाचल प्रदेश, कारगिल, नेपाल, म्यामांर तक पैदल चलेगी। दल में शामिल 12 महिलाओं के अलावा दो सदस्य सपोर्ट टीम के रूप में शामिल हैं। तकरीबन पांच महीने तक चलने वाली इस यात्रा को लेकर बछेंद्री काफी उत्साहित हैं।
दल में यह महिलाएं हैं शामिल
बछेंद्री पाल (68 वर्ष) एक्पेडिशन लीडर, उत्तराखंड। चेतना साहू (वर्ष 55) एक्सपेडिशन डिप्टी लीडर, पश्चिम बंगाल। सविता धपवाल (53 वर्ष) छत्तीसगढ़। चौला जागीरदार (64 वर्ष) गुजरात। गंगोत्री सोनेजी (63 वर्ष) गुजरात। पायो मुरमु (54 वर्ष) झारखंड। डा. सुषमा बिस्सा (56 वर्ष) राजस्थान। मेजर कृष्णा दुबे (56 वर्ष), उत्तर प्रदेश। बिमला डिओस्कार (56 वर्ष) महाराष्ट्र। वसुमथी श्रीनिवासन (68 वर्ष) कर्नाटक। अन्नापूर्णा एल., (52 वर्ष), झारखंड। शमाला पद्मनाभन (65 वर्ष) कर्नाटक।
4500 से ज्यादा पर्वतारोहियों को किया तैयार
35 सालों में टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन, जमशेदपुर की संस्थापक निदेशक के तौर पर बछेंद्री पाल ने अब तक 4500 से ज्यादा पर्वतारोहियों को माउंट एवरेस्ट फतह करने के लिए तैयार किया है। इसके अलावा वह महिला सशक्तीकरण और गंगा बचाओ जैसे सामाजिक अभियानों से भी जुड़ी हैं, लेकिन उनकी पहचान भारत में पर्वतारोहण के पर्याय के रूप में बन चुकी है।
मेरे लिया उत्साह और यादगार रहेगी यह यात्रा
बछेंद्री पाल इस पांच महीने की यात्रा को लेकर काफी उत्साहित हैं। बीते दिनों दिल्ली से दल के रवाना होने के दौरान उन्होंने बताया कि इस दल का नेतृत्व करने का उन्हें दूसरी बार मौका मिला है। इससे पहले भी 1997 में ट्रांस हिमालयन एक्सपेडिशन के तहत दल का नेतृत्व कर 40 दर्रे पार कर सफल यात्रा की। इस बार यात्रा 18 हजार फीट ऊंचे 39 दर्रे हैं इन्हें पार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यात्रा में जरूर चुनौती आती हैं, लेकिन इन्हें पार पाने का अनुभव ही अलग रहता है।
पद्मभूषण, पद्मश्री और अर्जुन पुरस्कार
बचपन से बहादुर रही बछेंद्र पाल को वर्ष 1984 में पद्मश्री, 1986 में अर्जुन पुरस्कार, जबकि वर्ष 2019 में पद्मभूषण मिला। इसके अलावा पर्वतारोहण के क्षेत्र में बछेंद्री पाल को कई मेडल और अवार्ड मिल चुके हैं।