विजिलेंस ने पहले कहा सूचना दो और फिर कर दी अनदेखी, पढ़िए पूरी खबर
विजिलेंस ने पहले कहा कि आपके पास किसी अवैध और बेनामी संपत्ति की सूचना है तो पुलिस अधीक्षक सतर्कता को सूचना दें लेकिन जब सूचना मिली तो उसे अनदेखा कर दिया गया।
देहरादून, जेएनएन। विजिलेंस डिपार्टमेंट (सतर्कता अधिष्ठान) ने कुछ समय पहले विज्ञप्ति प्रकाशित कराई थी कि 'भ्रष्टाचार से लड़ने में हमारी मदद करें। आपके पास किसी अवैध और बेनामी संपत्ति की सूचना है तो पुलिस अधीक्षक सतर्कता को सूचना दें'। इससे प्रेरित रेलवे रोड हरिद्वार निवासी महेंद्र सिंह ने विजिलेंस को हरिद्वार में एक नजूल (सरकारी) भूमि के गलत हस्तांतरण की शिकायत करते हुए दोषी कार्मिकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। उन्होंने शिकायत के साथ आरोपों का निर्धारण करने वाले शहरी विकास सचिव के 14 अप्रैल 2018 और 16 अप्रैल 2019 के पत्र भी उपलब्ध कराए थे।
हालांकि, जब शिकायत पर कार्रवाई को लेकर महेंद्र सिंह ने विजिलेंस से सूचना मांगी तो यहां से आवेदन पत्र को हरिद्वार के जिलाधिकारी को भेज दिया गया। यहां से भी आवेदन पत्र को उपजिलाधिकारी, हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण, नगर निगम को भी भेज दिया गया, मगर शिकायत की स्थिति जस की तस ही रही। इसके बाद जब विभागीय अपीलीय अधिकारी और अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) के पास प्रकरण पहुंचा तो उन्होंने भी शासन के वही पत्र थमा दिए। सिर्फ उन्होंने अपनी टिप्पणी में कहा कि इन पत्रों को विजिलेंस को भेजा जाना आवश्यक है।
तय समय के भीतर उचित जानकारी न मिलने पर महेंद्र सिंह ने सूचना आयोग में अपील की। प्रकरण की सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयुक्त चंद्र सिंह नपलच्याल ने पाया कि मामले में अब भी विजिलेंस के स्तर पर कार्रवाई नहीं हो पाई है। उन्होंने सुनवाई में उपस्थित विजिलेंस के प्रतिनिधि को निर्देश दिया कि संबंधित पत्रों को कार्यालय में पंजीकृत करा दिया जाए और जांच के लिए इन्हें विभागाध्यक्ष के समक्ष प्रस्तुत किया जाए।
दो शादी पर बर्खास्त कर्मी 12 साल से मांग रहा पेंशन
इन दिनों शिक्षा विभाग की एक ऐसे रिटायर्ड कर्मी के आरटीआइ आवेदनों से चकरघिन्नी बनी है, जिसे करीब 12 साल पहले दो शादी करने के मामले में बर्खास्त कर दिया गया। रिटायर्ड कर्मी ने शासन से लेकर, शिक्षा निदेशालय व एससीईआरटी तक में कई सूचनाएं लगाई हैं। राजावाला निवासी जगमोहन सिंह राणा ने अपनी बर्खास्तगी, दो विवाह को लेकर की गई जांच, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति संबंधी आवेदन आदि पर कार्रवाई की सूचना 48 घंटे के भीतर देने की मांग की थी। तय समय के भीतर सूचना न मिलने पर उन्होंने सूचना आयोग में अपील की।
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प्रकरण पर सुनवाई के दौरान जगमोहन सिंह राणा ने कहा कि उन्होंने तीन अप्रैल 2007 को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया था। इस पर तीन माह के भीतर जांच कार्रवाई की जानी थी, जबकि उन्हें 21 माह बाद सेवा से हटा दिया गया। उन पर आरोप लगाया गया है कि वर्ष 1983 में उन्होंने दो शादी की हैं। इसको लेकर जो जांच की गई, उसमें यह साबित करने का प्रयास किया जा रहा है कि जो बच्चा उन्होंने गोद लिया, वह दूसरी पत्नी का है। अब जब वह आरटीआइ में इन तमाम बातों की अभिलेखीय जानकारी मांग रहे हैं तो उन्हें गुमराह किया जा रहा है।
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वहीं, शिक्षा विभाग से उपस्थित विभिन्न अधिकारियों ने कहा कि जगमोहन सिंह राणा बार-बार अनावश्यक एक तरह की सूचना मांग कर विभाग के समय और संसाधन को नुकसान पहुंचा रहे हैं। हालांकि, मुख्य सूचना आयुक्त शत्रुघ्न सिंह ने निर्देश दिए कि सभी स्तर पर एक बार भी दस्तावेजों का परीक्षण कर लिया जाए।
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